फैकल्टी इंडक्शन प्रोग्राम में शामिल कुलपति
एनआईआई ब्यूरो
गोरखपुर। नई शिक्षा नीति के अनुरूप शिक्षण प्रणाली को लचीला बनाकर संस्थान की गुणवत्ता को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया जा सकता है। नए वैश्विक मानकों के अनुरूप प्रोग्राम के क्रेडिट को निर्धारित करके ही विश्वविद्यालय की शिक्षण प्रणाली और उसकी गुणवत्ता में सुधार सकते हैं। इसके लिए हमें अपने विश्वविद्यालयों को सशक्त करना होगा और नवाचारों पर ध्यान देना होगा। शिक्षा के क्षेत्र में उभर रहे नए रुझानों को समझना होगा। शोध और शिक्षण के सकारात्मक वातावरण का निर्माण करना होगा। संस्थानों को अपनी रैंकिंग बढ़ाने पर ध्यान देना होगा और कोर्सेज के चयन को फ्लेक्सिबल बनाना होगा। आज दुनियां के अनेक विश्वविद्यालय इसके उदाहरण जिन्होंने अपने कोर्सेज और स्टूडेंट्स के आधार पर अपनी रैंकिंग बनाई है और मार्केट अपनी माँग को बढ़ाया है।
उक्त वक्तव्य दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के यूजीसी-एचआरडी सेंटर द्वारा आयोजित गुरु-दक्षता कार्यक्रम
(फैकल्टी इंडक्शन प्रोग्राम) के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने दिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जे. आर. एन. राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, उदयपुर, राजस्थान के कुलपति प्रो. एस. एस. सारंगदेवत ने अपने उद्बोधन में कहा कि उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात बढ़ाने के लिए प्रयास करना होगा। नई शिक्षा नीति के समुचित क्रियान्वयन से यह संभव किया जा सकता है। नए भारत के निर्माण में शिक्षा और शिक्षक की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है। शिक्षकों को अपने छात्रों में उन आदर्शों की स्थापना करनी होगी, जिससे नए भारत की दिशा तय हो।
शिक्षक समाज के लिए आदर्श होता है इसलिए एक शिक्षक को हमेशा अपने आचरण एवं व्यवहार को उत्कृष्ट रखना चाहिए। उद्घाटन सत्र में अतिथियों का स्वागत करते हुए एचआरडी सेंटर के निदेशक प्रो. रजनीकांत पाण्डेय ने कहा कि शिक्षक की भूमिका अपने संस्थान तक सीमित नही है, बल्कि समाज की भी अपेक्षाएं हैं। फैकल्टी इंडक्शन प्रोग्राम के माध्यम से शिक्षकों को नई चुनौतियों और तकनीकी से परिचित कराया जाता है। शिक्षक को नए ज्ञान एवं प्रविधियों के प्रति हमेशा जागरूक रहना चाहिए।
गुरु दक्षता कार्यक्रम के समन्वयक एवं बायोटेक्नोलॉजी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. शरद कुमार मिश्रा ने कार्यक्रम के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि शिक्षक पर समाज निर्माण की जिम्मेदारी होती है। सामयिक परिवर्तनों के सापेक्ष नया प्रशिक्षण जरूरी होता है। क्षक को सदैव अपने दायित्वों के प्रति समर्पित रहना चाहिए और उसका व्यवहार आदर्श होना चाहिए। इस 30 दिवसीय कार्यक्रम के माध्यम से प्रतिभागियों को यूजीसी के द्वारा निर्धारित मानक के अनुरूप विषयों से अवगत कराया जाएगा। कार्यक्रम के सह समन्वयक डॉ. मनीष पांडेय ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस दौरान देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के 50 से अधिक शिक्षकों ने प्रतिभाग किया।