एनआईआई ब्यूरो
गोरखपुर। समाजशास्त्र एक परिप्रेक्ष्य है, जिसका निर्माण अनुभव से होता है। अपने अस्तित्व में आने से लेकर वर्तमान तक समाजशास्त्र के परिपेक्ष्य में कई नए आयाम जुड़ते रहे हैं। समाज एक जटिल परिघटना है जिसमें बहुत सी जटिलताएँ हैं। समाजशास्त्र के समर्थन के बिना इसकी कई समस्याओं को समझना और हल करना असंभव है। सामाजिक घटनाओं को समझने में समाजशास्त्र ने कई परिप्रेक्ष्य विकसित किए है और आज उत्तर आधुनिकता से भी आगे बात हो रही है।
उक्त वक्तव्य दी.द.उ. गोरखपुर विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग में ‘सोशियोलॉजी टुडे: प्रॉबलम्स एंड प्रॉस्पेक्ट्स’ विषय आयोजित किए गए विशेष व्याख्यान को सम्बोधित करते हुए बीएचयू के समाजशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. अजीत कुमार पाण्डेय ने दिया। कार्यक्रम में स्वागत भाषण विभागाध्यक्ष प्रो. संगीता पाण्डेय दिया और कहा कि नई बदलती समाजिक संरचना और समाज की प्रवृत्ति को समझने के लिए समाजशास्त्र एक व्यापक आधार देता है। समाजशास्त्र के विद्यार्थी को
कार्यक्रम का संचालन डॉ मनीष पाण्डेय ने किया।
इस दौरान विभाग केशिक्षक डॉ.अनुराग द्विवेदी शोध छात्र मंतोष यादव, अंजली, देवेंद्र, सुधीर समेत समाजशास्त्र विषय अनेक छात्र एवं छात्राओं की उपस्थित रही।