डीडीयू: पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म जयंती पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन

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  • प्रधानमंत्री मोदी दीनदयाल जी के विचारों पर खरे उतरे है: शिवप्रताप शुक्ल
  • डीडीयू प्रधानमंत्री मोदी के विज़न 2047 के संकल्पों पर संगोष्ठी करने वाला पहला विश्विद्यालय: कुलपति

एनआईआई ब्यूरो

गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की ओर से पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म जयंती पर तीन दिवसीय “राष्ट्रीय चेतना उत्सव”(24-26 सितंबर) विषयक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का शनिवार को दीक्षा भवन में भव्य उद्घाटन हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व राज्यसभा सांसद शिव प्रताप शुक्ला ने कहा कि भारत की चिति महज एक भूखंड मात्र नहीं है। हमने इस भूभाग पर जन्म लिया है। यह हमारी माता है। इसलिए भारत माता की जय कहने पर हमें गर्व की अनुभूति होती है। उन्होंने कहा कि इतिहासकारों ने भारतीय इतिहास को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत किया है। आज के परिपेक्ष्य में गजनी से चलने वाले गजनी को ही जब वहां के लोग याद नहीं करते हैं। तो भारतीय इतिहास से अगर उन्हें हम हटाते हैं तो इसमें विरोध किस बात का है।

पंडित दीनदयाल जी ने मानव चेतना की संकल्पना की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंडित दीनदयाल जी के विचारों पर खरे उतरे हैं। उनके द्वारा समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक गरीब कल्याण योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा रहा है । तकरीबन 80 करोड़ जनता उससे लाभान्वित हो रही है। मेक इन इंडिया, वोकल फॉर लोकल सरीखी मुहिम से भारतीय लाभान्वित हो रहे हैं। एक राष्ट्र, एक शिक्षा और निचले व्यक्ति को स्थान देने में प्रमुखता, स्वदेशी को बढ़ावा देने की बात पंडित दीनदयाल जी ने की थी। उसे अक्षरश प्रधानमंत्री भी आगे बढ़ा रहे हैं। एक जिला एक उत्पाद उत्तर प्रदेश की सरकार की सराहनीय योजना है। इस योजना के माध्यम से भी उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जरूरतमंदों को सशक्त बनाया जा रहा है। वसुदेव कुटुंबकम की भावना सदैव भारतीय संस्कृति में रही है।

डीडीयू प्रधानमंत्री मोदी के विज़न 2047 के संकल्पों पर संगोष्ठी करने वाला पहला विश्विद्यालय: कुलपति

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो राजेश सिंह ने तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में आए अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक भारत को विकसित बनाने की बात 15 अगस्त 2021 और 15 अगस्त 2022 को की थी। तथा इसके लिए छह संकल्पों पर कार्य करने को कहा था। यही दीनदयाल जी की असली श्रद्धांजलि है। कुलपति के कहा कि गोरखपुर विश्वविद्यालय राष्ट्रीय चेतना उत्सव का आयोजन कर देश पहला विश्वविद्यालय बन गया है जो इन संकल्पों पर व्यापक स्तर पर चर्चा कर रहा है। विश्वविद्यालय की ओर से नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय और नाथ पंथ पर नई शिक्षा नीति के अंतर्गत 2-2 क्रेडिट के कोर्स तैयार किए हैं।

राष्ट्रीय चेतना उत्सव प्रधानमंत्री की ओर से वर्ष 2047 को लेकर दिए गए लक्ष्य को पूरा करने में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 में जब गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में मेरे द्वारा कार्यभार ग्रहण किया गया तो पंडित दीनदयाल जी के नाम पर स्थापित पहली आवासीय यूनिवर्सिटी में अपने ब्रांड अंबेसडर पर कोई विशेष कार्यक्रम नहीं होता था। वर्ष 2021 में पंडित दीनदयाल जी के ऊपर तीन दिवसीय सफल अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस सेमिनार में दुनिया भर के ख्यातिलब्ध शिक्षाविद ने दीनदयाल जी पर अपने विचार प्रकट किए हैं। वर्ष 2022 में भी विश्वविद्यालय की ओर से एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है जिसकी चर्चा पूरे देश के अंदर हो रही है।

स्वदेशी पर भरोसा विज़न के अनुरूप युवाशक्ति खुद को ढाले: नरेंद्र सिंह

पूर्वांचल विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष नरेंद्र सिंह ने 6 बिंदुओं पर अपने विचार रखते हुए कहा कि सबसे अच्छा स्वदेशी पर भरोसा है। उसके अनुरूप युवा खुद को ढ़ाले। विजन 2047 युवा निर्माण के अपने लक्ष्यों को हासिल करेगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 1962 में पंडित दीनदयाल जी को सुना। उन्होंने जो कुछ भी कहा अपने जीवन में धारण किया। उन्होंने जातिवाद का विरोध किया। हर हर हाथ को काम हर खेत को पानी की बात कहते थे। उनका जो व्यक्तित्व था उसकी तुलना महात्मा गांधी से की जा सकती है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघचालक डॉ पृथ्वीराज सिंह ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने राष्ट्र और राज्य में भिन्नता की थी।

उन्होंने कहा था दोनों अलग-अलग सत्तायें हैं। राष्ट्र एक जीवमान इकाई है। यह एक स्थायी सत्य है। राज्य की उत्पत्ति दो कारणों से हुई है जब लोगों को विकृति घेर ले या समाज में कोई जटिलता आ जाए, तीसरा एक कारण यह भी है कि दुनिया के कोई राज्य अगर आपस में परस्पर संबंध स्थापित करें। तो भी इसका निर्माण होता है। जबकि राष्ट्र की प्रकृति आत्मा का सार है। राष्ट्र का निर्माण चिति से होता है और ये जन्मजात है। यह राष्ट्र की आधारभूत संरचना है। एकात्म मानववाद की पोषक है। कार्यक्रम में उत्तर उच्चतर शिक्षा आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर ईश्वर चंद विश्वकर्मा गोरखपुर की पूर्व में सत्या पांडे सहित तमाम गणमान्य व्यक्तियों ने सहभागिता की। कार्यक्रम का संचालन प्रो हिमांशु चतुर्वेदी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो दीपक त्यागी ने किया।

झलकियां

  • संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में शामिल हुए पूर्वांचल विकास बोर्ड के श्री नरेंद्र सिंह जी उन विरले व्यक्तियों में से हैं जिन्होंने दीनदयाल जी को देखा और सुना है तथा उनके साथ कार्य करने का अवसर प्राप्त किया है।
  • पूर्व केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने बताया कि उत्तर प्रदेश में सबसे पहले मीसा के अंतर्गत उन्हीं की गिरफ्तारी हुई और उन्हें बीस महीने जेल में रहना पड़ा था।
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