आचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र
अध्यक्ष – रीलीजीयस स्कॉलर्स वेलफेयर सोसायटी
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देश के लिए सर्वस्व निछावर करने वाले सरदार पटेल
विभाजन के बाद देश को आजादी मिली तो सरदार पटेल ने कोलकाता में भाषण दिया । उन्होंने अपने भाषण में मुल्क में रहने वाले पाकिस्तान न जाने वाले मुसलमानों पर कटाक्ष किया । कहा कि रातोंरात इन मुसलमानों का दिल कैसे बदल गया । पाकिस्तान के पक्ष में वोट देने वाले अल्पसंख्यकों का हृदय परिवर्तन आश्चर्यजनक घटना है । नई भारत सरकार में सरदार पटेल को गृहमंत्री और उप प्रधानमंत्री बनाया गया । उन्होंने देशी रियासतों का भारत संघ में विलय करने का काम जोर शोर से किया। हैदराबाद त्रावणकोर कोचीन और जूनागढ़ अपवाद थे । हैदराबाद निजाम ने रजाकारों की फौज इकट्ठा की। निजाम हैदराबाद इन रजाकारों के भरोसे पाकिस्तान में मिलना चाहते थे।
रजाकारों की अगुवाई उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले का निवासी सैयद कासिम रिजवी कर रहा था । पुलिस कार्रवाई शुरू हुई तो कुछ ही घंटों में रजाकारों की फौज ने घुटने टेक दिए । निजाम हैदराबाद कोअपने महल के चबूतरे पर खड़े होकर भारतीय सेना का स्वागत करना पड़ा । जूनागढ़ रियासत गुजरात में थी । यह पाकिस्तान के करीब स्थित थी। यहां के नवाब ने पाकिस्तान में विलय की बात शुरू की। सरदार पटेल ने यह खबर सुनी तो वे फौज के साथ जूनागढ़ आ गए। फौज को उन्होंने जूनागढ़ की सरहद पर रोकने का आदेश दिया । खुद जूनागढ़ के नवाब को उन्होंने ललकारा। इस रियासत की प्रजा हिंदू है। आप कैसे पाकिस्तान में विलय कर सकते हैं। प्रजा बगावत कर देगी। आपको लेने के देने पड़ जाएंगे। जूनागढ़ के नवाब के होश ठिकाने हो गए। उन्होंने फौरन अपना हवाईजहाज तैयार कराया। वे खुद अपनी एक पसंदीदा बेगम और कुत्ते के साथ हवाई जहाज पर बैठ गए और पाकिस्तान चले गए।
बाकी बेगमों को उन्होंने जूनागढ़ में ही छोड़ दिया। सरदार पटेल ने इन बेगमों को आदर सहित नवाबी महल में रहने का इंतजाम कर दिया। जम्मू कश्मीर में भारतीय सेना पाकिस्तानी फौज पर भारी पड़ रही थी उसी बीच वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन की सलाह पर पंडित नेहरू इस मामले को संयुक्त राष्ट्र संघ में ले जाने को तैयार हुए । सर ओवन डिक्शन उस समय संयुक्त राष्ट्र संघ के अध्यक्ष थे। उनके सामने पाकिस्तानी प्रतिनिधि ने पहली बार माना कि कबाइलियों में पाकिस्तानी फौज भी शामिल थी। इससे पासा पलटता नजरआया। फिर भी लॉर्ड माउंटबेटन की सलाह पर पंडित नेहरू इस मामले को संयुक्त राष्ट्रसंघ में ले जाने को तैयार हुए। वे इसकी घोषणा करने को आल इंडिया रेडियो पहुंचे ।सरदार पटेल को यह खबर जैसे ही मिली तो वे कार से ऑलइंडिया रेडियो के लिए रवाना हो गए।
लेकिन उनके पहुंचने में देर हो गई। तब तक पंडित नेहरू स्टूडियो में दाखिल हो चुके थे । उन्होंने अपना वक्तव्य प्रसारित कर दिया था। सरदार पटेल पंडित नेहरू के इस कदम से बहुत नाराज हुए। उन्होंने एक चिट्ठी पंडित नेहरू के पास भेजी । चिट्ठी में उन्होंने लिखा था, उनकी सेहत खराब रहती है इसलिए वे अपने पद से इस्तीफा देने चाहते हैं। पंडित नेहरू ने बड़ी मुश्किल से उन्हें मनाया । उन्होंने अपना इस्तीफे का मन बदल दिया । सरदार पटेल के लिए देश का पहला महत्व था । उसके बाद पार्टी ओर पद की बारी आती थी । अब अपने मुल्क में ऐसे कर्मठ और निस्वार्थ नेता उंगली पर ही गिने जा सकते हैं।