एनआईआई ब्यूरो
गोरखपुर। पांडुलिपियाँ पुस्तकालय की अमूल्य धरोहर। संस्कृत एवं प्राकृत भाषा विभाग दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर में चल रही 21 दिवसीय पुस्तकालय संस्करण एवं संरक्षण कार्यशाला में 1 दिसंबर 2022 को ऑनलाइन व्याख्यान देते हुए प्रोफ़ेसर रीता तिवारी अध्यक्ष संस्कृत विभाग नवयुग कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय लखनऊ ने कहीं । आपने पुस्तकालय और पांडुलिपियों का संबंध स्थापित करते हुए पांडुलिपियों के स्वरूप उनके पठन, निर्माण एवं संरक्षण पर विशेष चर्चा की और पांडुलिपियों के क्षेत्र में शोध की विशेष आवश्यकता है यह भी कहा । पांडुलिपिया हमें नवीन ज्ञान से साक्षात्कार कराती है जो प्राचीन ऋषियों के द्वारा ज्ञान का साक्षात्कार किया गया था और वह प्राचीन लिपियों में छिपा हुआ था उसको हम लिपियों के अध्ययन से समाज के समक्ष ला सकते हैं अनेक ऐसे उदाहरण उन्होंने प्रस्तुत किए जो ऐसे कई अर्थ देते हैं।
जिनके बारे में हम सोचते नहीं चिंतन नहीं करते। साथ ही पुस्तकालय की महत्ता के बारे में भी उन्होंने विशेष चर्चा करते हुए कहा शोधार्थियों को एक अच्छा पाठक होना चाहिए क्योंकि पुस्तकों के अध्ययन से अनायास अनेक अन्य ऐसे महत्वपूर्ण विषय मिल जाते हैं जिनका आप चिंतन ही नहीं करते और वह आपके भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते उन्होंने बताया कि पुस्तकों का अध्ययन 64 कलाओं में से एक कला भी है जैसा वात्स्यायन कामसूत्र में लिखा है। उन्होंने कहा जहाँ पर साहित्य का अध्ययन अध्यापन होता है वहां कोई दुखद घटना नहीं होती है ।अतः पुस्तकालयों का होना नितांत आवश्यक है। और उनका संरक्षण संस्करण समय-समय पर भी परम आवश्यक है ऐसा कहा कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर कुलदीपक शुक्ल ने किया स्वागत डॉक्टर स्मिता द्विवेदी एवं आभार डॉ रंजनलता ने किया समस्त विभागीय शिक्षक एवं शोध छात्र इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे।