जाने क्या है खरमास और कब क्यों होती है इसकी शुरुवात

0 0
Read Time:10 Minute, 7 Second

आचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र

वाराणसी से प्रकाशित ऋषिकेश पंचांग के अनुसार वृश्चिक राशि का सूर्य 16 दिसंबर को समाप्त हो रहा है और श्री सूर्यनारायण इसी दिन सायंकाल 7 बजकर 14 मिनट पर धनु राशि में प्रवेश कर रहे हैं। यह लगभग 1 महीने तक इसी राशि में संचरण करते रहेंगे । पुनः 14 जनवरी सन् 2023 दिन शनिवार को 2023 के रात्रि शेष तक इस राशि में संचरण करते रहेंगे। अनंतर रात्रि शेष में 3 बजकर 1 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे।इस मध्य लगभग एक माह शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। शास्त्रों में कहा गया है कि जब खरमास को पूरे हुए 15 दिन हो जाए एक दिन पकौड़ी बनवाकर चील ,कौवा या पक्षियों को खिलाया जाए।जब धनु की संक्रांति होती है समय भागवत पूजन का विशेष महत्व है।

खरमास की परिभाषा

सूर्य के धनु और मीन राशि पर होने से खरमास की शुरुआत होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवग्रहों के राजा सूर्य जब- जब देवताओं के गुरु बृहस्पति देव की राशि धनु और मीन में गोचर करते हैं, तब- तब खरमास का महीना लगता है। इसमें दो तरह की मान्यताएं हैं पहली मान्यता यह है इस महीने में सूर्य का तेज क्षीण हो जाता है क्योंकि सूर्य अपने गुरु की राशि में जाकर नतमस्तक हो जाता है। दूसरी मान्यता के अनुसार या बृहस्पति के राशि में सूर्य का प्रवेश होता है तो बृहस्पति का प्रभाव क्षीण हो जाता है। समस्त कार्यों के लिए तीन ग्रहों के बल की आवश्यकता होती है- ये हैं, सूर्य चंद्रमा और बृहस्पति। जब ये तीनों ग्रह सशक्त स्थिति में रहते हैं तभी वैवाहिक और शुभ कार्य किए जाते हैं। अमावस्या के निकट सूर्य के प्रभाव से चंद्रमा अस्त हो जाता है इसलिए कृष्ण चतुर्दशी और अमावस्या को कोई कार्य नहीं किया जाता है।इसी तरह से शुक्र के विषय में भी बताया गया हैं।

मान्यताओं के अनुसार दोनों में से किसी एक का बल क्षीण रहता है तो मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। खरमास में हिंदू धर्म में कोई कार्य नहीं होता है, इसमें शुभ कार्य करना वर्जित है परन्तु इस महीने में पूजा पाठ धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस मास में किए जाने वाले पूजा-पाठ दान पुण्य के कार्यों से सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है और जीवन में सुख शांति का समावेश होता है। खरमास दो बार लगता है लगभग 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक धनु का खरमास रहता है। सूर्य किसी भी राशि 1 महीने संचरण करते हैं।इस लिए लगभग 1 महीने तक शुभ कार्य नहीं होते हैं।

हमारे यहां वृंदावन, अयोध्या,काशी एवं मध्य भारत तथा दक्षिणी भारत में इस महीने में धनुर्मास का उत्सव मनाया जाता है। इस महीने में दही भात के भोग का विशेष महत्व है। कुछ लोग इस मास को मलमास भी करते हैं। पौष मास की द्वादशी के दिन जो प्रायः खरमास में ही रहता है, इस दिन सुरूपा द्वादशी का व्रत होता है। इसमें अच्छे नक्षत्र का योग रहता है और इस दिन का पूजन अर्चन विशेष फलदाई माना गया है। ऐसी मान्यता है कि जो इस दिन व्रत और दान करते हैं, उसके सौंदर्य में अभिवृद्धि होती है, सौभाग्य और सुख की प्राप्ति होती है। इसके विषय में ब्रह्म पुराण में कहा गया है कि धनु राशि के सूर्य के संचरण में द्वादशी के एक दिन पूर्व एकादशी की रात में भगवान विष्णु की कथा वार्ता करें और द्वादशी के दिन सफेद गाय के उपले पर तिल और घी मिलाकर ” नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र” से 108 आहुति दें।

वैष्णवों या ब्राह्मणों को बुलाकर वैष्णव भक्त या भगवान को बुलाकर भोजन करावें है। इससे खरमास का व्रत पूर्ण होता है। माघ मास के स्नान का आरंभ पौष पूर्णिमा से होता है। इस पूर्णिमा के दिन प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान मधुसूदन को स्नान करावें, सिर पर मुकुट, कुंडल, तिलक, अलंकार धारण करावें। मिष्ठान का भोग लगाएं और आरती करें। इस दिन भी पूजन के समापन होने पर श्रद्धा से ब्राह्मणों को भोजन करावें। उन्हें दान दक्षिणा देकर आशीर्वाद प्राप्त करें। इससे पाप दूर होकर विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।

खरमास में वर्जित धार्मिक और शुभ कार्य :

एक बात ध्यातव्य है कि खरमास में भी दो ग्रहों का बल बना रहता है, इसलिए कुछ कार्य खरमास में भी किए जाते हैं। परंतु मुख्य धार्मिक शुभ संस्कार इस मास में निषिद्ध है। खरमास में गृहप्रवेश, गृहारंभ, विवाह से संबंधित समस्त मांगलिक कार्य जैसे वरवरण ( तिलक) कन्यावरण, वधू प्रवेश, द्विरागमन, वधू की विदाई, सुदूर देश की प्रथम यात्रा, किसी संस्थान का शुभारंभ करना, किसी विशिष्ट उद्देश्य से सोने सोने चांदी के आभूषणों की खरीदारी करना, मकान निर्माण( परंतु पहले से मकान बन रहा है, तो निषिद्ध नहीं) काम्य कर्मों का अनुष्ठान, विशिष्ट कामना से यज्ञ ,मंदिर में देवताओं की स्थापना, मुंडन, उपनयन , वेदारम्भ, समावर्तन इत्यादि कार्य खरमास में निषिद्ध है। (परंतु चैत्र के खरमास में ब्राह्मण कुमारों का उपनयन होता है।)

खरमास में करें सूर्य की आराधना :

इस महीने में प्रतिदिन सूर्य की पूजा करनी चाहिए और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ एवं सूर्य मंत्र का जप करना बहुत शुभ माना जाता है। इस महीने में लक्ष्मी नारायण स्त्रोत्र का पाठ या विष्णु सहस्रनाम का पाठ अवश्य करें। जितना हो सके उतना दान भी करें । खरमास में निर्धनों को दान और सहायता करने से देवगण प्रसन्न होते हैं, ऐसा शास्त्रीय मान्यता है।

खरमास में किए जाने वाले कार्य

प्रसूतिस्नान, अन्नप्राशन, व्यापार आरंभ करना, भूमि क्रय-विक्रय करना, आभूषण निर्माण, गर्भाधान, जातकर्म, पुंसवन, नामकरण, सीमन्त संस्कार, शस्त्रधारण, आवेदन पत्र लेखन, नौकरी ज्वाइन करना, बीजबोना, आभूषण धारण करना, वाद्यकला का आरंभ, ईंट का निर्माण, ईंट का दहन, धान्यछेदन( फसल की कटाई), वाहन खरीदना, वृक्षारोपण, मुकदमा का आरंभ जैसे कार्य खरमास में भी किए जाते हैं।

मास की पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार सूर्य देव अपने सात घोड़ों के रथ पर बैठकर ब्रह्माण्ड की परिक्रमा कर रहे थे । परिक्रमा के दौरान सूर्यदेव को कहीं भी रुकने की इजाजत नहीं थी, क्योंकि अगर वह रुक गए तो पूरा जनजीवन रुक जाता। लगातार चलने के कारण घोड़े प्यासे से तड़पने लगे। सूर्य देव रुक गए। घोड़ों की दुर्दशा देखकर सूर्य देव चिंतित होने लगे। ऐसे मे वे एक तालाब के किनारे रुक गए। तालाब के किनारे ले जाकर घोड़ों को पानी पिलाए और खुद भी विश्राम करने लगे। तभी उनको आभास हुआ कि ऐसा करने से अनिष्ट न हो जाए। उन्होंने घोड़े की जगह खरों (गधों )को रथ में जोड़ दिया। खरों की वजह से रथ की गति धीमी हो गई, हालांकि जैसे ही एक महीने का समय पूरा हुआ, सूर्य ने विश्राम कर रहे घोड़ों को रथ में लगा दिया और खरों को निकाल दिया। इस प्रकार से प्रत्येक वर्ष यह क्रम चलता रहता है। वर्ष में दो बार खरमास का महीना चलता रहता है।

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Blog ज्योतिष

साप्ताहिक राशिफल : 14 जुलाई दिन रविवार से 20 जुलाई दिन शनिवार तक

आचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र अध्यक्ष – रीलीजीयस स्कॉलर्स वेलफेयर सोसायटी सप्ताह के प्रथम दिन की ग्रह स्थिति – सूर्य मिथुन राशि पर, चंद्रमा तुला राशि पर, मंगल और गुरु वृषभ राशि पर, बुध और शुक्र, कर्क राशि पर, शनि कुंभ राशि पर, राहु मीन राशि पर और केतु कन्या राशि पर संचरण कर रहे […]

Read More
Blog national

तीन दिवसीय राष्ट्रीय पर्यावरण संगोष्टी सम्पन्न

द्वितीय राष्ट्रीय वृक्ष निधि सम्मान -२०२४ हुए वितरित किया गया ११००० पौधों का भी वितरण और वृक्षारोपण महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के धाराशिव ज़िले की तुलजापुर तहसील के गंधोरा गाँव स्थित श्री भवानी योगक्षेत्रम् परिसर में विगत दिनों तीन दिवसीय राष्ट्रीय पर्यावरण संगोष्टी का आयोजन किया गया। श्री भवानी योगक्षेत्रम् के संचालक गौसेवक एवं पर्यावरण संरक्षक योगाचार्य […]

Read More
Blog uttar pardesh

सनातन धर्म-संस्कृति पर चोट करते ‘स्वयंभू भगवान’

दृश्य 1 : “वो परमात्मा हैं।” किसने कहा ? “किसने कहा का क्या मतलब..! उन्होंने ख़ुद कहा है वो परमात्मा हैं।” मैं समझा नहीं, ज़रा साफ कीजिये किस परमात्मा ने ख़ुद कहा ? “वही परमात्मा जिन्हें हम भगवान मानते हैं।” अच्छा आप सूरजपाल सिंह उर्फ़ भोलेबाबा की बात कर रहे हैं। “अरे..! आपको पता नहीं […]

Read More
error: Content is protected !!