एनआईआई ब्यूरो
गोरखपुर। गोरखपुर विश्वविद्यालय के गणित एवं सांख्यिकी विभाग में प्रोफेसर शिबेश कुमार पेसिफ ने आज जी-20 के तहत व्याख्यान प्रस्तुत किया जिसका शीर्षक “वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा और विज्ञान ” था। उन्होंने बताया कि ब्रह्मांड को दो तरह से समझा जा सकता है फिजिकली और मैथमेटिकली।
ब्रह्मांड क्या है?
इस प्रश्न के उत्तर में प्रोफेसर शिबेश ने बताया कि ब्रह्मांड अंतरिक्ष और समय का है, हम भौतिक रुप से जो कुछ भी महसूस कर सकते हैं वह ब्रह्मांड है । ब्रह्मांडीय सिद्धांत कहां से आए इसका जिक्र करते हुए उन्होंने ब्रह्मांड एवं ब्रह्मांड के अस्तित्व से जुड़े कई सिद्धांतों का जिक्र किया और अब तक ब्रह्मांड के आरंभ के विषय में जानकारी देने वाली सर्वमान्य सिद्धांत big-bang-theory को समझाया। यह आइंस्टीन द्वारा दिए हुए सापेक्षता के सिद्धांत पर आधारित है। ब्रह्मांड विज्ञान को वसुधैव कुटुंबकम की भावना से जोड़ते हुए बताया कि प्रकृति के भौतिक नियम, व्यक्ति, स्थान, काल के संबंध में भिन्न नहीं हो सकते प्रकृति जब भेदभाव नहीं करती है तो हमें भी नहीं करना चाहिए। उन्होंने उन सिद्धांतों का भी जिक्र किया जो ब्रह्मांड के विस्तार ,संकुचन, घटने एवं बढ़ने की जानकारी देते हैं।
गुरुत्व बल को समझाते हुए बताया कि गुरुत्वाकर्षण बल एक बल नहीं जबकि ब्रह्मांड की ज्यामिति है ।ब्रह्मांड विज्ञान के क्षेत्र में लगातार चल रहे शोध कार्यों का जिक्र करते हुए शोध के विभिन्न स्वतंत्र मॉडलों का भी जिक्र किया जो भौतिक रूप से महसूस किए जाने वाले ब्रह्मांड की विशेषताओं को बताता है जिस पर प्रो शिबेश ने अपने कई योगदान दिए हैं इसका भी विस्तार से जिक्र किया और आगे इस मॉडल पर और भी इसके अतिरिक्त और भी मॉडल पर शोध छात्र क्या और योगदान दे सकते हैं इस पर भी जिक्र किया। G-20 सम्मिट के कोऑर्डिनेटर प्रोफेसर हर्ष सिन्हा ने G-20 की परिकल्पना एवं उद्देश्य के बारे मे विस्तार से बताया!
कार्य क्रम की अध्यक्षता प्रो शांतनु रस्तोगी ने की और उन्होंने बताया कि ज्ञान क्या है और किस तरह से हमारा क्रम बद्ध ज्ञान बढ़ता गया। इस अकादमिक विनिमय कार्यक्रम के तहत आए प्रोफेसर शिवेश ने विभाग के छात्र- छात्राएं के साथ अपने शोध अनुभवों और कार्यों को साझा किया। व्याख्यान में गणित विभाग के समस्त शिक्षक एवं छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे।