एनआईआई ब्यूरो
गोरखपुर। ‘ निराला का साहित्य भारतीय चिंतन परंपरा का जीवंत स्वरूप उपस्थित करता है। उनकी हर कविता मनुष्य जीवन के प्रत्येक रूप को दर्शाती है यही वजह है कि निराला की कविताएं आज भी नए संदर्भ तलाश करती हैं।’ यह वक्तव्य बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी के हिंदी विभाग के अध्यक्ष एवं कला संकाय के अधिष्ठाता प्रोफ़ेसर मुन्ना तिवारी ने बृहस्पतिवार को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी एवं पत्रकारिता तथा संस्कृत विभाग के साहित्य संवाद श्रृंखला की दूसरी कड़ी में ‘महाप्राण निराला: मूल्य और महत्व’ विषय पर बोलते हुए दिया।
प्रोफेसर तिवारी ने प्रकृति की चर्चा करते हुए कहा कि जितनी सुकुमारता पंत की कविताओं में है उससे कई गुना बेहतर ढंग से निराला ने प्रकृति की सुकुमारता को उपस्थित किया है। निराला के अलावा कोई कवि प्रकृति को इतने मूर्तिमान रूप में प्रस्तुत नहीं कर सकता है।
इसके पूर्व हिंदी विभाग के प्रोफेसर विमलेश मिश्र ने प्रोफेसर मुन्ना तिवारी का परिचय देते हुए उनकी अकादमिक यात्रा और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। प्रोफेसर तिवारी का स्वागत करते हुए विभाग के वरिष्ठतम आचार्य अनिल कुमार राय ने बताया कि प्रोफ़ेसर मुन्ना तिवारी को छात्र जीवन में निराला की लंबी कविताएं कंठस्थ थी। प्रोफेसर राय ने उल्लेख किया कि प्रोफेसर मुन्ना तिवारी गोरखपुर विश्वविद्यालय में दलित साहित्य पर कार्य करने वाले पहले शोधार्थी थे। उल्लेखनीय है कि प्रोफेसर तिवारी गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र हैं।
कार्यक्रम का विषय प्रवर्तन करते हुए हिंदी विभाग के प्रोफेसर राजेश कुमार मल्ल ने कहा कि निराला को इस समय याद किया जाना जरूरी है। प्रोफ़ेसर मल्ल ने कहा कि निराला ने अपने समय में सत्ता के सभी केंद्रों को चुनौती दी और उनकी साहित्यिक यात्रा चुनौतीपूर्ण थी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हिंदी एवं संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर दीपक प्रकाश त्यागी ने कहा कि हिंदी विभाग में शीलवान छात्रों की परंपरा रही है। विभाग की योजनाएं विद्यार्थियों को साहित्य का संस्कार देने की है। उन्होंने विद्यार्थियों को अपने समय के प्रश्नों से टकराने के लिए तैयार रहने को कहा। प्रोफेसर त्यागी ने कहा कि कवि को वर्तमान समय के प्रश्नों के परिप्रेक्ष्य में मूल्यांकित किया जाना चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग के प्रोफेसर प्रत्यूष दूबे ने तथा धन्यवाद ज्ञापन संस्कृत विभाग के डॉ सूर्यकांत ने किया।
इस अवसर पर हिंदी के सहायक आचार्य डॉ नरेंद्र कुमार, डॉ रामनरेश राम, डॉ संदीप कुमार यादव, डॉ. अखिल मिश्रा, डॉ. सुनील कुमार यादव, डॉ. अभिषेक शुक्ल और संस्कृत विभाग की डॉ. रंजन लता, डॉ. डॉक्टर धर्मेंद्र कुमार, डॉ. देवेंद्र पाल, डॉ. कुलदीप शुक्ल तथा पत्रकारिता विभाग के अतिथि शिक्षक डॉ. रजनीश कुमार चतुर्वेदी सहित विभाग के सभी छात्र छात्राएं उपलब्ध रहे।