आचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र
अध्यक्ष – रीलीजीयस स्कॉलर्स वेलफेयर सोसायटी
22 अप्रैल से बृहस्पति का होगा राशि परिवर्तन
लगभग एक वर्ष के लिए पुनः बृहस्पति हो रहे हैं मेष राशिगत
देवगुरु बृहस्पति को शुभ फल देने वाला ग्रह माना जाता है।ये वैभव ,धन, संपदा के कारक हैं। विगत 13 अप्रैल सन 2022 को इनका प्रवेश मीन राशि में हुआ था। मीन राशि में मार्गी अवस्था, अर्थात सीधी अवस्था में इनका प्रवेश हुआ था और 24 जुलाई 2022 को मीन राशि में ही रहकर वक्री हो गए थे। पुनः 24 नवंबर 2022 को मार्गी हुए। अब 22 अप्रैल सन 2023 को मेष राशि में प्रवेश करेंगे। इससे कई राशियों को विशेष लाभ प्राप्त होगा, वही सिंह राशि, तुला राशि, धनु राशि और कुंभ राशि को प्रतिकूल फल देंगे। जिनकी कुंडली में बृहस्पति अशुभ है उन्हें बृहस्पति के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए कुछ उपाय करना चाहिए।
बृहस्पति को प्रार्थना और भक्ति का स्वामी माना जाता है।ये देवताओं के गुरु कहलाते हैं। ग्रह के साथ ही इन्हें वैदिक देवता और आराध्य देव भी माना जाता है। यह देवताओं के लिए प्रार्थना और बलि या हवि के प्रदाता हैं। यह मनुष्य और देवताओं के मध्य मध्यस्थता करते हैं। ज्ञान और वाग्मिता के देवता माने जाते हैं। पुराणों के अनुसार इन्होंने बार्हस्पत्य सूत्र की रचना की थी। इनका रंग स्वर्ण या पीला माना जाता है। इनके पास दंड, कमल और जपमाला रहती है। ऋग्वेद के अनुसार बृहस्पति को अंगिरा ऋषि का पुत्र माना जाता है। इनके दो भाई और है। ये है उतथ्य और संवर्तन। इन की तीन पत्नियां हैं प्रथम पत्नी शुभा से सात पुत्रियां- भानुमति , राका ,अर्चिश्मति, महामति, महिष्मति ,सिनीवाली और हविष्मति का जन्म हुआ है। दूसरी पत्नी तारा से सात पुत्र और एक पुत्री हुई।
तीसरी पत्नी ममता से दो पुत्र-कच और भारद्वाज का जन्म हुआ। बृहस्पतिवार को बृहस्पति देव की आरती करने का विधान है। बृहस्पति ने प्रभास के तट पर शिव की अखंड तपस्या कर गुरु की पदवी प्राप्त की थी। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें नवग्रह में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया था। कच वृहस्पति के पुत्र है या भ्राता, इस विषय में विद्वानों में मतभेद है। महाभारत के प्रसंग के अनुसार कच उनके भाई हैं। ज्योतिष के अनुसार बृहस्पति शुभ ग्रह हैं। यह धनु और मीन राशि के स्वामी हैं। यह कर्क राशि में उच्च भाव में रहते हैं और मकर इनकी नीच राशि है। सूर्य चंद्रमा और मंगल बृहस्पति के मित्र हैं। शुक्र और बुध शत्रु है। शनि का तटस्थ हैं। वैदिक ज्योतिष में इन्हें आकाश तत्व माना गया है। गुरु पिछले जन्म के कर्म, धर्म, दर्शन,ज्ञान और संतानों से संबंधित विषयों का प्रतिनिधित्व करते हैं। जिनकी कुंडली में बृहस्पति उच्च होता है वह जीवन में प्रगति करते हैं, साम्राज्य और समृद्धि की वृद्धि प्राप्त करते हैं।
मधुमेह का संबंध बृहस्पति से माना जाता है। नवग्रहों में बृहस्पति यंत्रणा का कारक माना जाता है।ये पीला रंग, सुवर्ण,वित्त,कोश, कान ्धर्म,ज्ञान, संस्कारों को नियंत्रित करते हैं शरीर में पाचन,मेला ,आयु की अवधि कै भी निर्धारित करते हैं। पंचतत्वों में आकाश तत्त्व का अधिपति होने से इनका प्रभाव व्यापक और विराट होता है। महिलाओं के जीवन में दांपत्य और विवाह की जिम्मेदारी बृहस्पति ग्रह से तय होती है।
बृहस्पति के कमजोर होने से व्यक्ति के संस्कार कमजोर होने लगते हैं विद्या और धन प्राप्ति में बाधा के साथ-साथ व्यक्ति को बड़ों का सहयोग पाने में बाधाएं आती हैं। पाचन तंत्र कमजोर होने लगता है। कैंसर और लीवर की समस्याएं आती है और संतान पक्ष की समस्याएं भी परेशान करती है। वह निम्न कर्म की ओर झुकाव रखता है और बड़ों का सम्मान नहीं करता है। बृहस्पति के शुभ होने पर वह विद्वान होता है, उसे सम्मान की प्राप्ति होती है। उनके ऊपर देवी कृपा होती है ।जीवन में सफलता प्राप्त करता है ऐसे लोग आमतौर पर धर्म कानून या कोष के कार्यों में देखे जाते हैं। यदि बृहस्पति केंद्र में हो या पाप प्रभाव से मुक्त हो तो व्यक्ति की सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। कभी-कभी बृहस्पति अहंकारी और भोजन प्रेमी बनाता है।
बृहस्पति को अनुकूल बनाने के लिए बृहस्पतिवार को उपवास रखा है। नमक का सेवन न करें। केले के वृक्ष का आरोपण करें और उसे जल दें। पीपल के वृक्ष का लगाना भी हितकर रहता है। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। बुजुर्गों का सम्मान करें। फलदार वृक्ष लगा है परंतु एक बात ध्यान दें है कि यदि बृहस्पति अच्छा फल नही दे रहे हैं तो स्वर्ण की माला न पहने। प्रातः काल केसर मिश्रित या हल्दी मिला जल से स्नान करें। भोजन में केसर का प्रयोग करें। गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का पाठ करें। केले के फल, पीला वस्त्र का दान भी करें। हल्दी और पुस्तक का दान भी किया जाता है।
12 वर्ष के बाद बृहस्पति का मेष राशि में गोचर परिवर्तन हो रहा है। वैसे तो बृहस्पति करीब 13 महीने में राशि परिवर्तन करते हैं लेकिन मेष राशि में इनका गोचर लगभग वर्ष बाद हो रहा है। विभिन्न राशियों के लोगो को विभिन्न फल प्राप्त होंगे।
मेष राशि- इस राशि वालों के ऊपर काम का अत्यधिक बोझ रहेगा। ध्यान अपने लक्ष्य पर केंद्रित करेंगे। काम को निपटाने के लिए शीघ्रता से बचें। यह इनके लिए अच्छा रहेगा। परिवार का सहयोग मिलेगा। धन संचय की ओर प्रवृत्ति बनी रहेगी।
वृषभ राशि- वृषभ राशि वालों को सभी के साथ सम्मानजनक और विनम्र व्यवहार रखना चाहिए। व्यवहार में प्रतिकूलता से विपरीत प्रभाव पड़ेगा। पूर्व संचित धन काम आएगा। इस राशि वाले नए कार्य की रूपरेखा बनाएंगे।
मिथुन राशि- इस राशि वालों के लिए अच्छा रहेगा। यह आय का साधन प्राप्त होंगे। प्रतियोगी परीक्षा में अच्छे फलों की प्राप्ति होगी। कारोबार और आय के हिसाब से यह राशि वालों के लिए अच्छा ही रहेगा।
कर्क राशि- इस राशि वाले अपने कार्य में व्यस्त रहेंगे। यात्रा का योग बनेगा ।दांपत्य जीवन में मधुरता आएगी। कैरियर की अच्छी संभावनाएं बनेगी।
सिंह राशि – इस राशि वालों के लिए गुरु नवे भाव में गोचर करेगा या भाग्य के प्रबंधन के हिसाब से अच्छा रहेगा। कारोबार में उन्नति, अचानक धन प्राप्ति का योग बन रहा है।
कन्या राशि- व्यवसाय परियोजना के लिए विस्तार के लिए अनुकूल समय है। सहयोगी के साथ लगे रहेंगे । लाभ प्राप्त होगा। दांपत्य में मधुरता बनी रहेगी। इन राशि वालों के लिए के लिए निवेश के लिए अच्छा समय है।
तुला राशि- गुरु का गोचर सप्तम भाव में होगा इससे शुभ फलों की प्राप्ति होगी। इच्छाएं पूरी होगी कैरियर में उन्नति है। खान-पान का ध्यान रखें। स्वास्थ्य अनुकूल रहेगा।
वृश्चिक राशि- कार्यक्षेत्र और पारिवारिक जीवन में कठिनाई, नौकरी में उतर पुथल का योग, परन्तु मीडिया और पब्लिसिटी के क्षेत्र में काम करने वालों के लिए अच्छा समय।
धनु राशि- गुरु पंचम भाव में गोचर करेंगे और जीवन में तरक्की यात्रा का संयोग प्राप्त होगा। लंबित कार्य पूरे होंगे।
मकर राशि- पूरे उत्साह से अपने काम में लगे रहेंगे । नियत समय पर कार्य करने का अच्छा प्रभाव प्राप्त होगा। अधिकारियों से सहयोग मिलेगा और प्रिय जनों का साथ प्राप्त होगा।
कुंभ राशि- आर्थिक स्थिति में उतार-चढ़ाव प्राप्त होगा। इसलिए आर्थिक स्थिति पर ध्यान दें। जीवनसाथी का सहयोग प्राप्त होगा। धन संचय करेंगे परिवार में सुख शांति का माहौल बना रहेगा।
मीन राशि- द्वितीय भाव में गोचर कर रहे हैं यह शुभ योग है। रोग से जुड़ी परेशानी समाप्त होगी। भाग्य में वृद्धि होगी ।शुभ फलों की प्राप्ति उचित समय है।