गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर योगदा सत्संग ध्यान केंद्र न्यू सोहबतियाबाग प्रयागराज के सद्गुरु परमहंस योगानंद जी की विशेष पूजा अर्चना की गई इस पावन पर्व पर बोलते हुए सुधाकर तिवारी ने कहा कि परमहंस योगानंद जी का यह बात बार-बार दोहराया करते थे कि गुरु ईश्वर की जीवंत रूप होते हैं और सतगुरु के सानिध्य में शिष्य की पूर्व सुरक्षा होती रहती है। एक सद्गुरु का शिष्य के जीवन में क्या महत्व होता है इस विषय पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने आगे कहा कि जैसे बिना मालिक एक फूल सूख कर मिट्टी में मिल जाता है। वही जब देख रेख करने वाला माली हो तो वहीं कुछ मंदिर में भगवान के गले का हार बन जाता है वही स्थिति स्वरूप एक शिष्य की होती है। सभ्यता सर्व व्याप्त एवं सर्व शक्तिमान संपन्नता को ईश्वर के गुण होते हैं।
वही सारी विशेषता ईश्वर प्राप्त सद्गुरु की होती है ।श्री तिवारी जी ने कहा कि मां जगदंबा जो रामकृष्ण परमहंस को प्रकट होकर अपने हाथों भोजन करा करती थी 1 दिन सद्गुरु के लिए उन्हें भी निर्देशित करती हैं ।कहां तक कहीं जितनी महान विभूतियां रही सद्गुरु की शरण में ही पूरे खली और अमर हो गई सद्गुरु की कृपा प्राप्त करने के लिए कबीर दास जी को यहां तक की सीढ़ियों पर भी लिखना पड़ा एक सद्गुरु सर सर सामर्थ होता है किंतु ईश्वर की इच्छा के बिना कुछ नहीं करता सुरेश चंद गुप्ता ने गुरु भक्ति से ओतप्रोत भजन प्रस्तुत किया ध्यान एवं साधना के बीच या कार्यक्रम संपादित हुआ कार्यक्रम के अंत में भंडारे का आयोजन किया गया उपस्थित महत्वपूर्ण गुरु भक्तों में श्री जमुना प्रसाद पाठक डॉक्टर ओम प्रकाश श्रीवास्तव उमेश चंद श्रीवास्तव रमेश चंद्र चौबे आदि थे।