नए पीएचडी अध्यादेश को तैयार करने के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित

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युवा प्रतिभाओं को गुणवत्तापूर्ण शोध को बढावा देने की प्रतिबद्धता में एक बड़ी छलांग होगा नया पीएचडी अध्यादेश: कुलपति

एनआईआई ब्यूरो

गोरखपुर। शोध एवं अनुसंधान में गुणवत्ता तथा शैक्षणिक परिदृश्य में अकादमिक लचीलेपन को बढ़ावा देने के लिए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो पूनम टंडन ने एक महत्वपूर्ण कदम लेते हुए नए पीएचडी अध्यादेश तैयार करने का निर्णय लिया है। कुलपति ने नए पीएचडी अध्यादेश को तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया है। नया पीएचडी अध्यादेश राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में उल्लिखित सिद्धांतों तथा यूजीसी पीएचडी अधिनियम 2022 को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाएगा। कुलपति प्रो टंडन ने कहा कि विश्वविद्यालय बहु-विषयक शोध एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने और असाधारण शोध एवं अनुसंधान क्षमताओं का प्रदर्शन करने वाले उत्कृष्ट विद्यार्थियों के विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए यह निर्णायक कदम लिया जा रहा है।

उच्च स्तरीय समिति का गठन

इस समिति के संयोजक विश्वविद्यालय के अनुसंधान एवं विकास सेल के निदेशक प्रोफेसर दिनेश यादव को बनाया गया है। प्रो सुनीता मुर्मू, प्रो पूजा सिंह, प्रो राजर्षि गौड़ तथा डॉ रामवंत गुप्ता को इस समिति में सदस्य बनाया गया है। नवगठित समिति में विभिन्न संकायों के सदस्य शामिल हैं। समिति में विविध प्रतिनिधित्व यह सुनिश्चित करने के लिए है कि नया पीएचडी अध्यादेश में अकादमिक दृष्टिकोण के व्यापक स्पेक्ट्रम को शामिल किया जाये और विश्वविद्यालय में शोध एवं अनुसंधान कार्यक्रमों के समग्र विकास में योगदान दे।

असाधारण शोध एवं अनुसंधान कौशल का प्रदर्शन करने वाले स्नातक छात्रों को मिलेगा शोध करने का अवसर

नए पीएचडी अध्यादेश में समिति उन महत्वपूर्ण प्रावधानों पर विचार करेगी जिनमें उन छात्रों के लिए अवसर हो जो अपने स्नातक अध्ययन के दौरान असाधारण शोध एवं अनुसंधान कौशल का प्रदर्शन करते हैं। कुलपति ने कहा कि इस प्रावधान के तहत, शोध घटक(रिसर्च कॉम्पोनेन्ट) के साथ चार साल के स्नातक कार्यक्रम में 75% से अधिक अंक वाले स्नातक छात्रों के पास स्नातकोत्तर डिग्री हासिल करने की आवश्यकता के बिना अनुसंधान कार्यक्रमों में सीधे प्रवेश पाने का विकल्प होगा।

कुलपति कहा कि “नया पीएचडी अध्यादेश हमारे संस्थान में युवा प्रतिभाओं को पोषित करने और अनुसंधान की गुणवत्ता को बढ़ाने की हमारी प्रतिबद्धता में एक बड़ी छलांग होगा।” हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि हमारे छात्रों को अनुसंधान के अपने चुने हुए क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए सर्वोत्तम संभव शिक्षा और अवसर प्राप्त हों।

यह पहल गोरखपुर विश्वविद्यालय को उच्च शिक्षा में उत्कृष्टता एव नवाचार के केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करती है। नया पीएचडी अध्यादेश निस्संदेह शोध के लिए अनुकूल माहौल तैयार करेगा, अकादमिक नवाचार को बढ़ावा देगा और छात्रों को अपनी शोध महत्वाकांक्षाओं को अधिक आसानी से आगे बढ़ाने में सक्षम बनाएगा।

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