अग्निपथ योजना सेना का फैसला, मत घसीटें इसे राजनीति के दल दल में

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  • अग्निवीर देश की मेरुदंड बनेंगे

  • सेना की नौकरी जॉब नहीं जज्बा

एनआईआई ब्यूरो

भारतीय सेना दुनिया में शौर्य में अपना अहम स्थान रखती है। इस देश में राजनीति का स्तर इतना गिर गया है कि सेना के मामले में भी राजनेता राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे। सेना के बालाकोट ऑपरेशन का सबूत मांगने का मामला लोगों की स्मृतियों में सदा के लिए अंकित है।अग्निवीर योजना को लेकर जिस तरह से युव को गुमराह करके पूरे देश को आग में झोंक दिया गया है वह बहुत चिंताजनक है। वजह यह फैसला कृषि कानून की तरह सत्ताधारी पार्टी ने अकेले नहीं लिया है। इस निर्णय में सेना के जवानों के साथ सेना के जनरलों के गहन मंथन के बाद लाया गया है। सरकार ने सिर्फ अपनी सहमति की मुहर भर लगाई है। भारतीय सेना 1989 से इस योजना की जरूरत को महसूस कर रही थी। बावजूद इसे अमली जामा पहनाने के लिए जनरल और सोल्जर दोनों स्तर पर दो साल तक इस पर जबरदस्त विचार विमर्श और मंथन का दौर चला है।

आज के परिवेश में सेना की चुनौतियां केवल पड़ोसी मुल्कों से लगी सीमाओं तक सीमित नहीं रह गई हैं। वह ग्लोबल हो गई है। अब हर देश को खासतौर से भारत जिस तरह से चीन पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों से घिरा है उसको देखते हुए उसे अपनी सेना को और यंग बनाने के साथ अत्याधुनिक वारफेयर तकनीक से लैस करने की जरूरत आन पड़ी है। अब सेना की युद्ध तकनीक पूरी तरह से बदल रही है। अब लड़ाई तकनीक और उच्चस्तरीय रणनीति की है। ड्रोन तकनीक ने तो पूरा युद्ध का परिदृश्य ही बदल दिया है। अब सेना में ऐसे युवाओं की जरूरत है जो तकनीक सेवी होने के साथ नई वार टेक्नॉलजी को तेजी के साथ आत्मसात कर सकें। 17 से 21 साल की उम्र वाले युवा इस नई तकनीक को बहुत जल्दी एडॉप्ट करने में सक्षम हैं।

वजह वे ऐसे युग में पैदा हुए हैं जहां वे इस दुनिया में आने के साथ ही मोबाइलऔर कंप्यूटर की दुनिया से न केवल रूबरू हो रहै हैं बल्कि उसमें नए नए इन्नोवेशन भी कर रहे हैं। अगर सच पूछिए तो इस नई योजना के दीर्घकालिक परिणाम बहुत सुखद होंगे। समूचे देश में न केवल अनुशासित बल्कि मानसिक और शारीरिक स्तर पर ऐसे कुशल युवाओं की बड़ी तादात होगी बल्कि देश भी सशक्त होकर उभरेगा। सेना से प्रशिक्षण पाकर जब ये फौलादी युवा समाज के अन्य क्षेत्रों में अपनी सेवाएं देंगे तो उसकी गुणवत्ता अतुलनीय होगी।

आइए इस योजना की कमियों और अच्छाइयों पर तटस्थ रूप से विश्लेषण करते हैं –

यहां बता दें कि दुनिया में कम से कम 100 देश ऐसे हैं जहां सेना में कम से कम दो साल काम करना अनिवार्य है। इजराइल इसका अभूतपूर्व उदाहरण हैं। वहां चाहे आप नेता हों या अभिनेता या कवि, डाक्टर हों या कम्प्युटर वैज्ञानिक आपको सेना में काम करना ही है। केवल शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को इसमें छूट मिली हुई है। अब बात भारत में लागू हो रही नई सैन्य सेवा अग्निवीर पद्धति की। इसके अनुसार सेना में चार साल नौकरी का विकल्प है। आपको यह नौकरी करने के लिए कोई बाध्य नहीं कर सकता. ना ही सेना की इस नौकरी से देश की अन्य नौकरी पर कोई असर पड़ने वाला है।

अग्निवीर एक ऐसा माध्यम है जिसके तहत सेना में मात्र चार साल की नौकरी सुनिश्चित की गई है। उसके बाद उसमें से 25% अग्नीवीर जो सबसे काबिल होंगे, को स्थाई रूप से सेना मे नौकरी मिलेगी। शेष 75% चार साल के बाद किसी अन्य नौकरी में जाने के लिए स्वतंत्र होंगे। यदि कोई 17 साल में आर्मी ज्वाइन करता है तो 21 में वह रिटायर होगा। 24 में ग्रैजुएट होगा और उस समय उसके पास सेना की शानदार ट्रेनिंग और 12 लाख रुपये का बैलेंस होगा। इस योजना का जो यह कहकर विरोध कर रहे हैं या विरोध को हवा दे रहे हैं उनसे जरा पूछने की जरूरत है कि आखिर कितने फीसदी युवा हैं जिनके पास 21 की उम्र में नौकरी के साथ 12 लाख रुपये की एकमुश्त रकम इकट्ठी हो पाती है। हालत यह है कि बहुत से ऐसे युवा हैं जो प्राइवेट सेक्टर या पब्लिक सेक्टर में काम कर रहे हैं और 40 की उम्र तक उनके पास एकमुश्त 12 लाख रुपये इकट्ठा नहीं हो पाते।

यदि मानकर चलें कि वर्तमान में सेना में प्रतिवर्ष 50,000 की भर्ती होती है। यह भर्ती हर साल नियमित होती रहेगी और जैसे जैसे सेना अपनी ट्रेनिंग क्षमता में वृदधि करेगी भर्ती की संख्या में भी इजाफा होता रहेगा। जैसा कि युवाओं के देशव्यापी उपद्रव के बाद तीनों सेनाओं की साझा प्रेस कान्फ्रेंस में इसे बताया भी गया। अर्थात कुछ समय बाद 1.5 लाख लोग (75%) प्रत्येक साल सेना में चार साल नौकरी करने के बाद ओपेन जॉब मारकेट में आ जाएँगे और 50 हजार (25%) सामान्य रूप में सेना में स्थाई रूप से समाहित कर लिए जाएंगे।

अब ये डेढ़ लाख लोग पूर्ण रूप से देश के वह युवा होंगे जिन्हें सेना में चार साल रहने का अनुभव और किसी भी स्थिति का सामना करने का प्रशिक्षण होगा। गौर करने की बीत यह है कि सेना में प्रशिक्षण केवल हथियार चलाने के लिए नहीं होता है। हथियार चलाना तो कुल प्रशिक्षण का 10% भी हिस्सा नहीं है। अन्य 90% प्रशिक्षण शारीरिक और मानसिक प्रशिक्षण होता है जिससे विपरीत परिस्थितियों में जीना सीख सकें। शारीरिक और मानसिक रूप से प्रशिक्षित 1.5 लाख लोग अन्य जॉब, जैसे फ्लिपकार्ट, मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव, सेल्समैन, लाजिस्टिक/ट्रांस्पोर्टेशन इत्यादि जैसे लाखों सेवाओं लिए उपलब्ध रहेंगे। जाहिर है ऐसी संस्थाएं जब युवाओं को हायर करेंगी तो सेना से प्रशिक्षित अग्निवीर युवा उनकी पहली प्राथमिकता होंगे।

प्राइवेट कम्पनियाँ जो आज इस बात के लिए भारत की निंदा करती हैं कि यहाँ के लोगों मे स्किल उपलब्ध नहीं है, उनको पके पकाए 1.5 लाख लोग प्रतिवर्ष मिलेंगे जो ईमानदारी और अनुशासन की शिक्षा लेकर आए हैं। इससे प्राइवेट इंडस्ट्री को बूम मिलेगा। कल्पना कीजिए कि आज से बीस साल बाद 22 लाख आर्मी से प्रशिक्षित युवाओं (जिनकी उम्र 35 से कम होगी) की फौज होगी जिनको कभी भी युद्ध अथवा शांति के समय में प्रयोग में लाया जा सकता है। जिन्हें सरकारी नौकरियों और उसके पेंशन का क्रेज है वे इस कटु सत्य को भी जान लें। वर्तमान में देश में सिर्फ 1% परिवार सरकारी नौकरी की बदौलत चलते हैं. 99% लोग अपना रोजगार खुद करते हैं। सवाल ये है कि कानून किसके पक्ष में बनना चाहिए, जिससे 99% लोगों का भला हो या फिर 1% लोगों का ? खास बात यह है कि इस अग्निवीर योजना से सरकार का खर्च कम होगा। इससे भविष्य की तकनीकआधारित सेना की जरूरतों के मुताबिक उसे सुसज्जित किया जा सकेगा। यही नहीं जनता के टैक्स के पैसे 1% के ऊपर खर्चा न होकर 99% अन्य लोगों की भलाई और बेहतरी के लिए खर्च किया जा सकेगा।

जो लोग इस बात की दलील दे रहे हैं कि इस ठेका पद्धति से सेना कमजोर होगी। यूक्रेन का उदाहरण भी दिया जा रहा है। दरअसल ये तर्क इसलिए भी गले से नीचे नहीं उतरता कि कोई भी सरकार चाहे कितनी भी निकम्मी क्यों न हो अपने देश की सुरक्षा व्यवस्था से समझौता नहीं कर सकती वह भी मौजूदा दौर में जहां चुनौतियां ही चुनौतियां हैं और सेना सबसे ज्यादा उन चुनौतियों को फेस कर रही हो। ऐसा करने की कोई सोच भी नहीं सकता। दरअसल हमारे देश के कुछ लोगों (जिसमें राजनीतिक दल भी शामिल हैं) की फितरत रहती है कि वे किसी भी सुधार का पहले विरोध करते हैं। तकनीक के बारे में यह और भी ज्यादा है। याद करिए जब शुरू शुरू में इस देश में कंप्यूटर लाए जा रहे थे तो इसे बड़े बड़े दानीश्वर यह कहते हुए खारिज कर रहे थे कि इससे मनुष्य की कार्य क्षमता घटेगी।रचनात्मकता प्रभावित होगी। लोगों की नौकरियां चली जाएंगी। आज कंप्यूटराइजेशन का परिणाम सामने है। न नौकरियां गईं न रचनात्मकता घटी उल्टे इसमें कई गुना वृद्धि हुई। आज कंप्यूटर हर भारतीय के जीवन का अभिन्न अंग हो गया है। अब निरक्षर उसे कहा जाने लगा है जो कंप्यूटर नहीं जानता।

दरअसल जिस तरह से सरकारी नौकिरयां मिलने के बाद लोगों में गैरजिम्मेदारी और काहिलियत बढ़ती जा रही है उसको देखते हुए सरकार जनता के टैक्स का पैसा किसी निकम्मे व्यक्ति (सरकारी नौकरी करने वाले) के लिए क्यों खर्च करेगी ? अन्य सरकारी विभाग में भी यही नियम लागू हो, आपकी नौकरी मात्र तीन-चार साल के लिए सुरक्षित है। आपको आगे बढ़ना है तो अपनी क्षमता दिनोंदिन बढ़ानी होगी। यदि आपके अंदर स्किल है तो आपको अगला काम मिलेगा वरना आप ओपेन मार्केट में हैं।

युवाओंको एक बात अपने जेहन में बैठाने की जरूरत है कि सरकार कोई भी हो वह सबको नौकरियां नहीं दे सकती और सेना में तो कत्तई नहीं। सेना में जब भी भर्तियां होती हैं कुछ हजार जगहों के लिए लाखों युवा लाइन में होते हैं उनमें कुछ ही भर्ती हो पाते हैं। अब कोई यह तर्क दे कि बेरोजगार युवाओं और उनके परिवार की परिस्थितियों को देखते हुए सेना को अपने मानक में नरमी लानी चाहिए तो यह उम्मीद ही बेमानी है। सेना जिस दिन चयन में यह शिथिलता बरतने लगेगी उस दिन इस देश की सरहदों में कुत्ते भेड़िए सब घुसने की जुर्रत करने लगेंगे। लोकलुभावन नीतियों पर चलने और आर्थिक क्षमता की अनदेखी करने का क्या हस्र होता है श्रीलंका और पाकिस्तान का उदाहरण सामने है। उससे सबक सीखने की जरूरत है। सेना में भर्ती के नियमों में बदलाव और अग्निपथ जैसी योजना लाना वक्त की मांग थी। इसे बिगत तीन दशकों से अनदेखा किया जा रहा था। जब अमेरिका, रूस, चीन, साउथ कोरिया जैसे प्रभुता संपन्न देश अपने सैन्य तंत्र में बदलाव ला रहे हों तो भारत उससे अछूता कैसे रह सकता है। उसमें भी जब चीन जैसा उसका शातिर और धोखेबाज पड़ोसी हो। शीर्ष सैन्य अधिकारी लंबे अरसे से महसूस कर रहे थे कि भारतीय सेना को और यंग होना चाहिए। खासतौर से कारगिल युद्ध में जिस तरह से सैनिकों की शहादत हुई उसकी संख्या को देखते हुए तो यह और भी जरूरी हो गया था।

युवाओं को यह समझना होगा कि सेना की नौकरी को आम नौकरी की तरह नहीं लिया जा सकता। जिसमें देशभक्ति का जज्बा नहीं है वह सेना में जा भी नहीं सकता, उसे जाना भी नहीं चाहिए। कबीर के शब्दों में कहें तो यहां जिसे खुद का सिर काटकर हथेली पर रखने का साहस नहीं है वह इस घर में घुसने का अधिकारी ही नहीं। शीश उतारे भुइं धरे सो पैठे घर माहिं। यह देशभक्ति की डगर है यहां इससे कम का सौदा है ही नहीं। दुनिया के 100 से अधिक मुल्कों की सैन्य प्रणाली का अध्ययन करने के बाद सेना के शीर्ष कमांडर इस नतीजे पर पहुंचे कि भारत के लिए अपने सैनिकों की औसत आयु कम करना बहुत जरूरी हो गया है। अभी भारतीय सेना की औसत आयु कोई 35 वर्ष है। अग्निपथ योजना के क्रियान्वयन के साथ यह दस साल और कम यानी 25 वर्ष हो जाएगी। स्मरण रहे कि भारतीय सैनिक 30-32 साल आते आते न केवल विवाहित बल्कि बाल बच्चे वाले हो जाते हैं।

जाहिर है एक शादीशुदा की गैर शादीशुदा की तुलना में जोखिम लेने की क्षमता कम हो जाती है। 30-32 साल की तुलना में 18 से 25 साल के युवा ज्यादा डैंजर जोन में जाने की क्षमता रखते हैं और उनकी तुलना में साहसऔर जोश से भी अधिक भरे होते हैं। आज पाकिस्तान के साथ चीन भारत के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। वह अपनी सेना और आयुध का तेजी से आधुनिकीककरण कर रहा है। वहां सेना के फैसले पर न देश में कोहराम मचता है न उसे सफाई देनी पड़ती है। भारत को उनकी तुलना में और तेजी के साथ अपनी सेना का आधुनिकीकरण करना होगा। अग्निपथ योजना उसमें बहुत सहायक साबित होगी। जो लोग यह दलीलें दे रहे हैं कि चार साल की सेवा के बाद अग्निवीर रोजगार के लिए भटकेंगे। ऐसी शंका निर्मूल है। सरकार के साथ शीर्ष सैन्यअफसरों ने भी इस बारे में बहुत भरोसे के साथ आश्वस्त किया है। ये युवा अर्धसैनिक बलों और पुलिस में बहुत ही आसानी के साथ समायोजित कर लिए जाएंगे।

इस दिशा में और मंत्रालय और राज्य सरकारों के विभाग तेजी से काम कर रहे हैं। इसके अलावा निजी क्षेत्र भी इन सैनिकों के समायोजन के लिए तैयार हो रहा है। देश के नामी उद्यमी आनंद महेंद्रा ने तो पिछले दिनों ट्वीट कर अपने उद्यमों में इन युवाओं को लेने की घोषणा भी कर दी है। मगर विडंबना ही कही जाएगी कि इस देश के विपक्षी दल सेना और देश से जुड़ा मामला होने के बावजूद युवाओं को समझाने के बजाय उनके क्रोध के दावानल में पेट्रोल डालने का काम कर रहे हैं। वे इस योजना का उसी तरह से विरोध कर रहे हैं जैसे कृषि कानूनों और उसके पहले नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे थे। सरकार और सेना दोनों को यह देखना होगा कि यह विरोध कहीं किसी गहरी साजिश के तहत तो नहीं किया जा रहा है।

आइए जानें अग्निवीरों को क्या-क्या सुविधाएं मिलने जा रहीं :

गौरतलब है कि जो लोग इस बात को लेकर युवाओं को गुमराह कर रहे हैं कि इन अग्निवीरों का स्थान सेना में दोयम दर्जे का होगा यह एक बड़े झूठ से अधिक कुछ नहीं है। सेना में चार साल के लिए भर्ती इनअग्निवीरों को अपने सेवाकाल के दौरान बहादुरी का प्रदर्शन करने पर नियमित सैनिकों की तरह ही शौर्य पुरस्कारों से नवाजा जाएगा।तीनों सेनाओं में भर्ती होने वाले अग्निवीरों को लेकर अभी तक जो जानकारी साझा की गई है उसके मुताबिक सेवाकाल के दौरान सभी अग्निवीरों को लगभग वही सारी सुविधाएं प्राप्त होंगी जो एक नियमित सैनिक को मिलती हैं। केवल वेतन का फर्क होगा।

ये सुविधाएं नहीं मिलेंगी :

सेवानिवृत्ति के बाद अग्निवीरों को पूर्व सैनिकों की तरह कोई सुविधा नहीं प्राप्त होगी। मसलन कैंटीन सुविधा, ग्रेच्युटी, पेंशन आदि नहीं मिलेगी। अलबत्ता चार साल की सेवा के बाद उन्हें 11-12 लाख की एकमुश्त रकम मिलेगी। इससे वे अपना खुद का कोई रोजगार शुरू कर सकते हैं।

आइए अब इस योजना के बारे में युवाओं के मन में उठ रही शंकाओं और वास्तविकता को सवाल जवाब की शक्ल में समझते हैं :

अग्निपथ योजना से जुड़ी कुछ जरूरी बातें एक नजर में :

क्या है अग्नपथ योजना : इसके तहत भारतीय सशस्त्र बलों में चार साल की अवधि के लिए योग्य उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा। ऐसे सैनिकों को अग्निवीर के रूप में जाना जाएगा। चार साल की अवधि के बाद इनमें से 25 प्रतिशत युवाओं को सेना में नियमित कर लिया जाएगा। शेष अग्निवीर चार साल की अवधि के बाद ये युवा समाज में वापस लौचेंगे और अपने पसंद का कैरियर चुनने के लिए स्वतंत्र होंगे।

योग्यता : इनकी उम्र साढ़े सत्रह से 21 साल के बीच होगी। केवल इस बार 23 साल तक के युवा भर्ती हो सकेंगे। यह दो साल का मौका इसलिए दिया जा रहा है कि कोरोना के कारण दो साल सेना में भर्तियां नहीं हुई थीं।थलसेना, नौसेना और वायुसेना में भर्ती के सारे नियम पुराने वाले ही रहेंगे। जैसे जनरल ड्यूटी (जीडी) सैनिक की भर्ती के लिए शैक्षिक योग्यता दसवीं पास ही रहेगी।अलगअलग श्रेणी में दसवीं और बारहवीं पास युवकों को मौका मिलेगा।

अग्निवीरों का वेतन : हर अग्निवीर को भर्ती के पहले साल 30 हजार वेतन मिलेगा। दूसरे साल 32 हजर, तीसरे साल 36500 और चौथे साल यह वेतन 40000 हो जोगा। हालांकि इनकी सैलरी में से हर माह सेवानिधि पैकेज के लिए इस वेतन में 30 फीसदी कटौती होगी। यानी 30000 के वेतन में से 21000 रुपये ही हैथ आएंगे। बाकी के 9000 रुपये अग्निवीर कारपस फंड मं जमा होंगे और सरकार भी उसमें इतना ही अपना अंशदान देगी।

सवाल : चार साल के बाद अग्निवीरों का क्या होगा ?

जवाब : मौजूदा नियमों के मुताबिक 25 फीसदी तक अग्निवीर सेना में स्थाई हो जाएंगे। सेना से कार्यमुक्त हुएअग्निवीरों को केंद्र और राज्य सरकारें रोजगार में प्राथमिकता देंगी। सीआरपीएफ और असम राइफल्स के अलावा यूपी, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार की पुलिस भर्तियों में मौका मिलेगा। हरियाणा सरकार ने कहा है कि वह 75 फीसदी अग्निवीरों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता देगी। इसमें 25 फीसदी को स्थाई नौकरी देगी।

सवाल : जो 21 से 23 साल के बीच भर्ती होंगे वे चार साल सेना की नौकरी के बाद ओवरएज हो जाएंगे, क्या तब भी उन्हें मौका मिलेगा।

जवाब : प्रक्रिया शुरू हो जाने के बाद इस बारे में स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।

सवाल : दुनिया में यह मॉडल किसी और देश में भी लागू है या सरकार नया प्रयोग कर रही है?

जवाब : सरकार के मुताबिक ज्यादातर देशों में इस तरह की अल्पकालीन भर्ती योजना लागू है। इसयोजना को लागू करने के पहले इजराइल, अमेरिका, चीन, युके, फ्रांस, रूस जर्मनी के सैन्य मॉडलों को परख कर इसे हमारी सेना की जरूरतों के मुताबिक विकसित किया गया है।

सवाल : अग्निवीरों की रैंक क्या होगी ?

जवाब : इस नई स्कीम के तहत ऑफिसर रैंक के नीचे के सैनिकों की भर्ती होगी। यानी इनकी रैंक पर्सनल बिलो ऑफिसर रैंक (पीबीओआर) के तौर पर हेगी। इन सैनिकों की रैंक अभी सेना में होने वाले कमीशंड आफिसर और नॉन कमीशंड ऑफीसर की नियुक्ति से अलग हेगी।

सवाल : सेवा के दौरान शहीद होने पर क्या होगा ?

जवाब: सभी अग्निवीरों का 48 लाख का बीमा कवर होगा जिसके लिए उन्हें कोई किश्त नहीं चुकानी होगी। हालांकि पहले बीमा कवर एक करोड़ रुपये बताया गया था। ड्यूटी के दौरान मृत्यु होने पर 44 लाख रुपये की अतिरिक्त अनुग्रह राशि मिलेगी। इसके अलावा परिवार को सेवानिधि सहित चार सालों तक सेवा न किए गए हिस्से का भी भुगतान किया जाएगा।

सवाल :  अगर दिव्यांग हुए तो क्या होगा ?

जवाब: अक्षमता के परसेंटेज के अनुसार मुआवजा दिया जाएगा। 100 फीसदी अक्षमता पर 44 लाख रुपये, 75 फीसदी पर 25 लाख रुपये, और 50 फीसदी अक्षमता पर 15 लाख रुपये दिये जायेंगे।

सवाल : क्या अग्निपथ योजना महिलाओं के लिए भी खोली जाएगी ?

जवाब : इस बात की परिकल्पना की गई है कि सशस्त्र बलों में महिलाओं को शामिल करने हेतु भविष्य में महिलाओ की प्रगतिशील तरीके से भर्ती की जाएगी।

सवाल :कितनी बार भर्ती होगे अग्निवीर, इस साल कितने सैनिकों की भर्ती होगी।

जवाब : इस साल 46000 अग्निवीरों की भर्ती होगी लेकिन इस दौरान सेना के तीनों अंगों में इस तरह की आर्मी भर्ती नहीं होगी।

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