सभी विभागाध्यक्ष टीचिंग असिस्टेंट और रिसर्च असिस्टेंट रख सकेंगे

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एनआईआई ब्यूरो

गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश सिंह की अध्यक्षता में 16 जुलाई को आयोजित संकायाध्यक्ष और विभागाध्यक्षों की बैठक में यह बात स्पष्ट कर दी गई है कि किसी शोध छात्र या अन्य को टीचिंग और एग्जामिनेशन की जिम्मेदारी न दी जाए । इस बात पर भी चर्चा हुई कि विभाग अच्छे शोध छात्रों को एक कमेटी द्वारा चयनित करेगा उनको टीचिंग असिस्टेंट और रिसर्च असिस्टेंट घोषित करेगा जो कि शिक्षण, परीक्षा और रिसर्च में विभाग की सहायता कर सकेंगे। ऐसे शोध छात्रों की सूची सभी विभागाध्यक्ष एक सप्ताह के अंदर कुलसचिव को भेजेंगे ऐसे टीचिंग असिस्टेंट और रिसर्च असिस्टेंट को 500 रूपया प्रति लेक्चर और महीने में अधिकतम 25,000 रूपया प्रदान किया जाएगा और शिक्षण, रिसर्च परीक्षा का प्रमाणपत्र भी दिया जाएगा। कुलपति प्रो राजेश सिंह से सोमवार को मिलने आए हिंदी और अंग्रेजी विभाग समेत कुछ अन्य विभागों के विभागाध्यक्षों को स्पष्ट किया गया है कि सत्र 2019-20 और 2020-21 के शोधार्थियों का शोध पंजीकरण शीध्र कराए।

शोध पर्यवेक्षक का आवंटन कराएं, सिनोप्सिस बनवाएं और सिनोप्सिस सेमिनार में बाहरी विशेषज्ञ को आमंत्रित कर सिनोप्सिस का प्रस्तुतीकरण कराया जाए। इसके साथ ही शोधार्थी अपना शोध कार्य आरंभ कर दें । विश्वविद्यालय द्वारा प्रीपीएचडी परीक्षा का परिणाम घोषित कर विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। मार्कशीट के लिए आवेदन करने पर शीघ्र ही मिल जाएगी । मार्कशीट के इंतजार में किसी भी शोधार्थी का शोध कार्य, सिनोप्सिस का प्रस्तुतिकरण तथा पंजीकरण न रोका जाए कुलपति ने कहा कि 16 जुलाई और इससे पूर्व में संकायाध्यक्षों और विभागाध्यक्षों के साथ आयोजित बैठक और 30 जून को आयोजित संयुक्त शोध उपाधि समिति की बैठक में स्पष्ट कर दिया गया है कि सभी विभागाध्यक्षों , शोध पर्यवेक्षकों की जिम्मेदारी है कि शोध छात्रों का शोध अध्यादेश के अनुरूप कार्य को आगे बढ़ाए । यदि कोई भी विभागाध्यक्ष या शोध पर्यवेक्षक शोधार्थियों के पंजीकरण और शोध कार्य में बाधा उत्पन्न करता है तो विश्वविद्यालय उनपर उचित कार्रवाई करेगा।

ऐसे कुछ शोधार्थियों के द्वारा शिकायतें कुलपति को मिली हैं । जो पंजीकरण की प्रक्रिया सिनोप्सिस की प्रक्रिया को ठीक से नहीं होने दे रहे हैं। विश्वविद्यालय द्वारा उपरोक्त बैठकों में यह बात स्पष्ट किया गया है कि इसके लिए अलग से कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किया जाएगा सभी विभाग 31 जुलाई तक अपने सभी शोधार्थियों का पंजीकरण , सिनोप्सिस का निर्माण, सिनोप्सिस के विषय को अनुमोदित कराकर शोध कार्य को शुरू कर देंगे तथा इसकी जानकारी कुलसचिव को उपलब्ध करा देंगे। जिस भी शोध पर्यवेक्षक के द्वारा 31 जुलाई तक यह कार्य पूर्ण नहीं किया जाएगा तो उनसे शोध छात्र को वापस ले लिया जाएगा । विश्वविद्यालय की तीनों बैठकों में यह भी स्पष्ट कर दिया गया था कि सत्र 2020-21 के शोध छात्रों का उनकी उपस्थिति के आधार पर शोध पर्यवेक्षक , फेलोशिप का फार्म विभाग से पूर्ण कर अधिष्ठाता छात्र कल्याण को अग्रसारित कर दें। जिन विभागाध्यक्षो और शोध पर्यवेक्षक द्वारा यह नहीं किया जाएगा तो यह मान लिया जाएगा की शोध निर्देशक का कार्य करने में उनकी कोई रूचि नहीं है।

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