- बारिश में बदलाव को देखते हुए हीट और कोल्ड एक्शन प्लान बनाना होगा
एनआईआई ब्यूरो
गोरखपुर। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव अब जमीनी स्तर पर महसूस किए जा रहे हैं और पूरी दुनिया में ऋतु चक्र परिवर्तन के साथ-साथ भिन्न-भिन्न इलाकों में अलग-अलग किस्म के प्रभाव पड़ रहे हैं। ऐसे में अब इस बात की जरूरत है कि स्थानीय स्तर की वास्तविकताओं और चुनौतियों पर आधारित कार्य योजनाएं तैयार की जाएं और इसे क्रियान्वित भी किया जाए। गोरखपुर जनपद में आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने इस तरह की परियोजनाओं पर जोर दिया है और इसके बेहतर परिणाम भी मिले हैं। आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में अध्ययन और कार्य कर रहे युवाओं के लिए इन परियोजनाओं में काम करने के ढेरों अवसर हैं।
यह विचार जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व राजेश कुमार सिंह ने आज रक्षा अध्ययन विभाग , डीडीएमए तथा यूनीसेफ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में व्यक्त किया। ग्रामीण क्षेत्रो के लिए आपदा प्रबंधन योजना तैयार करने और जलवायु परिवर्तन के परिणामों और निपटने के उपायों पर केंद्रित इस कार्यशाला में आवड प्रबंधन के क्षेत्र से जुड़ी सभी एजेंसियों, स्वास्थ्य विभाग, पंचायती राज विभाग के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित यूनीसेफ की प्रोग्राम ऑफिसर डॉक्टर उर्वशी चंद्रा ने अपने उद्बोधन में कहा कि अब वह समय आ गया है जब प्रत्येक जनपद को अपने अपने क्षेत्र के लिए हीट एक्शन प्लान और कोल्ड एक्शन प्लान तैयार करनी चाहिए । यही नहीं चूंकि अब वर्षा अपना पैटर्न बदल रही है ऐसे में ग्राम वासियों से अधिकाधिक इनपुट लेने की आवश्यकता है क्योंकि हो सकता है कि भविष्य में हमें खेती बारी या जुताई बुवाई का समय बदलना पड़े।
इस अवसर पर बोलते हुए इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ गांधीनगर के प्रो महावीर गोलेचा ने अपने संस्थान द्वारा तैयार किए गए हीट एक्शन प्लान के विषय में जानकारी देते हुए उन प्रवृत्तियों और परिस्थितियों पर चर्चा की जिसके चलते 2013 में तैयार यह योजना अहमदाबाद हीट एक्शन प्लान के नाम से विश्व भर में चर्चित हुई। इस अवसर पर जिला आपदा विशेषज्ञ गौतम गुप्ता ने ग्रामीण क्षेयरों में आपदा प्रबंधन कार्य योजना का एक विस्तृत प्रारूप प्रस्तुत किया जिस पर उपस्थित विशेषज्ञों ने महत्वपूर्ण इनपुट एवं विचार भी रखे।
अपने विचार रखते हुए आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ घनश्याम मिश्रा ने इस बात पर जोर दिया की जलवायु परिवर्तन से होने वाले दुष्प्रभाव के विरुद्ध तैयारी एकांगी नहीं होनी चाहिए बल्कि क्लाइमेट रेसिलियंस के विषय में पूरे समुदाय में जागरूकता और समझ पैदा करनी चाहिए।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट पीएल शर्मा ने इस कार्यशाला और इसमें तैयार किए गए आपदा प्रबंधन कार्य योजना की प्रशंसा करते हुए कहा की आवश्यकता इस बात की है कि हम अधिक से अधिक लोगों से संवाद करें और और लोगों की सूचनाओं का इस्तेमाल करते हुए एक समन्वित कार्य योजना तैयार करें। सिविल डिफेंस के डिप्टी कमांडेंट सत्य प्रकाश सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए और कहा विकास के साथ-साथ यह भी बहुत जरूरी है कि हम बेहतर आपदा प्रबंधन योजनाएं बनाएं। इससे पूर्व स्वागत वक्तव्य में रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन विभाग के अध्यक्ष प्रो हर्ष कुमार सिन्हा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विभाग द्वारा संचालित आपदा एवं राष्ट्रीय सुरक्षा प्रबंधन पाठ्यक्रम, उसकी विशेषताओं एवं उपलब्धियों की चर्चा की तथा आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में विभाग की प्रतिबद्धता और योगदान के विषय में अतिथियों को आश्वस्त किया।
कार्यशाला के अंत में प्रो श्रीनिवास मणि त्रिपाठी ने प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर भविष्य की कार्य योजना प्रस्तुत की। प्रो प्रदीप कुमार यादव ने सभी आगत अतिथियों का आभार ज्ञापन किया। इस अवसर पर प्रोफेसर विनोद कुमार सिंह, प्रो वीना बत्रा कुशवाहा, प्रो रवि शंकर सिंह, डॉआरती यादव, डॉ विजय कुमार, एडिशनल सीएमओ डॉ ए के चौधरी, अग्निशमन विभाग के बृज मोहन सिंह, डीडीएमए के तकनीकी विशेषग्य मनोज कुमार जायसवाल, ज़िला पंचायत राज विभाग के अजय कुमार सिंह,एन डी आर एफ, एस डी आर एफ के प्रतिनिधिगण, भारत सेवा मिशन के डॉ आशीष श्रीवास्तव, अमित सिंह पटेल सहित बड़ी संख्या में आपदा विशेषज्ञ, आपदा सखियां, आपदा मित्र तथा विद्यार्थी गण उपस्थित रहे।