देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर सारा देश ज़ोर शोर से आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। दूरदर्शन भी अपनी भूमिका का निर्वाह करते हुए इस महायज्ञ में मेगा-सीरियल- ‘स्वराज – भारत के स्वतंत्रता संग्राम की समग्र गाथा’ के माध्यम से अपनी आहुति अर्पित कर रहा है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम की समग्र गाथा पर आधारित कुल 75 एपिसोड्स के इस धारावाहिक का प्रसारण दूरदर्शन पर विगत 14 अगस्त से हर रविवार रात 9 से 10 बजे तक किया जा रहा है। इसका पुनः प्रसारण शनिवार की रात भी देखा जा सकता है। देश के वीर सपूतों-बलिदानियों की गौरव गाथा पर आधारित इस सीरियल की विशेषता यह है कि इसमे जहाँ एक तरफ़ मंगल पांडे, रानी लक्ष्मीबाई, भगतसिंह, महाराज शिवाजी, तात्या टोपे, मैडम भीकाजी कामा, चंद्रशेखर आज़ाद जैसे प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियाँ हैं तो वहीं
रानी अबक्का, बक्शी जगबंधु, तिरोत सिंह, सिद्धो कान्हो मुर्मु, शिवप्पा नायक, कान्हो जी आंग्रे, रानी गाइदिन्ल्यू और तिलका मांझी जैसे अनसुने नायकों और वीरांगनाओं की साहसपूर्ण कथा-कहानियां भी शामिल हैं जिन्हें या तो लोग जानते तक नहीं या यूं कहें कि जिन्हें भुला दिया गया।
अनेक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के अदम्य साहस की गाथाओं को पुन: जीवंत करने के उद्देश्य से गुमनाम नायक-नायिकाओं से युवा पीढ़ी समेत जन जन को परिचित कराने का प्रयास करते इस धारावाहिक में सिर्फ़ आज़ादी की गौरव गाथा का ही बखान नहीं है, बल्कि अंग्रेजों के अलावा फ्रांसीसी, डच और पुर्तगालियों ने हमारे देश को कैसे लूटा, हमारे ख़िलाफ़ क्या क्या षड्यंत्र किये इन तथ्यों को भी इस धारावाहिक में शामिल किया गया है। इस शो में वास्को डि गामा के भारत आगमन की वास्तविक कथा को भी दिखाया जाएगा। इस धारावाहिक की महत्ता का अंदाज़ इसी बात से लगाया जा सकता है कि संसद के बालयोगी सभागार में इसकी ‘स्क्रीनिंग’ की विशेष व्यवस्था की गई जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कैबिनेट सहयोगियों केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर, गृह मंत्री अमित शाह समेत कई अन्य मंत्रियों के साथ शामिल हुए। लोकसभा अध्यक्ष माननीय ओम बिड़ला और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी इस मौके पर ख़ासतौर पर उपस्थित रहे।
इस धारावाहिक में सम्मिलित ‘वीर सपूतों के नामों’, घटनाओं और तथ्यों को देखने के बाद ये कौतूहल होना स्वाभाविक है कि क्यों और कैसे ऐसी कहानियों को हमारे इतिहास के पन्नों से दूर रखा गया। इतना ही नहीं बल्कि हाल के वर्षों से पहले देश की एकमात्र लोक प्रसारक संस्था होने के बावजूद दूरदर्शन का भी ध्यान इस ओर नहीं गया ! बहरहाल ये एक अलग विमर्श का विषय है। देर आयद दुरुस्त आयद’ की कहावत को चरितार्थ करते हुए दूरदर्शन के वर्तमान सी.ई.ओ मयंक अग्रवाल के भगीरथ प्रयास से आज यह धारावाहिक न केवल दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल से हिन्दी में प्रसारित हो रहा है बल्कि इसका प्रसारण क्षेत्रीय भाषाओं तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम, मराठी, गुजराती, उड़िया, बंगाली और असमिया के साथ ही अंग्रेजी में भी दूरदर्शन के क्षेत्रीय चैनल्स पर किया जा रहा है।
विशिष्ट व्यक्तियों के साथ ही देश के जनसामान्य जागरूक दर्शकों में भी इस धारावाहिक के प्रति ख़ासा रुझान देखा जा रहा है। इसमें सम्मलित नायक-नायिकाओं के बारे में जान कर लोग दाँतों तले उँगली दबाने को मजबूर हो रहे हैं कि ऐसी महत्वपूर्ण वीर गाथाओं से देश अब तक अपरिचित क्यों रहा! इस महत्वपूर्ण प्रसारण के लिए प्रसार भारती मुख्य प्रशासनिक अधिकारी मयंक अग्रवाल के साथ उनकी पूरी टीम और दूरदर्शन बधाई के पात्र हैं।
( लेखक दूरदर्शन के समाचार वाचक/कमेंट्रेटर/वरिष्ठ पत्रकार और स्वतंत्र लेखक स्तम्भकार हैं।)