आचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र
अध्यक्ष – रीलीजीयस स्कॉलर्स वेलफेयर सोसायटी
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ऐसे धमकाया शेख अब्दुल्ला को सरदार पटेल ने
जम्मू कश्मीर में नेहरू की एकछत्र दखल से सरदार परेशान थे । पंडित नेहरू शेख अब्दुल्ला पर बहुत भरोसा करते थे । शेख अब्दुल्ला का दिमाग आसमान पर चढ़ गया था । वे एक बार दिल्ली आए। उन्होंने फरमाया कि कश्मीर की हैसियत भारत से अलग है। वे नहीं चाहते तो जम्मू कश्मीर का भारत में विलय नहीं होता। जम्मू कश्मीर में मुसलमानों के हक हुकूक की पूरी हिफाजत होनी चाहिए। सरदार पटेल ने उनकी यह बात सुनी तो अपनी प्राइवेट सेक्रेटरी को बुलाया । उससे कहा कि शेख अब्दुल्ला को फोन मिलाओ। शेखअब्दुल्ला ने फोन उठाया। प्राइवेट सेक्रेटरी ने सरदार की ओर फोन बढ़ा दिया। सरदार पटेल ने प्राइवेट सेक्रेटरी से कहा । मैं जो बात कहता हूं शेख अब्दुल्ला से उसे कह दो। मैं उससे बात नहीं करना चाहता। तुम मेरा मैसेज शेख अब्दुल्ला तक पहुंचा दो। सरदार पटेल का मैसेज शेख अब्दुल्ला के लिए चौंकाने वाला था । प्रइवेट सेक्रेटरी ने शेख से कहा, सरदार साहब कहते हैं कि जो बात शेख अब्दुल्ला ने प्रेस कान्फ्रेंस में कही उसे एक बार दोहरा दें। सरदार पटेल का वादा है कि वे शेख साहब को गिरफ्तार कर जेल में ठूंस देंगे । शेख अब्दुल्ला ने प्राइवेट सेक्रेटरी के जरिए भिजवाया गया संदेश सुना तो उनके होश उड़ गए । अगली फ्लाइट से श्रीनगर पहुंच गए ।
वहां से पंडित नेहरू को फोन किया। नेहरू जी, सरदार पटेल मुझे दिल्ली में गिरफ्तार करना चाहते थे। उनके प्राइवेट सेक्रेटरी ने मुझे गिरफ्तार करने की धमकी दी । मैं यह बेइज्जती बरदाश्त नहीं कर सकता । पंडित नेहरू ने यह सुना तो सरदार साहब को फोन किया । पूछा, क्या आपने शेख अब्दुल्ला को दिल्ली में गिरफ्तार करने की धमकी दी है। सरदार पटेल ने दो टूक कहा, हां मैंने शेख अब्दुल्ला को धमकी दी है। वह श्रीनगर में कुछ भी बकवास करता रहे दिल्ली देश की राजधानी है । मैं भारत का गृहमंत्री हूं। गद्दारी की बातें जो करेगा उसकी जगह जेल में ही होनी चाहिए। आपने शेख अब्दुल्ला को बहुत सर चढ़ा रखा है। आपको अपने फैसले पर भविष्य में दुबारा विचार करना पड़ेगा।
दूरदर्शी सरदार साहब की बात में दम था। पंडित नेहरू को आगे चलकर शेख अब्दुल्ला को गिरफ्तार करने के लिए मजबूर होना पड़ा। पंडित नेहरू चीन के प्रशंसक थे। वे चाऊ-एन-लाई पर फिदा थे। उन दिनों देश में हिंदी चीनी भाई भाई का नारा गूंज रहा था। सरदार पटेल ने पंडित नेहरू को एक विस्तृत पत्र लिखा। उसमें उन्होंने पंडित नेहरू को सावधान किया। उन्होंने लिखा कि आपका भरोसा चीनियों पर चाहे जितना हो, चीन भारत का मित्र नहीं हो सकता । एक दिन वह हिमालय पारकर भारत पर हमला करेगा । हमें अपनी सेनाओं को इस हमले के खिलाफ तैयार रखना चाहिए। सरदार पटेल दूरदर्शी भविष्यद्रष्टा थे । ऐसे नेता अब उंगली पर ही गिने जा सकते हैं।
सरदार पटेल देवदास गांधी पर यकीन रखते थे। वे अक्सर देवदास गांधी से उनका हालचाल पूछ लिया करते थे। देवदास गांधी उन दिनों देश के एक राष्ट्रीय अंग्रेजी हिंदी दैनिक के मैनेजिंग एडिटर थे । बातचीत के दौरान सरदार ने कहा हैदराबाद पर पुलिस कार्रवाई होगी। देवदास गांधी ने शाम के शिफ्ट के न्यूज एडिटर को यह खबर दे दी । कहा यह खबर विदेशी संस्करण के लिए नहीं है। यह कल सुबह अखबार में प्रकाशित होगी । मैं तुम्हें इसलिए बता रहा हूं कि तुम कल शाम को हैदराबाद पर एक आलेख तैयार रखना। न्यूज एडिटर दक्षिण भारत का टैलेंटेड पत्रकार था । उसे रहा नहीं गया । एक्सक्लूसिव खबर हो तो पत्रकार का मन उसे जाहिर करने के लिए छटपटाता है ।
न्यूज एडिटर ने विदेश संस्करण में यह खबर छाप दी । देवदास गांधी का नियम था कि वे रात में 12 बजे विदेश संस्करण जाग कर पढ़ते थे । उन्होंने अखबार का विदेश संस्करण पढ़ा तो चौंक उठे। जिस प्लेन से यह अखबार विदेश में जाता था वह दिल्ली से उड़ चुका था ।देवदास गांधी ने हवाई अड्डे को टेलीफोन किया । कहा प्लेन से अखबार का बंडल उतार दो । हवाई अड्डे के मैनेजर ने कहा सॉरी सर ! प्लेन तो कराची पहुंच चुका होगा । देवदास गांधी को बहुत पछतावा हुआ । उन्होंने सरदार पटेल को फोन पर यह बात बताई । अपनी भूल के लिए माफी मांगी । सरदार पटेल ने कहा, भूल तो मुझसे हुई है । मुझे छिपाने वाली हर बात तुम्हें नहीं बतानी चाहिए थी।