डीडीयू गोरखपुर विश्वविद्यालय को देश के चुनिंदा संस्थानों में शामिल करने को यूजीसी को लिखा पत्र

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एनआईआई ब्यूरो

गोरखपुर। डीडीयू गोरखपुर के कुलपति प्रो राजेश सिंह ने यूजीसी के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार को पत्र लिखकर गोरखपुर विश्वविद्यालय को उन भारतीय संस्थानों की सूची में शामिल करने के लिए कहा है, जिनके साथ 49 विदेशी विश्वविद्यालय सहयोग की तलाश में हैं। डीडीयू गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति का अनुरोध यूजीसी अध्यक्ष की वक्तव्य के मद्देनजर आया है कि “49 विदेशी विश्वविद्यालयों भारतीय संस्थानों के साथ गठजोड़ के लिए आगे आएं हैं। पत्र में कुलपति प्रोफेसर सिंह ने यूजीसी के इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि यह समय की मांग है। शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण पर नई शिक्षा नीति का फोकस वर्तमान परिदृश्य में प्रभावकारी है। कुलपति गोरखपुर विश्वविद्यालय ने कहा कि 49 अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों को आकर्षित करने का मौजूदा यूजीसी का कदम एनईपी के उद्देश्य के अनुरूप बेहतरीन कदमों में से एक है। प्रो सिंह ने कहा कि भारतीय विश्वविद्यालयों को एनईपी 2020 द्वारा प्रचारित दोहरी डिग्री कार्यक्रमों के साथ-साथ नई परियोजनाओं, डिसिप्लिन और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के फैकल्टी को जोड़ने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके।

कि छात्र अपनी धरती पर वांछित अंतरराष्ट्रीय उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें। हीफा (उच्च शिक्षा अनुदान एजेंसी) को उच्च शिक्षा में विशेष रूप से अनुसंधान और विकास में दोहरी डिग्री कार्यक्रम में शामिल परिसरों का समर्थन करने के लिए आगे आना चाहिए जो मानकों के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि पिछले कई वर्षों से हम भारतीय संस्थानों में विदेशी छात्रों की आमद में तेजी लाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं लेकिन वृध्दि प्रभावशाली नहीं है। ये छात्र केवल नेपाल, अफगानिस्तान, सार्क और अफ्रीकी देशों जैसे देशों से हैं। निश्चित रूप से 35000 छात्रों (2012) से 50000 छात्रों (2021) तक की आमद प्रभावशाली नहीं है, केवल पिछले 10 वर्षों में 15000 छात्रों की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा मैं यूजीसी के कदम की सराहना करता हूं और आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुरविश्वविद्यालय को यूजीसी-49 अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के नेटवर्क में विशेष रूप से दोहरी डिग्री कार्यक्रमों के लिए रखें। नब्बे प्रतिशत भारतीय छात्र गोरखपुर विश्वविद्यालय जैसे राज्य विश्वविद्यालयों से स्नातक कर रहे हैं, न तो राज्य सरकार और न ही केंद्र सरकार के पास ऐसे विश्वविद्यालयों के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए कोई विशेष कार्यक्रम है जिनका भारत में उच्च शिक्षा प्रणाली में प्रमुख योगदान हैं।

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