एनआईआई ब्यूरो
गोरखपुर। दी.द.उ. गोरखपुर विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग में समाजशास्त्र विषय के प्रणेता अगस्त कोंत
की जयन्ती अवसर पर “वर्तमान समय में अगस्त कोंत के विचारों की प्रासंगिकता” विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में क्विज़ एवं भाषण प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। इस दौरान विद्यार्थियों द्वारा विश्वविद्यालय को नैक ए प्लस प्लस ग्रेड प्राप्त होने की खुशी भी मनाई गई।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. आनंद प्रकाश सिंह ने व्याख्यान देते हुए कहा कि अगस्त कोंत के द्वारा दिए गए विचार पर ही समाजशास्त्र की धारा विकसित हुई, जो आज तक सामाजिक समस्याओं के निवारण में सहायक है। वर्तमान समय में उत्तराखंड में जोशीमठ का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि हम प्रगति तो कर रहे हैं लेकिन मानवता कहां रह गई है, विचार करना आवश्यक है। कोंत ने समाजशास्त्र विषय की स्थापना करते हुए ही मानवता की बात की थी।
प्रो आनंद सिंह ने पूर्व छात्र के रूप में समाजशास्त्र विभाग में बिताई गई स्मृतियों का सांझा किया और विभाग की महान ज्ञान परंपरा पर अपने विचार रखे।
कार्यक्रम में विषय प्रवर्तन एवं अगस्त कोंत के योगदान पर प्रकाश डालते हुए विभागाध्यक्ष प्रो. संगीता पाण्डेय ने कहा कि समाजशास्त्र को मानवता के विज्ञान के रूप में देखा जाना चाहिए। प्राप्त ज्ञान को किस प्रकार समाज के कल्याण में लगा सकते हैं यह विचार करना आवश्यक है। अगस्त कोंत ने वैज्ञानिक ज्ञान को मानवता के कल्याण के लिए प्रयोग करने पर बल दिया था। कोंत ने समाज विषयक वैज्ञानिक ज्ञान प्राप्त करके उसे मानवता कर कल्याणार्थ प्रयोग करने की सदैव पैरवी की।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. मनीष पाण्डेय ने किया
आभार ज्ञापन दीपेंद्र मोहन सिंह ने किया। इस दौरान प्रो. अंजू, डॉ. पवन कुमार तथा शोध छात्रों में मंतोष कुमार यादव, सुधीर कुमार, अंजनी, मंसा सिंह, धर्मेंद्र, गोविंद, नीलू, आशुतोष जायसवाल, अदिति सिंह एवं एम.ए. के छात्रों उपस्थिति रही।
पुरस्कार एवं प्रमाणपत्र वितरण भी किया गया
अगस्त कोंत के योगदान पर आयोजित क्विज प्रतियोगिता में एम. ए. प्रथम वर्ष की दो छात्राओं सुभी त्रिपाठी एवं बीनू सिंह को प्रथम, तहरीम को द्वितीय एवं आकांक्षा राय को तृतीय स्थान मिला। पुरस्कार के रूप में इन्हें पुस्तक प्रदान की गई और सभी 24 प्रतिभागियों को सहभागिता का प्रमाणपत्र दिया गया।