एनआईआई ब्यूरो
नई दिल्ली 27 फरवरी। इंडियन विमेन प्रेस कॉर्प्स, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, डिजिटल पत्रकार डिफेन्स क्लिनिक, नेटवर्क ऑफ विमेन इन मीडिया, इंडिया एवं डिजीपब समेत राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न पत्रकार निकायों के प्रतिनिधियों ने सामूहिक रूप से प्रेस क्लब ऑफ इंडिया परिसर में सीपीजे ट्रस्ट लॉ “अपने अधिकारों को जानें” विधिक पुस्तिका का लोकार्पण किया। यह व्यावहारिक मार्गदर्शिका, जो अंग्रेजी और हिंदी भाषा में उपलब्ध है, यह पत्रकारों को भारतीय कानून के तहत उपलब्ध अधिकारों, उपायों और सुरक्षा उपायों की कामकाजी समझ का ज्ञान कराती है और भारत में एक पत्रकार के अधिकार क्या हैं जैसे सवालों से अवगत कराती है। आपराधिक कार्रवाई का सामना करने पर पत्रकार कैसे निवारण प्राप्त करते हैं? SLAPP सूट (सार्वजनिक भागीदारी के खिलाफ रणनीतिक मुकदमा) के मामले में एक पत्रकार क्या कर सकता है? ऑनलाइन दुर्व्यवहार का सामना करने पर एक पत्रकार कैसे निवारण प्राप्त करता है? ऐसे प्रश्नों समेत और भी बहुत कुछ इस मार्गदर्शिका में वर्णित है। यह दस्तावेज पत्रकारों को अपने कानूनी अधिकारों को समझने की बढ़ती आवश्यकता को प्रदर्शित करता है।
थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन की वैश्विक निशुल्क सेवा ट्रस्ट लॉ एवं लॉ फर्म शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी ने भारत में पत्रकारों के लिए इस संसाधन को विकसित करने के लिए कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान की है। इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों को संबोधित करते हुए, एशिया के लिए थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन की कानूनी कार्यक्रम प्रबंधक, जोनिता ब्रिटो मेनन ने कहा: “प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करना ऐसे समय में महत्वपूर्ण है जब गलत सूचना समाज को परेशान कर रही है। हमें अधिक उपकरण और संसाधन विकसित करने की आवश्यकता है। जिनका उपयोग मीडिया की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए किया जा सकता है। सीपीजे द्वारा भारत में पत्रकारों के लिए अपने अधिकारों को जानें मार्गदर्शिका उस दिशा में एक कदम है। थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन और ट्रस्ट लॉ इस तरह की और पहलों का समर्थन करने के लिए तत्पर हैं।
इंडियन विमेन प्रेस कॉर्प्स की कोषाध्यक्ष अंजू ग्रोवर ने कहा: ऐसे बहुत मामले हैं जहां पत्रकारों के खिलाफ कानून का गलत इस्तेमाल करने की कोशिश की गई । पत्रकारों को डराने-धमकाने की रणनीति का भी इस्तेमाल किया गया है।महिला पत्रकारों के साथ ऑनलाइन दुर्व्यहार भी एक बड़ी चिंता का विषय है। डिजीपब के महासचिव अभिनंदन सेखरी ने कहा: ‘एक ऐसी कार्ययोजना की जरूरत है,जिससे किसी पत्रकार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। उनका विश्वसनीय नेटवर्क जानता है कि कानूनी ढांचे को कैसे नेविगेट किया जाए। पत्रकारों के पास एक विश्वसनीय कानूनी स्रोत और सलाहकार होना चाहिए जो उनकी अनुपस्थिति में भी निर्णय ले सके। इनमें से अधिकांश मामलों का उद्देश्य पत्रकारों को दिवालियापन की ओर धकेलना है,इसलिए स्वतंत्र पत्रकारों के लिए एक कानूनी कोष का निर्माण करना महत्वपूर्ण है,जिनके पास संरचनात्मक समर्थन की कमी है। नेटवर्क ऑफ विमेन इन मीडिया, इंडिया की नेहा दीक्षित ने कहा: इस तरह का कानूनी गाइड होना महत्वपूर्ण है क्योंकि कानूनी प्रक्रिया की आवश्यकताओं को नेविगेट करना मुश्किल है,और एक बड़ा कानूनी नेटवर्क है जो बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है,बल्कि टियर -2 और टियर -3 शहरों तक भी फैला हुआ है। स्वतंत्र पत्रकारों और उनके परिवारों को नैतिक और सामुदायिक समर्थन देने के लिए बयान जारी करना और पत्रकारों के खिलाफ मामलों का संज्ञान लेना आवश्यक है। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष उमाकांत लखेरा ने पुस्तिका के लोकार्पण पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह मार्गदर्शिका पत्रकारों को रिपोर्टिंग करने में सहायक होगी। संवैधानिक कानून के विद्वान और डिजिटल पत्रकार डिफेंस क्लिनिक के प्रतिनिधि गौतम भाटिया ने विधिक पुस्तिका की सराहना करते हुए इसे एक अच्छा कदम बताया।