गोरखपुर यूनिवर्सिटी के भूगोल विभाग के शिक्षक के तीन पेटेंट प्रकाशित

0 0
Read Time:4 Minute, 48 Second

एनआईआई ब्यूरो

गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के डॉ अंकित सिंह ने अपनी सहकर्मी डॉ रुचिका सिंह, शोध छात्रा अंजलि शुक्ला एवं शोध छात्र अनुराग गुप्ता के साथ तीन पटेंटों का प्रकाशन किया है। भारत की जी.डी.पी. में कृषि और पर्यटन क्षेत्र का योगदान 25% से अधिक है। ऐसे में भारत में कृषि और पर्यटन को और अधिक विकसित करने की आवश्यकता है,जिसके दृष्टिगत पर्यटन परिपथ (टूरिज्म सर्किट),कृषि-पर्यटन की अपार संभावना भारत में और विशेषकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में व्याप्त है। इसी के आलोक में गोरखपुर विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के डॉ अंकित सिंह, डॉ रुचिका सिंह तथा उनके शोधकर्ताओं के तीन पेटेंट प्रकाशित हुए हैं जिनमें दो पर्यटन परिपथ (सर्किट) से और तीसरा कृषि पर्यटन से संबंधित है।

पहला अतुल्य परिपथ है जो गोरखपुर, वाराणसी, मिर्जापुर (विंध्याचल ),प्रयागराज,अयोध्या और लुंबिनी को जोड़ता है। यह परिपथ इस रूप में विशेष है की भारत में अधिकांश परिपथ किसी एक देवता, महापुरुष, संत या पर्यटन के किसी एक आयाम से ही जुड़े हैं जैसे, रामायण परिपथ, नाथ परिपथ, बुद्धा परिपथ; इको परिपथ आदि परंतु अतुल्य परिपथ, नाथ परिपथ के केंद्र गोरखपुर, रामायण परिपथ के केंद्र अयोध्या, बुद्धा परिपथ के केंद्र लुंबिनी, काशी, विंध्याचल और प्रयागराज को मिलाता है साथ ही यह समग्र (हॉलिस्टिक) पर्यटन भी प्रदान करता है जैसे, सांस्कृतिक पर्यटन, पारिस्थितिक पर्यटन, ग्रामीण पर्यटन ,हेरिटेज पर्यटन, मेडिकल पर्यटन आदि।

इस रूप में हम इस पर्यटन परिपथ को विकसित कर क्षेत्र में पर्यटन के माध्यम से रोजगार और विकास को और अधिक बढ़ावा दे सकते है।वही दूसरा पर्यटन परिपथ , सद्भावना परिपथ है जो ऐसे महापुरषों और संतो से संबंधित है जिन्होंने संसार को एकता और भाईचारा का संदेश दिया तथा समूचे विश्व को वसुधैव कुटुंबकम की विचारधारा से अवगत कराया। इसी विचारधारा को केंद्र में रखते हुए यह परिपथ, भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या, महायोगी श्री गोरक्षनाथ की नगरी गोरखपुर, भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थल कुशीनगर एवं संत कबीर के निर्वाण स्थल मगहर को जोड़ता है।

तीसरा पेटेंट ,भारत के ग्रामीण क्षेत्रों के संपोषणीय विकास के संबंध में कृषि पर्यटन (एग्रो-टूरिज्म) के नवीन अवधारणा को प्रस्तुत करता है। ग्रामीण पर्यटन के एक नवीन आयाम के रूप में कृषि पर्यटन का विकास तीव्र गति से हो रहा है जिसके केंद्र में कृषि एवं कृषक हैं। कृषि पर्यटन प्रमुख रूप से खेती की गतिविधियों से संबंधित होना चाहिए और कृषि गतिविधि से होने वाली आय को पूरक करने के लिए पर्यटन गतिविधियों के साथ मिलकर विकसित किया जाना चाहिए। एक आर्थिक रणनीति के रूप में, कृषि पर्यटन किसानों के लिए आय के वैकल्पिक स्रोत पैदा करेगा, ग्रामीण पलायन को कम करेगा, मूर्त और अमूर्त स्थानीय विरासत को संरक्षित करेगा और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देगा, जो सभी ग्रामीण कृषि समाज के सतत विकास में योगदान देंगे। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो पूनम टंडन ने इस उपलब्धि के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं।

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Blog ज्योतिष

साप्ताहिक राशिफल : 14 जुलाई दिन रविवार से 20 जुलाई दिन शनिवार तक

आचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र अध्यक्ष – रीलीजीयस स्कॉलर्स वेलफेयर सोसायटी सप्ताह के प्रथम दिन की ग्रह स्थिति – सूर्य मिथुन राशि पर, चंद्रमा तुला राशि पर, मंगल और गुरु वृषभ राशि पर, बुध और शुक्र, कर्क राशि पर, शनि कुंभ राशि पर, राहु मीन राशि पर और केतु कन्या राशि पर संचरण कर रहे […]

Read More
Blog national

तीन दिवसीय राष्ट्रीय पर्यावरण संगोष्टी सम्पन्न

द्वितीय राष्ट्रीय वृक्ष निधि सम्मान -२०२४ हुए वितरित किया गया ११००० पौधों का भी वितरण और वृक्षारोपण महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के धाराशिव ज़िले की तुलजापुर तहसील के गंधोरा गाँव स्थित श्री भवानी योगक्षेत्रम् परिसर में विगत दिनों तीन दिवसीय राष्ट्रीय पर्यावरण संगोष्टी का आयोजन किया गया। श्री भवानी योगक्षेत्रम् के संचालक गौसेवक एवं पर्यावरण संरक्षक योगाचार्य […]

Read More
Blog uttar pardesh

सनातन धर्म-संस्कृति पर चोट करते ‘स्वयंभू भगवान’

दृश्य 1 : “वो परमात्मा हैं।” किसने कहा ? “किसने कहा का क्या मतलब..! उन्होंने ख़ुद कहा है वो परमात्मा हैं।” मैं समझा नहीं, ज़रा साफ कीजिये किस परमात्मा ने ख़ुद कहा ? “वही परमात्मा जिन्हें हम भगवान मानते हैं।” अच्छा आप सूरजपाल सिंह उर्फ़ भोलेबाबा की बात कर रहे हैं। “अरे..! आपको पता नहीं […]

Read More
error: Content is protected !!