बाबा विश्वनाथ का 500 संतों ने रुद्राभिषेक कर प्रारम्भ किया संस्कृति संसद

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अयोध्या के बलिदानियों के मोक्ष की संतों ने की प्रार्थना

एनआईआई ब्यूरो

वाराणसी। संस्कृति संसद को प्रथम दिन 2 नवम्बर को श्रीकाशी विश्वनाथ में देशभर से आए 500 संतों ने रुद्राभिषेक किया। रुद्राभिषेक अनुष्ठान के तीन संकल्प हुए। जिसमें प्रथम संकल्प ‘श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के बलिदानियों की की मुक्ति और दूसरा संकल्प ‘राष्ट्र की एकता और अखंडता अक्षुण्ण रहे ‘ तथा ‘सनातन सापेक्ष सरकार बने’ तीसरा संकल्प हुआ। उक्त जानकारी अखिल भारतीय सन्त समिति एवं गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने सिगरा स्थित कैवल्य ज्ञान मंदिर में आयोजित पत्रकार वार्ता में दी। यह कार्यक्रम अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् एवं श्रीकाशी विद्वत परिषद् के मार्गदर्शन में गंगा महासभा के द्वारा आयोजित हो रहा है।

वार्ता के अध्यक्षता करते हुए स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि संस्कृति संसद का आयोजन सनातन उन्मूलन को चुनौती देने वालों को करारा जवाब देने के लिए किया जा रहा है। इसके साथ ही राम मंदिर आंदोलन में बलिदान हए कारसेवकों की आत्मा की मुक्ति के लिए काशी विश्वानाथ मंदिर में 500 संतों द्वारा रुद्राभिषेक किया जाएगा। वहीं 3 से 5 नवम्बर तक रुद्राक्ष में आयोजित होने वाले कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताते हुए स्वामी जी ने कहा कि  संस्कृति संसद  में 3 नवम्बर को धर्म विमर्श, 4 नवम्बर को मातृ विमर्श और  5 नवम्बर को युवा विमर्श का आयोजन होगा। इन सत्रों में सनातन से जुड़े सभी पहलुओं पर विचार होगा और वामपंथी तथा सनातन धर्म विरोधियों द्वारा उठाये गए प्रश्नों का शास्त्रीय उत्तर भी दिया जाएगा।

धर्म विमर्श में सनातन हिन्दू धर्म से जुड़े प्रश्नों और वर्तमान में मिल रही चुनौतियों पर विचार किया जाएगा। मातृ विमर्श में सनातन हिन्दू धर्म में मातृ केन्द्रित व्यस्थाओं और विभिन्न वैश्विक सम्प्रदायों और मज़हबों में नारी की स्थिति और स्त्री स्वतन्त्रता पर विचार किया जाएगा। चौथे और अन्तिम दिन युवा विमर्श में युवाओं से जुड़े विषयों पर बात होगी। कार्यक्रम के संयोजक गोविंद शर्मा ने कहा कि 2 नवंबर को सभी संत सुबह रविदास घाट पर पहुचेंगे जहां से सभी संत बजड़े के माध्यम से गंगा द्वार पर पहुचेंगे। इसके बाद उनके द्वारा गंगा पूजन किया जाएगा। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की ओर से संतो का स्वागत किया जाएगा।

 

इस संस्कृति संसद में देश के 400 जिलों से 127 सम्प्रदायों के 1200 संत सम्मलित होंगे। देश के विभिन्न भागों से संतो का आना प्रारंभ हो गया है। अभी तक 250 संत काशी पहुँच चुके है। प्रेस वार्ता में स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती के साथ अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैवल्य पीठाधीश्वर अविचल देवाचार्य, महाराष्ट्र के महामंडलेश्वर जनार्दन हरि जी, मध्यप्रदेश के महामंडलेश्वर मनमोहन दास राधे राधे बाबा, महाराष्ट्र से महामंडलेश्वर गोपाल चैतन्य, उड़ीसा के स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती, श्रीकाशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो राम नारायण द्विवेदी, आयोजन समिति के अध्यक्ष विधायक कैलाश खरवार, कार्यक्रम संयोजक गोविंद शर्मा, आयोजन समिति के सचिव सिद्धार्थ सिंह आदि मौजूद रहे।

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