आचार्य शरद चंद्र मिश्र रचित भारतीय ज्योतिष परंपरा और सिद्धांत का विमोचन

0 0
Read Time:8 Minute, 4 Second
  • फलित ज्योतिष को जानने और जीवन में सदुपयोग के लिए तप, ज्ञान जरूरी : प्रो अनंत मिश्र
  • ज्योतिष और आयुर्वेद को बाजारवाद से बचाने की जरूरत : प्रो अरविंद त्रिपाठी

एनआईआई ब्यूरो

गोरखपुर। प्रख्यात ज्योतिर्विद आचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र रचित पुस्तक भारतीय ज्योतिष परंपरा एवम सिद्धांत का लोकार्पण किया गया। यह पुस्तक वैदिक काल से प्रारम्भ होती है और आधुनिक काल के ज्योतिष ग्रंथों की विवेचना से परिपूर्ण है। इसमें आर्यभट्ट की कृतियों,इनका भारतीय ज्योतिष में योगदान, भारतीय ज्योतिष की आधारशिला को मजबूत करने वाले वराहमिहिर और उनके पश्चात के कृतियों से भरा है। पश्चिमी और भारतीय ज्योतिष का तुलनात्मक विवेचन भी है। पंच सिद्धान्तिका ( सूर्य सिद्धांत,पैतामह सिद्धांत, वशिष्ठ सिद्धांत,रोमक सिद्धांत,पौलिश सिद्धांत)पर बहुत कुछ कहा गया है। सूर्य सिद्धांत पर पूरी तरह प्रकाश डाला गया है। ज्योतिष के परिवर्तित क्रम का भी इतिहास है।इस पुस्तक में ज्योतिष के इतिहास के साथ सिद्धांतों के विषय में विशद प्रकाश डाला गया है। पुस्तक 536 पृष्ठ की है और इसमें 310 अध्याय है।विदेशी विद्वानों का जिन्होंने भारतीय ज्योतिष को कुछ हद तक प्रभावित किया है,उनके बारे में भी लिखा गया है। भारतीय पक्ष के साथ साथ हिपार्कस,टालमी और अलबेरूनी के बारे में भी बताया गया है।

ज्योतिष हमारी प्राच्य विद्या परंपरा की एक अमूल्य धरोहर है जो सृष्टि के ग्रहों की गणना के आधार पर मनुष्य जीवन को प्रभावित करता है। लेकिन फलित ज्योतिष के निष्कर्षों को जानने और जीवन में सदुपयोग करने के लिए तप, ज्ञान की आवश्यकता होती है। साधारण व्यक्ति ज्योतिष को नही समझ सकता अतः बिना गुरु के मार्गदर्शन के ज्योतिष का सर्वांग अध्ययन संभव नही।

ये विचार प्रो अनंत मिश्र ने शुक्रवार को प्रेस क्लब में आयोजित आचार्य पंडित शरदचंद्र मिश्र द्वारा रचित पुस्तक ‘भारतीय ज्योतिष परंपरा एवं सिद्धांत ’ के लोकार्पण के अवसर पर प्रकट किया। वे प्रेस क्लब के सभागार में गोरखपुर के लेखकों, पत्रकारों और ज्योतिष के क्षेत्र में रुचि रखने वाले महानुभावों की उपस्थिति में कहा। उन्होंने कहा कि जिसके भाग्य में ज्योतिष ज्ञान नही हैं वो ज्योतिष का अध्येता नहीं बन सकता।

समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में हिंदी के विख्यात आलोचक प्रो अरविंद त्रिपाठी ने अपने वक्तव्य में ज्योतिष को विज्ञान माना, उनका मानना था कि आज ज्योतिष को भाग्यवाद में परिवर्तित कर दिया गया है। जो मनुष्यता के विकास में बाधक हैं। क्योंकि मनुष्य के पुरुषार्थ का सबसे बड़ा शत्रु भाग्यवाद है। आज ज्योतिष को ज्ञान की परंपरा में विकसित न करके बाजार में उतार दिया गया है। जहां पटरी पर बैठ कर लोग मनुष्य के भाग्य का निर्धारण कर रहे है। ऐसे में नई पीढ़ी को इस भाग्यवाद से बचने की जरूरत है। इसलिए मेरी निगाह में आज ज्योतिष और आयुर्वेद दोनों बाजार की भेंट चढ़ चुके हैं। जरूरत है आज इससे बचने की।

ज्योतिष हमारी प्राच्य विद्या परंपरा की एक अमूल्य धरोहर है जो सृष्टि के ग्रहों की गणना के आधार पर मनुष्य जीवन को प्रभावित करता है। लेकिन फलित ज्योतिष के निष्कर्षों को जानने और जीवन में सदुपयोग करने के लिए तप, ज्ञान की आवश्यकता होती है। साधारण व्यक्ति ज्योतिष को नही समझ सकता अतः बिना गुरु के मार्गदर्शन के ज्योतिष का सर्वांग अध्ययन संभव नही।

ये मौलिक विचार प्रो अनंत मिश्र ने शुक्रवार को प्रेस क्लब में आयोजित आचार्य पंडित शरदचंद्र मिश्र द्वारा रचित पुस्तक ‘भारतीय ज्योतिष परंपरा एवं सिद्धांत ’ के लोकार्पण के अवसर पर प्रकट किया। वे प्रेस क्लब के सभागार में गोरखपुर के लेखकों, पत्रकारों और ज्योतिष के क्षेत्र में रुचि रखने वाले महानुभावों की उपस्थिति ज्योतिष परंपरा का अवगाहन करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि जिसके भाग्य में ज्योतिष ज्ञान नही हैं वो ज्योतिष का अध्येता नहीं बन सकता।

इस अवसर पर प्रो चित्तरंजन मिश्र ने अपने सुचिंतित वक्तव्य में कहा हमारा समय और समाज सिद्धांतो और आदर्शो को तिरोहित करने वाला समाज बन गया है। आदर्श की बात यदि सर्वथा त्याज्य है तो उस समाज को गिरने से कौन बचा सकता है। आज व्यवसायिकता के दबाव में ज्योतिष की महत्ता घट रही है। इसे घटाने में तथाकथित ज्योतिषियों का योगदान हैं। जिससे समाज को निजात पाने की आवश्यकता है। विशिष्ट अतिथि नरेंद्र उपाध्याय ने कहा ज्योतिषी को केवल ज्योतिष ही नही जानना चाहिए हर विषय का ज्ञान होना चाहिए। प्रेस क्लब के अध्यक्ष मार्कंडेय मणि त्रिपाठी ने कहा मैं ज्योतिष के बारे अपने पिता से जान पाया।

इस अवसर पर पुस्तक के लेखक शरद चंद्र मिश्र ने अपनी लेखन प्रक्रिया और ज्योतिष को समझने की कोशिशों का जिक्र करते हुए कहा कि दरअसल यह पुस्तक मैं 5 वर्ष में पूरा किया हूं पर इसके बीज मेरे भीतर वर्षो से पड़े थे। समारोह के संयोजक वरिष्ठ पत्रकार विजय कुमार उपाध्याय ने इस आयोजन और पुस्तक के महत्व के बारे में चर्चा की। धन्यवाद ज्ञापन दुर्गा प्रसाद मिश्र ने किया। इस अवसर पर पत्रकार अशोक चौधरी, वीरेंद्र मिश्र दीपक, कुंदन उपाध्याय, समाजसेवी ईश्वर मणि ओझा, अरविंद त्रिपाठी, रमेश मिश्र, नागेश्वर त्रिपाठी, शीतला प्रसाद पाण्डेय आदि लोग मौजूद थे।

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Blog कला संस्कृति

काला नमक चावल को बचाने वाले ‘भगीरथ’ को पद्मश्री पुरस्कार

विवेकानंद त्रिपाठी गोरखपुर (एनआईआई ब्यूरो)। गोरखपुर निवासी कृषि विज्ञानी पद्मश्री डॉक्टर आरसी चौधरी के लिए उम्र एक गिनती भर है। 78 के हो चुके डॉक्टर चौधरी इसे अपने जीवन में पल पल चरितार्थ कर रहे हैं। भारतीय जीवन में रिटायरमेंट के बाद जीवन की गति पर विराम मान लिया जाता है। मगर डॉक्टर चौधरी सच्चे […]

Read More
Blog ज्योतिष

साप्ताहिक राशिफल : 28 अप्रैल दिन रविवार से 4 मई दिन शनिवार तक

आचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र अध्यक्ष – रीलीजीयस स्कॉलर्स वेलफेयर सोसायटी मेष राशि 28 और 29 अप्रैल को भाग्य का साथ मिलेगा। बिगड़े कामों में सुधार होगा। कहीं यात्रा पर भी जा सकते हैं। किसी विशिष्ट व्यक्ति से मुलाकात होगी। बुजुर्गों का आशीर्वाद प्राप्त होगा। 30 अप्रैल और पहली मई को सरकारी कार्यों में लाभ […]

Read More
Blog ज्योतिष

साप्ताहिक राशिफल : 21 अप्रैल दिन रविवार से 27 अप्रैल दिन शनिवार तक

आचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र अध्यक्ष – रीलीजीयस स्कॉलर्स वेलफेयर सोसायटी सप्ताह के प्रथम दिन की ग्रह स्थिति – सूर्य और बृहस्पति मेष राशि पर, चंद्रमा कन्या राशि पर, मंगल और शनि कुंभ राशि पर, बुध और राहु मीन राशि पर, राशि पर और केतु कन्या राशि पर संचरण कर रहे हैं – मेष राशि […]

Read More
error: Content is protected !!