इस वर्ष के मंगल राजा और उनके कैबिनेट के सात क्रूर ग्रह क्या गुल खिलाएंगे जानिए

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आचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र

अध्यक्ष – रीलीजीयस स्कॉलर्स वेलफेयर सोसायटी

मंगलवार 9 अप्रैल से नव वर्ष का आरम्भ

इस वर्ष 9 अप्रैल दिन मंगलवार से वर्ष प्रारंभ हो रहा है।मंत्र भी शनि ग्रह है। आकाशीय मंत्रिपरिषद में सात क्रूर ग्रहों का आधिपत्य और तीन पद शुभ ग्रह को मिला है। मेदिनीय संहिता के अनुसार इस नव वर्ष मे जनता को कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। संहिता के अनुसार फल निम्नलिखित हैं –

इस आकाशीय मंत्रिमंडल में मंगल राजा हैं। इसलिए मनुष्यों को अग्निभय, चोरों और राजाओं में विग्रह जनता को कष्ट तथा रोग भय और मेष स्वल्प वर्षा करेंगे। मंत्री का पद शनि ग्रह को प्राप्त है इसलिए शासक वर्ग विनय रहित रह सकता है।जनता को धन संबंधी सुख कम मिलेगा। महंगाई से राहत के आसार कम है। धान्येश का पद भी मंगल को ही मिला है। इसलिए जानवरों को रोग और विश्व के अनेक भागों में युद्ध के हालात बने रहेंगे। भारत का भी अपने पड़ोसी देशों से तालमेल का अभाव मिल सकता है। दुर्गेश शनि ग्रह है इसलिए सभी क्षेत्रों में अराजकता प्राप्त हो सकती है।कृषि की उपज प्रभावित हो सकती है।

विवाह लग्न बहुत अल्प

पूरे वर्ष में यदि कुछ विशेष ग्रह योगों पर विचार किया जाए तो वैशाख, ज्येष्ठ दोनों महीनों में शुक्र और अस्त रहेंगे। बृहस्पति भी वैखाख में अस्त है। इसलिए विगत वर्षों की तरह गर्मी के दिनों में विवाह और समस्त मांगलिक कार्य स्थगित रहेंगे। आषाढ़ मांस केवल कुछ ही दिनों में मांगलिक कार्य किए जाएंगे। इस वर्ष सात पदाधिकारी पाप ग्रह है और शेष तीन पदाधिकारी शुभ ग्रह है। राजा का पद मंगल को प्राप्त होने से पृथ्वी पर तापमान में अप्रत्याशित वृद्धि हो सकती है। ग्लैशियरो का पिघलना जारी रहेगा।

उपरोक्त की विपरीत परिस्थितियों के बावजूद कुछ राहत प्रदान करने वाले ग्रह भी दिखाई दे रहे हैं। वर्ष प्रवेश कुंडली के अनुसार बृहस्पति ग्रह पंचम स्थान में मित्र क्षेत्री है अतः सत्ता में बैठे लोग प्रत्येक विपरीत परिस्थितियों का समाधान निकाल लेंगे। धनु लग्न में वर्ष का प्रवेश हो रहा है इसलिए देश के उत्तर पूर्व भाग में कृषि के लिए अनुकूलता बनी रहेगी और स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से भी अच्छा रहेगा। देश के मध्य भाग में ज्यादा वर्षा होने से खेती को हानि मिल सकता है। दक्षिण भारत में धनु लग्न में वर्ष प्रवेश शुभफल कारी रहेगा। पश्चिमी भारत में घी, तेल आदि के भाव सस्ते रहेंगे। चतुर्थ भाव में स्थित सूर्य होने से न्यायाधीश देश हित में उचित फैसला देंगे। वर्ष भू मालिकों एवं व्यापारियों के लिए अनुकूल रहेगा। खनिज पदार्थ एवं धातु का कोई भंडार प्राप्त हो सकता है। शुक्र भी चतुर्थ भाव में उच्च राशि का है अतः कला, थियेटर, सिनेमा के क्षेत्र में प्रदर्शन बेहतर रहेगा।

 

इस वर्ष सात पदाधिकारी पाप ग्रह है और शेष तीन पदाधिकारी शुभ ग्रह है। राजा का पद मंगल को प्राप्त होने से पृथ्वी पर तापमान में अप्रत्याशित वृद्धि हो सकती है। ग्लैशियरो का पिघलना जारी रहेगा। मंगल युद्ध का कारक है अतः विश्व में सैन्यशक्ति की वृद्धि में भारी इजाफा होगा। हथियारों की होड़ मचेगी। शनि के मंत्री पद पर होने से भू-गर्भ के जल में ह्रास अधिक होगा। राजा मंगल और मंत्री शनि दोनों में आपसी सम्बन्ध अच्छा नहीं रहता है अतः शासन प्रशासन, सत्ता तथा न्यायपालिका का आपसी संतुलन अच्छा नहीं रहेगा। मेघेश का पद भी शनि को मिला है इसलिए सूखा पड़ने की सम्भावना बन रही है। सत्ता पर आसीन व्यक्ति आम नागरिकों को अपने आचरण से कष्ट प्रदान कर सकते हैं।

वर्ष कुंडली के चतुर्थ भाव में चन्द्रमा की स्थिति होने से सिंचाई के साधन, नहर, खनिजों से उत्पन्न वस्तुएं, धातु उत्पादन इन क्षेत्रों और परिवहन के लिए सड़कों के निर्माण में वृद्धि का योग रहेगा। बुध पंचम स्थान में स्थित है अतः शिक्षण कार्य पर शासन का ध्यान केंद्रित रहेगा। अनुसंधान के कार्यो पर जोर दिया जाएगा। तृतीय भाव में शनि मंगल की युति है और शनि स्वगृही है। यह शुभफलकारी है। इसलिए देश के सैन्य शक्ति का विस्तार होगा। भारतीय सैन्य शक्ति विश्व के किसी भी सैन्य शक्ति विशेष पर हावी रहेगा। सैन्य शक्ति में आधुनिकीकरण अस्त्र शस्त्र का विस्तार होगा। राहु और केतु नया टैक्स लगवाकर जनता के जेब पर भारी खर्च डाल देगा।

पंचम भाव में गुरु और बुध की युति बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस वर्ष दोनों पंचम भावस्थ है‌ यह शिक्षा के क्षेत्र में नए- नए आयाम उपस्थित करेंगे। भारतीय शोध छात्रों द्वारा नया आविष्कार संसार को आश्चर्यचकित कर सकता है। सप्तम भाव पर चंद्रमा नारी शक्ति का उत्थान कराएगी। महिलाओं की भागीदारी शासन सहित सभी क्षेत्रों में बढ़ेगा। खाद्यान्नों के उत्पादन की दृष्टि से वर्ष चुनौतीपूर्ण रहेगा। कहीं सूखा भी पड़ सकता है और वही कहीं वर्षा की अधिकता से बाढ का भयंकर प्रकोप भी आ सकता है। फसलों के नष्ट होने का खतरा बना रहेगा।

मध्यम बारिश का योग

इस वर्ष भर का वातावरण, मध्यम वर्षा और खाद्यान्नों का उत्पादन कम और शुक्र और गुरु कुछ अंतराल र अस्त हो रहे हैं इसलिए शत्रु पड़ोसी देशों से परेशानी के योग बन रहा है।धन जन की हानि का कुयोग है। कुल चार ग्रहण लगेंगे। दो सूर्य ग्रहण जबकि दो चन्द्र ग्रहण रहेगा।इन चारों ग्रहणों में कोई भी ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। वर्ष में कुंभ महापर्व भी रहेगा। इसका आयोजन प्रयागराज में होगा। यह बारह वर्ष के अंतराल पर घटित हो रहा है। इस समय सूर्य और चन्द्रमा मकर राशि तथा बृहस्पति की स्थिति वृषभ राशि में होगा।इसके लिए प्रथम स्नान और दान पुण्य का दिन 14 जनवरी सन् 2025 तथा द्वितीय स्नान का मुहूर्त 29 जनवरी सन् 2025 दिन बुधवार, तृतीय स्नान का मुहूर्त 3 फरवरी सन् 2025 बसंत पंचमी के दिन रहेगा। शनि वर्ष पर्यंत कुंभ राशि पर संचरण करते रहेंगे। मकर राशि वालों के लिए उतरती और कुंभ तथा मीन राशि वालों के लिए चढ़ती शनि की स्थिति रहेगी। कर्क और वृश्चिक राशि वालों के लिए शनि की ढैय्या का प्रकोप बना रहेगा।

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