नेशनल हेराल्ड केस और आंदोलन कर खुद की जड़ खोदती कांग्रेस, जानिए क्या है नेशनल हेराल्ड केस

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  • 50 लाख में कैसे हाथ आई 2000 करोड़ की संपत्ति

  • राहुल सोनिया ईडी के शिकंजे में कैसे

  • सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका में कितना दम

  • राहुल के पास 16 करोड़ की प्रॉपर्टी लेकिन खुद की कार तक नहीं 72 लाख का कर्ज भी है उन पर

एनआईआई ब्यूरो

कांग्रेस के सारे बड़े नेता और कार्यकर्ता इस समय एकसूत्री काम में लगे हैं या लगाए गए हैं कि नेशनल हेराल्ड केस में भ्रष्टाचार के आरोपी उनके नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी का कोई ट्रायल नहीं होना चाहिए भले ही वह ट्रायल सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही क्यों नहीं हो रहा हो। कांग्रेस कार्यकर्ता और उनके कद्दावर नेता शायद यह समझ कर आंदोलन कर रहे हैं कि उनका यह प्रोटेस्ट एकदिन जन आंदोलन का रूप ले लेगा और भाजपा सरकार की चूलें हिलाकर रख देगा। नरेंद्र मोदी सरकार को अर्श से लाकर फर्श पर पटक देगा। पर उन्हें इस बात का जरा भी इल्म नहीं है कि वे ऐसे विवेकहीन आंदोलन करके या करवाकर कांग्रेस की जड़ें तो पहले ही खोद चुके हैं अब उसका समूल नाश करने के लिए उसमें मट्ठा डालने का काम कर रहे हैं। राहुल गांधी से ईडी 30 घंटे की पूछताछ कर चुकी है। पर उसे ढेर सारे सवालों का या तो जवाब नहीं मिला है या जो मिला भी है वह उससे संतुष्ट नहीं है।

लग रहा है अपने पीछे खड़े इन आंदोलनकारियों की जमात देख राहुल गांधी को यह विश्वास हो गया है कि वे चाहे जैसे जवाब दें उनका कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता। उनके गलत सही कार्यों पर वैधता की मुहर लगाने के लिए आंदोलनकारियों की फोर्स खड़ी है। पर इन सबसे अप्रभावित ईडी ने अब शुक्रवार को भी राहुल गांधी को पूछताछ के लिए बुलाया है। जाहिर है ईडी को उसके सवालों का जवाब नहीं मिल पाया है। राहुल गांधी चाहते तो बहुत शालीनता के साथ अकेले ईडी दफ्तर में जाते और यह पूछताछ पहले ही दिन मुकम्मल हो गई होती। यकीन मानिए इससे राहुल गांधी का कद इतना बढ़ जाता कि भाजपा सकते में आ जाती। पर अपने साथ चापलूस नेताओं कार्यकतार्ओं का फौज ले जाकर उन्होंने कांग्रेस का मटियामेट तौ किया ही खुद को भी बौना साबित कर दिया। उन्होंने यह साबित कर दिया कि वे आत्मकेंद्रित नेता हैं। उनके अंदर असुरक्षा बोध की भावना भर गई है। जनता के मसायल उनके लिए मायने नही रखते। उनकी नजर में देश और कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी समस्या उनके साथ ईडी अफसरों की पूछताछ है। ये पूछताछ नहीं होनी चाहिए क्योंकि वे कानून और संविधान से ऊपर हैं। वे इस धरा पर ईश्वर के समकक्ष हैं। गलती कर ही नहीं सकते उनपर मुकदमा चलाना कुफ्र है।

पूरे देश की जनता को इसके लिए सड़कों पर उतर आना चाहिए। उनकी मादरे हिंद सोनिया गांधी ने भी इस मामले में कोई परिपक्वता का परिचय नहीं दिया। वह भी बेटे के ही नक्शे कदम पर अग्रसर हैं। कांगेरस नेतृत्व की इस करतूत, और उसके रीढ़विहीन होने से देश की जनता चिंतित है। वह देश में एक सशक्त विपक्ष की हिमायती है। मगर विपक्ष है कि नकारात्मक राजनीति से बाज नहीं आ रहा और सत्तापक्ष को बेखौफ कुछ भी करने की सहूलियत और आजादी दोनों दे रहा है। यही कारण है कि जनता में उसकी इज्जत और इकबाल दोनों गायब होता जा रहा है। एक मसल है कि अगर किसी लकीर से आप कोई बड़ी लकीर खींचना चाहते हैं तो यह पहली लकीर को मिटाकर नहीं बल्कि उसके बरक्स और बड़ी लकीर खींचकर ही संभव है। मगर यहां तो कीचड़ से कीचड़ धुलने का चलन चल पड़ा है। खबरिया चैनलों पर जब इन पार्टियों के प्रवक्ता अपनी पार्टियों की रीति ननीति जिस अंदाज में और जिन तर्कों के साथ रखने आते हैं, सच कहिए तो उसे देख सुनकर घिन आती हैं। जब मुंह खोलते हैं तो लगता है कोई भयंकर सड़ांध वाला परनाला खुल गया है।

झूठे तथ्य और गालीगलौज वाली भाषा का प्रयोग इनकी पहचान बन गया है। खबरिया चैनलों उनके नीति निर्धारकों और उथले ऐंकरों को शायद यही सूट भी करता है तभी तो बार बार उन्हीं जमूरों को गंभीर से गंभीर मुद्दों पर डिस्कसन के लिए पकड़ लाते हैं जिन्हें सिवाय तथ्यहीन और अभद्र टिप्पणी करने के कोई सलीका नहीं। न उन्हें इस देश का इतिहास पता होता है न भूगोल। अब आते हैं उस मुद्दे पर जिसे लेकर समूचे कांग्रेस ने पूरा देश ही सिर पर उठा रखा है। वे यह नहीं जान रहे कि ऐसा करके वे खुद अपनी ही साख गिरा रहे हैं। यह कितनी अजीब बात हो रही है इस देश में कि जो भी किसी तरह का आरोपी है और किसी विपक्षी राजनीतिक दल से जुड़ा है वह यह कहकर जांच एजेसियों की पूछताछ में सहयोग नहीं दे रहा है कि ऐसा सत्ता पक्ष के इशारे पर जांच एजेंसियां कर रही हैं। दरअसल इस देश में जो भी विपक्षी पार्टियां हैं उनका यही हाल है। वे सत्तारूढ़ दल को कटघरे में खड़ा कर ऐसी जांचों को बदले की भावना से की हुई जांच करार देकर खुद को जनता की नजर में पाक साफ दिखाने की कोशिश करती हैं। भाजपा जब विपक्ष में होती है तो वह भी यही राग अलापती है जो कांग्रेसी या अनेय विरोधी दल जांच एजेंसियों को लेकर अलाप रहे हैं।

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में पूछताछ के लिए लगातार अभी तक तीन बार ED के सामने पेश हो चुके हैं । 30 घंटे का ईडी उनका बयान रिकॉर्ड कर चुकी है मगर उनके जवाब से वह संतुष्ट नहीं हो पा रही है। सोमवार को उन्हें फिर ईडी के दफ्तर बुलाया गया है। ED ने इस मामले में पूछताछ के लिए इस महीने की शुरुआत में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी सांसद राहुल गांधी को समन जारी किया था। ED ने सोनिया को 8 जून को और राहुल को 13 जून को पेश होने को कहा था, लेकिन सोनिया गांधी के समन जारी होने के बाद कोरोना पॉजिटिव होने की वजह से ED ने उनसे पूछताछ की तारीख 23 जुलाई तक के लिए बढ़ा दी है। यहां यह भी जानना दिलचस्प है कि राहुल के पास 16 करोड़ की प्रॉपर्टी है लेकिन उनके पास खुद की कार तक नहीं है। यही नहीं राहुल गांधी पर 72 लाख का कर्ज भी है। अपनी संपत्ति का यह ब्योरा उन्होंने अपने चुनावी शपथ पत्र में दाखिल किया है।

ईडी का ये केस ट्रायल कोर्ट के उस आदेश पर आधारित है, जिसमें उसने आयकर विभाग को नेशनल हेराल्ड मामले की जांच और सोनिया-राहुल के टैक्स असेसमेंट का आदेश दिया था। कांग्रेस ने ED का समन जारी होने के बाद इसे बदले की राजनीति करार दिया और कहा कि उनके नेता सरकार के दबाव में ये जांच एजेंसियां बेजा परेशान कर रही हैं। सरकार इन एजेंसियों के जरिए विरोधी दलों को निशाना बना रही है। ये जांच पूरी तरह से राजनीति प्रेरित है और गांधी परिवार को बदनाम करने की कोशिश भर है। राहुल और सोनिया को पूछताछ के लिए समन जारी होने के विरोध में कांग्रेस नेताओं ने देशभर के ED कार्यालयों के सामने विरोध प्रदर्शन का सिलसिला शुरू किया है।
यहां यह बता दें कि ED ने कुछ हफ्तों पहले इसी केस में कांग्रेस नेताओं मल्लिकार्जुन खड़गे और पवन बंसल से पूछताछ कर चुकी है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर क्या है नेशनल हेराल्ड केस और राहुल-सोनिया पर ED ने कौन से आरोप लगाए हैं।

नेशनल हेराल्ड केस क्या है यह दानने के लिए आज से 10 साल पहले चलते हैं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। याचिका में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे पर घाटे में चल रहे नेशनल हेराल्ड अखबार को धोखाधड़ी और पैसों की हेराफेरी के जरिए हड़पने का आरोप लगाया था। यह पूरी मिल्कियत 2000 करोड़ की बताई जाती है। सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका के मुताबिक, राहुल सोनिया समेत इन कांग्रेसी नेताओं ने नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों पर कब्जे के लिए यंग इंडियन लिमिटेड, यानी YIL नामक एक दूसरा संगठन बनाया और उसके जरिए नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली असोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) का अवैध तरीके से अधिग्रहण कर लिया।

स्वामी का आरोप हे कि ऐसा दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित नेशनल हेराल्ड हाउस की 2000 करोड़ रुपये की बिल्डिंग को हड़पने की नीयत से किया गया। यहां यह जानलेना जरूरी है कि नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 5000 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के साथ आजादी के पूर्व की थी। इस मीडिया हाउस से कुल तीन अखबार निकलते थे।अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज। अब ये तीनों अखबार बंद हो चुके हैं। स्वामी के आरोप के मुताबिक राहुल, सोनिया समेत कांग्रेसस के उपरोक्त वरिष्ठ नेताओं ने 2000 करोड़ रुपये की कंपनी कौड़ियों के भाव मात्र 50 लाख रुपये में खरीद ली। इसी को लेकर स्वामी ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत केस से जुड़े कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग की थी। स्वामी की याचिका के दो साल बाद यानी जून 2014 में कोर्ट ने सोनिया, राहुल समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ समन जारी किया। चूंकि यह मामला मनी लांड्रिंग से जुड़ा था ऐसे में अगस्त 2014 में ED ने इस मामले में सुओ मोटो (स्वत: संज्ञान लेते हुए) मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। मगर दिसंबर 2015 में दिल्ली के पटियाला कोर्ट ने सोनिया, राहुल समेत सभी आरोपियों को जमानत दे दी। अब सात साल बाद ED ने इसी मामले की जांच के लिए सोनिया और राहुल को समन जारी किया है।

आजादी की लड़ाई को और धार देने को पंडित नेहरू ने शुरू किया था नेशनल हेराल्ड अखबार

जिस नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े मामले में बखेड़ा खड़ा हुआ है और मामला कोर्ट तक पहुंचा है उसे 1938 में जवाहर लाल नेहरू ने 5 हजार स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर शुरू किया था। इस अखबार का प्रकाशन असोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) नाम की एजेंसी द्वारा किया जाता था। जिन मूल्यों और उद्देश्यों को लेकर इस अखबार की स्थापना की गई थी आजादी के बाद ये अखबार कांग्रेस का मुखपत्र बन गया। इस अखबार का प्रकाशन तीन भाषाओं में होता था। अंग्रेजी में ‘नेशनल हेराल्ड’ के अलावा हिंदी में ‘नवजीवन’ और उर्दू में ‘कौमी आवाज।’ कुप्रबंधन के चलते धीरे-धीरे अखबार घाटे में चला गया। इसे गर्दिश से उबारने के लिए कांग्रेस ने पार्टी फंड से एजेएल को 90 करोड़ रुपए बतौर कर्ज दिया बावजूद 2008 में यह प्रेस बंद हो गया।

सके बाद इसमें खेल शुरू हो गया।2010 में एजेएल के रहते हुए यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (YIL) नामक नया ऑर्गेनाइजेशन बना, जिसने नेशनल हेराल्ड को चलाने वाले AJL का अधिग्रहण कर लिया। यंग इंडियन लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में सोनिया गांधी और राहुल गांधी शामिल थे। यही नहीं इसमें उनकी हिस्सेदारी 76% थी और बाकी 24% हिस्सेदारी मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज के पास थी। मोतीलाल वोरा का 2020 और ऑस्कर फर्नांडीज का 2021 में निधन हो गया। उनके जीते जी कांग्रेस ने पार्टी फंड से प्रेस को घाटे से उबारने के लिए AJL को जो 90 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था उसे YIL नाम के दूसरे आर्गनाइजेशन को ट्रांसफर कर दिया।

अंधा बांटे रेवड़ी पुनि पुनि अपनो को देय की कहावत चरितार्थ की गई।कांग्रेस का दिया कर्ज चुकाने के एवज में AJL ने नवगठित आर्गनाइजेशन यंग इंडियन को 9 करोड़ शेयर गिफ्ट में दे दिए। इस तरह इन 9 करोड़ शेयरों के साथ यंग इंडियन का AJL के 99% शेयरों पर कब्जा हो गया। फिर तो सगरी भूमि गोपाल की कहावत चरितार्थ करते हुए कांग्रेस ने AJL का 90 करोड़ का लोन माफ कर दिया। सुब्रमण्यम स्वामी ने इसी सौदे पर सवाल उठाते हुए केस फाइल किया हुआ है। अब यह कांग्रेस के आला कमान के गले की फांस बन गया है। कुल मिलाकर स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी एक राष्ट्रीय संपत्ति पर मालिकाना हक जताने की कहानी है नेशनल हेराल्ड केस।

सोनिया और राहुल क्यों हैं कठघरे में ?

भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी का सवाल है कि आखिर किस हैसियत से कांग्रेस ने नेशनल हेराल्ड को चलाने वाले AJL से 90 करोड़ रुपए लोन की रिकवरी का अधिकार यंग इंडियन लिमिटेड को ट्रांसफर किया और यंग इंडियन लिमिटेड ने AJL की 2,000 करोड़ रुपए की संपत्ति को कांग्रेस पार्टी को महज 50 लाख रुपए का भुगतान करके कैसे अधिग्रहीत कर लिया ? जबकि वह राष्ट्रीय संपत्ति है न कि गांधी परिवार की निजी मिल्कियत। स्वामी की याचिका के मुताबिक नेशनल हेराल्ड को चलाने वाली AJL कंपनी पर कांग्रेस के बकाया 90 करोड़ के लोन को चुकाने के लिए राहुल-सोनिया की यंग इंडियन लिमिटेड ने 50 लाख रुपए का भुगतान किया, इसके बाद कांग्रेस ने AJL के बाकी बचे 89.50 करोड़ रुपए का लोन माफ कर दिया जिसका उसे अधिकार नहीं है।

स्वामी का आरोप है कि YIL को अपना लोन वसूलने के लिए नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों को अधिग्रहित करने का अधिकार मिल गया, जिसमें दिल्ली की प्राइम लोकेशन पर स्थित उसकी बिल्डिंग भी शामिल है, जिसकी कीमत करीब 2,000 करोड़ रुपए है। स्वामी का यह भी आरोप है कि आखिर कौन सा चमत्कार हुआ या प्रॉपर्टी में कितना बूम आया कि 2010 में महज 5 लाख रुपये में बनी यंग इंडियन लिमिटेड की संपत्ति कुछ ही सालों में बढ़कर 800 करोड़ रुपए हो गई। जबकि ये दौर विश्वव्यापी आर्थिक मंदी का था। उधर आयकर विभाग का कहना है कि यंग इंडियन लिमिटेड में राहुल गांधी को शेयरों से 154 करोड़ रुपए की कमाई हुई। दूसरी ओर यह बता दें कि इनकम टैक्स डिमार्टमेंट पहले ही 2011-12 के लिए यंग इंडियन लिमिटेड को 249.15 करोड़ रुपए टैक्स भुगतान का नोटिस जारी कर चुका है।

इन आरोपों को कांग्रेस ने खारिज किया है

कांग्रेस का कहना है कि YIL को मुनाफा कमाने के लिए नहीं बल्कि चैरिटी के उद्देश्य से बनाया गया था। कांग्रेस की मानें तो यंग इंडियन लिमिटेड द्वारा किया गया ट्रांजैक्शन फाइनेंशियल नहीं, बल्कि कॉमर्शियल था। सुप्रीम कोर्ट के जाने माने अधिवक्ता और इस मामले में कांग्रेस की ओर से पैरवी कर रहे अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है कि जब यहां प्रॉपर्टी या कैश का कोई ट्रांसफर ही नहीं हुआ, तो ईडी की नजर में यह मनी लॉन्ड्रिंग का कैसे बन गया यह समझ से परे है। इसके पीछे निहीत स्वार्थ प्रतीत होता है।

सिंघवी का कहना है कि AJL जब घाटे में आ गया तो उसे बचाने के लिए कांग्रेस ने 90 करोड़ की आर्थिक सहायता दी। इससे AJL पर लोन हो गया। उसने इस लोन को इक्विटी में बदला और 90 करोड़ के लोन को नई कंपनी यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया गया, लेकिन यंग इंडियन नॉन-फॉर-प्रॉफिट कंपनी है और इसके शेयरहोल्डर्स और डायरेक्टर्स को कोई लाभांश नहीं दिया जा सकता है। सिंघवी का दावा है कि इसका मतलब है कि आप इस कंपनी से एक रुपया नहीं ले सकते।

सिंघवी का ये भी दावा है कि अब भी AJL के पास ही पहले की तरह की नेशनल हेराल्ड की सभी प्रॉपर्टी और प्रिंटिंग और पब्लिशर बिजनेस पर अधिकार है। केवल एकमात्र बदलाव ये है कि AJL के शेयर यंग इंडियन के पास हैं, लेकिन यंग इंडियन इस पैसे का किसी भी तरह से इस्तेमाल नहीं कर सकती है। वह न तो लाभांश दे सकती है और न ही प्रॉफिट कमा सकती है।

सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी से अब तक केवल 50% सवाल ही पूछे जा सके हैं, इसलिए उनको ED दफ्तर बुलाए जाने का सिलसिला आगे भी चलेगा। राहुल गांधी से पूछताछ से जुड़ी खबरें लीक होने पर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद एडवोकेट विवेक तन्खा ने गृह मंत्रालय, वित मंत्रालय और कानून मंत्रालय को नोटिस भेजा है।

ईडी ने कहा कि यंग इंडिया के सोशल वर्क गिनाएं

सूत्रों की मानें तो तीसरे दिन की पूछताछ में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने जब यंग इंडिया लिमिटेड को नो प्रॉफिट नो लॉस वाली कंपनी बताया तो इस पर काउंटर करते हुए ED अधिकारियों ने वाईआईएल द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों को गिनाने को कहा। मगर ईडी राहुल के जवाबों से संतुष्ट नहीं हुई।

सोनिया गांधी से पूछताछ पर मीटिंग

राहुल गांधी से पूछताछ के बाद ED अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से पूछताछ की तैयारी में है। 23 जुलाई को सोनिया गांधी को ED ऑफिस में हाजिर होना है, लेकिन फिलहाल वे अस्पताल में भर्ती हैं। उनके शीघ्र स्वस्थ होने के लिए पूजा पाठ का सिलसिला शुरू है। सूत्रों के मुताबिक अधिकारियों ने इस सिलसिले में राय लेनी शुरू कर दी है।

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