प्रयागराज, उत्तर प्रदेश । यूपी के प्रयागराज की बात करें या प्रदेश के किसी कोने में हर जगह भ्रष्टाचार व्याप्त है। जिसकी वजह से बहुत से गरीब विद्यार्थी कठिन परिश्रम करने के बाद भी नौकरी से वंचित रह जाते। आपको बता दें कि 2014 में प्रयागराज की माटी को माथे पर लगाकर मां गंगा के पवित्र जल को हाथ में उठाकर प्रधानसेवक बनने के लिये नरेंद्र मोदी ने पूरब के ऑक्सफोर्ड की तस्वीर बदलने की सौगंध खायी थी। आठ वर्ष बीत जाने पर भी पूरब के ऑक्सफोर्ड सहित उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग और माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग में व्याप्त भ्रष्टाचार रूपी कैंसर से आहत प्रतिभाओं की दुर्दशा पर मां गंगे स्वयं विलाप कर रही हैं। डॉ० धीरेंद्र वर्मा, डॉ०रामकुमार वर्मा, डॉ०जगदीश गुप्त, डॉ० ईश्वरी प्रसाद, अमरनाथ झा, गंगनाथ झा आदि अनेक हस्तियों की साधना स्थली रहे प्रयाग में अब प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्नपत्र खुले आम बिकने लगे हैं।
बहरहाल, निराला, महादेवी, फिराक की धरती पर अब किताबों के वरक़ पर पसीना बहाने वाले विद्यार्थियों को असफल घोषित कर उन लोगों का चयन किया जा रहा है जो आयोग में नोटों के बंडलों से पद खरीदने में सक्षम हैं। सपा, बसपा और कांग्रेस के शासनकाल में भी ये आयोग वेश्यालय बन चुके थे लेकिन यह क्या? रामराज्य में इनके सदस्य और निदेशक तो पैरों में घुंघुरू बांधकर सड़क पर आकर बोलियां लगाने लगे। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में 125 प्रश्नों में 120 अंक पर कट ऑफ और उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में 97 प्रतिशत सही सवाल कर जब आधुनिक विवेकानंदों का चयन होने लगा तब आयोग के कुकर्मों का असली भांडा फूट ही गया। माध्यमिक का साक्षात्कार का रेट 4 लाख, उच्चतर आयोग का 6-8 लाख और लिखित से लेकर साक्षात्कार तक फाइनल ठेका 30 लाख तक होने लगा।
विगत विज्ञापन में भ्रष्टाचार की शिकायत पर आयोग ने 100 में से 15 प्रश्न एक साथ डिलीट कर डाले। उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी।आयोग ने प्रयाग के दिग्गज वकील भाई राधाकांत ओझा को खड़ा कर स्थगन आदेश लेकर मुकदमा निर्णीत हुए बिना ही चयनित सूची जारी कर दी। मौजूदा सत्र के चयन में उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की कारस्तानी देखिये, कैसे पैसे के बल पर 98 प्रतिशत सवाल सही कर लोग प्रवक्ता बन बैठे। भारत के भविष्य को गढ़ने वाली कलमें और संवारने वाली तूलिकाएं जब गिरवी हो जाएंगी तब वतन में ब्लैक बोर्ड पर कलाम की बजाय अडानी की संतानें होंगी।
सीएम योगी आदित्य नाथ से निवेदन किया कि अयोध्या, मथुराऔर काशी के मंदिरों के पुनरोद्धार के बाद, उस विद्यामन्दिर को भी पवित्र बनाने की कृपा कीजिये। जहां अब वीणा की झंकार की बजाय पैसों की खनक पर नगर वधुओं के घुंघुरू बज रहे हैं। यकीन न हो तो प्रयागराज आ जाइये और उन विद्यार्थियों के सीने पे हाथ रखकर उनकी धड़कनें सुन लीजिये जो अपने गरीब मां बाप के अरमानों की शहादत पर रोटी दाल खाकर भी छोटे से सीलन भरे कमरे में 18 घण्टे पढ़ते हैं और संघ लोक सेवा आयोग व लोकसेवा आयोग की तैयारी के साथ जब उच्चतर शिक्षा या माध्यमिक शिक्षा में अध्यापक बनने का फॉर्म भरते हैं तो उन्हें असफल होने पर पता चलता है कि आपके रामराज्य में आयोग अब वेश्यालय से भी बदतर बन चुका है।