एनआईआई ब्यूरो
गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर युनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग व प्रोद्योगिकी संस्थान के प्रबंधन और यांत्रिकी विभाग के शिक्षक डॉ. राजेश सिंह, डॉ. संयम शर्मा एवं मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय के डॉ. अभिजीत मिश्रा, इंजीनियर बिजेंद्र कुमार पुष्कर और एमबीए 2020 बैच के द्वितीय रैंक होल्डर व टाटा कंसल्टेंसी में कार्यरत मोहम्मद फैसल मसूद खान का संयुक्त शोध पत्र वेब ऑफ साइंस के प्रतिष्ठित व ख्यातिलब्ध जर्नल पैसिफिक बिजनेस रिव्यू इंटरनेशनल में प्रकाशित हुआ है।
इस शोध पत्र में बताया गया कि, प्रत्येक व्यक्ति में विभिन्न प्रकार की विशेषताएं और व्यक्तित्व होते हैं, और विभिन्न कारक उनके व्यवहार को प्रभावित करते हैं। जिस वजह से कई कार्य को तेजी से पूरा कर लेते हैं तो कुछ पिछड़ जाते है। जो अच्छा कार्य करते हैं वो सफलता की सीढ़िया तेजी से चढ़ जाते हैं। जो पीछे रह जाते हैं वो थोड़े समय के बाद कंपनी से बाहर हो जाते हैं। अगर, सभी कर्मचारी समान उत्साह से कार्य करें तो कंपनी द्वारा अपने उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए गोल प्रोग्रामिंग तकनीक का इस्तेेमाल करना फायदेमंद होगा।
इस शोध पत्र का निष्कर्ष- इस कार्य में यदि लक्ष्य प्राथमिकता -1 (न्यूनतम टर्नओवर दर) को उद्देश्य के रूप में लिया जाता है, तो मानदंड -2 (सहयोग) और मानदंड -4 (नौकरी संतुष्टि) इष्टतम चयन हैं जो प्रभावशाली लक्ष्य-खोज व्यवहार प्रदर्शित करते हैं . जब लक्ष्य प्राथमिकता -2 (अनुपस्थिति दर को कम करना) को अलग कर दिया जाता है या जब लक्ष्य प्राथमिकता -3 (अधिकतम अवधारण दर) को उद्देश्य के रूप में चुना जाता है, तो बाद में, मानदंड -1 (कार्यकर्ता की खुशी) और मानदंड -4 (नौकरी की संतुष्टि) इष्टतम होते हैं। विकल्प। अंत में, जब लक्ष्य प्राथमिकता -4 (उत्पादकता दर को अधिकतम करना) लिया जाता है, मानदंड -1 (कार्यकर्ता की खुशी) एक इष्टतम वरीयता है जो अध्ययन के लिए विकसित सूक्ष्म-संगठनात्मक व्यवहार मॉडल को सर्वोत्तम रूप से अनुकूलित करती है।
इस शोध का व्यावहारिक प्रभाव समाज के परिपेक्ष्य में इस अध्ययन ने एक अलग परिप्रेक्ष्य विकसित करके सूक्ष्म-संगठनात्मक व्यवहार सिद्धांत को सुदृढ़ करने का प्रयास किया है, अर्थात कार्य वातावरण में विशिष्ट कर्मचारी व्यवहार का विश्लेषण करने के लिए लक्ष्य प्रोग्रामिंग दृष्टिकोण की सहायता से एक मॉडल का अनुकरण करना। इस कार्य में विकसित और अध्ययन किए गए जीपी मॉडल से, वास्तविक लक्ष्य प्राथमिकताओं और वैकल्पिक योजनाओं को प्रबंधन के द्वारा तय किया जा सकता है ताकि संगठनात्मक प्रभावशीलता के लिए उचित उपाय जल्दी से किए जा सकें।
डीडीयूजीयू के इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के शिक्षक डॉ. राजेश सिंह, डॉ संयम शर्मा, एमएमएमयूटी के अभिजीत मिश्रा और बिजेंद्र कुमारपुष्कर और मो. फैसल मसूद खान का लेख जर्नल पैसिफिक बिजनेस रिव्यू में हुआ प्रकाशित