एनआईआई ब्यूरो
गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय सीबीसी सिस्टम को लागू करने वाला प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय है। नई शिक्षा नीति के अंतर्गत लागू इस नई प्रणाली के क्रियान्वयन में राज्य विश्वविद्यालयों में गोरखपुर विश्वविद्यालय अग्रणी भूमिका निभा रहा है। सीबीसी प्रणाली के क्रियान्वयन में प्रमुख बिंदु है शैक्षणिक कैलेंडर के अनुरूप समय से प्रवेश करना तथा समय से परीक्षा सुनिश्चित होना। विश्वविद्यालय प्रशासन का मानना है कि विवि से संबद्ध महाविद्यालयों के सहयोग के बिना सीबीसी प्रणाली का क्रियान्वयन संभव नहीं है। यह महाविद्यालयों के शिक्षकों, विद्यार्थियों तथा कर्मचारियों को समझने की आवश्यकता है। महाविद्यालयों को पुरानी व्यवस्था पर ही चलने की आदत है। जिसकी वजह से सीबीसी प्रणाली को लागू करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। महाविद्यालयों तथा गुआक्टा के प्रतिनिधियों की मांग पर ही 5 बार परीक्षा की तिथि बढ़ाई गई है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने निर्णय लिया है की प्रथम सेमेस्टर जिसमें प्रवेश में विलंब हुआ को छोड़कर तीसरे, पांचवें तथा सातवें सेमेस्टर की परीक्षाएं घोषित समय-सारणी के अनुसार होंगी।
यह चिंतनीय विषय है कि महाविद्यालय नई सीबीसी प्रणाली को समझने तथा अपनाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। बता दे कि अगर समय से प्रवेश तथा परीक्षा नहीं कराई गई तो एक पूरा सेमेस्टर शून्य करना पड़ेगा और सीबीसी प्रणाली ही ध्वस्त ही जायेगी।
प्रदेश के कई विश्वविद्यालय अभी दूसरे सेमेस्टर में ही है चल रहे हैं। गोरखपुर विश्वविद्यालय में जुलाई में ही शैक्षणिक कैलेंडर जारी कर दिया गया था। पठन-पाठन कार्य भी जुलाई में ही प्रारंभ हो गया था। इसलिए यह कहना कि बिना पढ़ाई विश्वविद्यालय परीक्षा करा रहा है यह भ्रामक तथा तथ्यों से परे है। विश्विद्यालय प्रशासन का मानना है कि अगर महाविद्यालय सीबीसी प्रणाली को समय रहते नहीं समझे तो वे पीछे छूट जाएंगे। महाविद्यालयों से सहयोग न मिलने की स्तिथि में विश्वविद्यालय प्रशासन गंभीरता से विचार कर रहा है कि विश्वविद्यालय में पढ़ रहे विद्यार्थियों की परीक्षा समय से घोषित कार्यक्रम के अनुरूप करा लेगा और महाविद्यालयों की परीक्षाएं बाद में करायी जाएंगी।