गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा “भारत की लोकतांत्रिक परंपरा और सनातन मूल्य” विषय पर आज संवाद भवन में व्यख्यान आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्विद्यालय, अमरकंटक के कुलपति प्रो श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी रहे। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि प्रोफेसर त्रिपाठी ने वागदेवी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के संगीत एवं ललित कला विभाग के छात्र छात्राओं ने सरस्वती वंदना तथा कुलगीत की प्रस्तुति की। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही अधिष्ठाता कला संकाय प्रो नंदिता आई पी सिंह ने मुख्य अतिथि को पुष्पगुच्छ तथा शाल भेंट कर स्वागत किया।
अपने उद्बोधन में मुख्य अतिथि प्रो त्रिपाठी ने कहा की भारत की लोकतान्त्रिक परंपरा में हमारे सनातन मूल्य समाहित है और सनातन मूल्यों से ही हमारी लोकतान्त्रिक परंपरा संचालित होती है। लोकतंत्र की मूल धारा सनातन मूल्यों की धारा है। लोकतंत्र में विचार-विमर्श मुख्य रूप से मान्य होता है और गतिशील होता है। सनातन मूल्य में सत्य और अहिंसा का प्रमुख स्थान है। हमारे यहाँ सत्य को ईश्वर माना गया है। सबसे परम् धर्म अहिंसा है। अहिंसा के सबसे महान नायक भगवान बुद्ध और महात्मा गाँधी हुए।
इसके अतिरिक्त सहयोग, समन्वय, सद्भाव एवं सदाचार हमारे सनातन मूल्य है जो लोकतंत्र को जीवंत रखते है। प्रो त्रिपाठी ने कहा कि लोकतंत्र, गणतंत्र, प्रजातंत्र ये हमारे वेदों में उल्लिखित है। ‘गण’ शब्द का उल्लेख वेदों में कई बार हुआ है। हमारे देश की शासन प्रणाली लोकमत और शास्त्रमत से संचालित होती है। हमारे शास्त्रों में राजा प्रजा का प्रतिनिधि हित है, स्वामी नहीं। हमारे सभी शास्त्र ‘गण’ को लेकर चलते है, राष्ट्र को लेकर चलते हैं। प्रजा के हित या सुख से इतर राजा का कोई हित या सुख नही है। रामराज्य का संचालन भी जनमत से होता था।
राजनीति विज्ञान विभाग प्रो रूसीराम महानंदा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में दिए अपने भाषण में कहा था की लोकतंत्र भारत का अभिन्न अंग रहा हैैै। लोकतंत्र की हमारी हजारों वर्षों की महान संस्कृति एवं परंपरा रही है। प्रो महानंदा ने कहा कि बुद्ध की संघ प्रणाली, वैशाली, लिच्चिवी आदि गणराज्यों में लोकतंत्र की परंपरा रही है। वेदों में भी अधिकारों की बात की गई है। महिलाओं के अधिकारों की बात की गई है। हमारी सनातन संस्कृति के मुख्य में लोकतंत्र है।
प्रो नंदिता सिंह ने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक परम्परा एक वास्तविकता थी तथा स्वशासन प्राचीन काल के भारत के राजनीतिक इतिहास का अभिन्न अंग रहा है। धन्यवाद ज्ञापन अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रोफेसर अजय सिंह ने दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ अमित उपाध्याय ने किया। कार्यक्रम में प्रो रजनीकांत पांडेय, प्रो राजेश सिंह, प्रो विनोद सिंह, प्रो संगीता पांडेय, प्रो श्रीनिवास मणि त्रिपाठी सहित तमाम शिक्षकगण तथा भारी संख्या में छात्र-छात्राओं ने सहभागिता की।