कालिदास भारतीय संस्कृति और दर्शन के विशिष्ट कवि

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एनआईआई ब्यूरो

गोरखपुर। 16 फरवरी 2023 को संस्कृत एवं प्राकृत भाषा विभाग तथा उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में कालिदास के साहित्य का अंत: शास्त्रीय विमर्श विषय में राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन सत्र संपन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कला संकाय अध्यक्ष प्रोफेसर नंदिता सिंह आई पी दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर ने संस्कृत वांग्मय के महत्व को आरेखित करते हुए कालिदास की महनियता को प्रतिपादित किया। बीज वक्तव्य देते हुए प्रोफेसर उमारानी त्रिपाठी पूर्व अध्यक्ष संस्कृत विभाग महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी ने कालिदास की अंतःशास्त्री विमर्श के विविध पहलुओं को उद्घाटित किया प्रोफेसर त्रिपाठी ने कालिदास के साहित्य में विनिर्माण वैदिक पौराणिक तथा दार्शनिक संदर्भों की ओर भी ध्यान आकृष्ट कराया।

विशिष्ट वक्ता के रूप में त्रिभुवन विश्वविद्यालय काठमांडू, नेपाल की प्रोफेसर श्वेता दीप्ति ने मेघदूत के विविध पक्षों को रेखांकित किया। मेघ तथा पर्वत की चेतना वर्षा के मार्मिक उद्वरणो के माध्यम कालिदास के साहित्य में विद्यमान अंतर चेतना को मुखरित किया। उन्होने कहा कि विश्व साहित्य कालिदास की भूमिका से परिचित है। मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर रहस बिहारी द्विवेदी ने कालिदास के साहित्य की तल: स्पर्शी समीक्षा करते हुए कालिदास के साहित्य में लोक चेतना को उपस्थिती को रेखांकित किया। शकुंतला तथा सीता के महनीय चरित्र के लोकोपकारी स्वरूप को उद्घाटित किया। रामकथा की लोक त्यागमूलक व्याख्या करते हुए वर्तमान मे उसकी प्रासंगिकता को आरेखित किया। सीता परित्याग की मार्मिक व्याख्या करते हुए राष्ट्र रक्षा भाव को सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया। प्रोफेसर हरिश्वर दीक्षित कालिदास के विविध संदर्भों को आरेखित किया। कार्यक्रम में स्वागत वक्तव्य संस्कृत एवं प्राकृत भाषा के अध्यक्ष प्रोफेसर दीपक प्रकाश त्यागी ने दिया। प्रोफेसर त्यागी ने स्वागत कार्यक्रम में कालिदास साहित्य पर विवेचित हिंदी रचनाकारों के मंतव्य को उपस्थित करते हुए शोध संगोष्ठी के विषय की चरितार्थता को प्रकारित किया। उन्होने कहा कि कालिदास भारतीय संस्कृति एवं दर्शन के विशिष्ट कवि हैं।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ कुलदीप शुक्ल धन्यवाद ज्ञापन दिया विभागीय छात्रों ने स्वागत गीत तथा कुलगीत की सुंदर प्रस्तुति की इस अवसर पर देश तथा विदेश के उन्मेष विद्वान प्रोफेसर हरिश्वर दीक्षित प्रोफेसर राम सुमेर यादव डॉ वंदना द्विवेदी डॉ. हृदय नारायण झा सहित विभागीय शिक्षक तथा छात्र छात्राएं आफलाईन तथा ऑनलाइन कार्यक्रम में उपस्थित रहे द्वितीय सत्र के सत्राध्यक्ष प्रोफेसर छाया रानी ने कालिदास के बिंब विधान पर गंभीर चर्चा की इस सत्र के विशिष्ट वक्ता डॉ वंदना द्विवेदी ने कालिदास की पर्यावरण चेतना पर अपने विचार रखे डॉ सूर्यकांत त्रिपाठी ने कालिदास के सौंदर्य बोधक को प्रतिपादित किया डॉक्टर दिव्या भारती ने कालिदास और धर्म शास्त्र विषय पर लोक कल्याण मूलक बातें रखें डॉ धर्मेंद्र कुमार सिंह ने कालिदास के कार्यों में कृषि सौन्दर्भो को आरेखित किया डॉ.देवेंद्र पाल कालिदास की सामाजिक चेतना पर अपने विचार रखें सत्र का संचालन डॉ.रंजन लता तथा धन्यवाद ज्ञापन दिया तृतीय सत्र में संस्कृत कवि सम्मेलन की अध्यक्षता प्रोफेसर रहस बिहारी द्विवेदी जी ने की देश के प्रशस्त कवि डॉ अरविंद तिवारी डॉ शशिकांत तिवारी डॉ राजेंद्र त्रिपाठी रसराज डॉक्टर सिंहासन पांडे डॉ राम सुमेर यादव आदि कवियों ने अपनी कविताओं से स्रोत वृंद का मन मोह लिया स्वागत विभागाध्यक्ष प्रोफेसर दीपक प्रकाश त्यागी तथा संचालन डॉ सूर्यकांत त्रिपाठी तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ देवेंद्र पाल ने किया।

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