एनआईआई ब्यूरो
गोरखपुर। दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर ” स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारक” विषय व्याख्यान का आयोजन किया गया. विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अनुभूति दुबे ने स्वागत भाषण के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की, व्याख्यान के मुख्य वक्ता डॉक्टर अनिल कोपरकर ने स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों के ऊपर प्रकाश डालते हुए बताया कि मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले जैविक निर्धारकों के साथ सामाजिक निर्धारक भी महत्पूर्ण भूमिका निभाते है, डॉ कोपरकर ने विभिन्न सामाजिक कारकों जैसे समाज में शिक्षा का स्तर, समाज में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता, सामाजिक आर्थिक स्थिति, संबंधित व्यक्ति के निर्णय लेने की क्षमता तथा अधिकार, परिवार की संरचना, सामाजिक संस्कृतिक मान्यताएं अहम भूमिका निभाते हैं.I उन्होंने बताया कि भारत में एनीमिया के ऊपर बिल्कुल काबू नहीं पाया गया है जिसके कारण बहुत सारी शारीरिक बीमारियों का सामना करना पड़ता है । उन्होंने स्तनपान और ट्यूबरक्लोसिस के ऊपर वृहद चर्चा की ।
अंत में उन्होंने जननी सुरक्षा योजना के ऊपर चर्चा करते हुए मैटरनल मोर्टालिटी के बारे में वहां मौजूद विद्यार्थियों को बताया । उन्होंने बताया कि कैसे पितृसत्तात्मक समाज एक महिला से उसका निर्णय लेने का अधिकार ले लेता है और इसका प्रभाव उसके स्वास्थ्य के निर्णय पर पड़ता है । उन्होंने अन्य सामाजिक सेवा जैसे ट्रांसपोर्ट आदि के ऊपर चर्चा की और कैसे यह बाधाएं उत्पन्न करती हैं। डॉ वेंकटेश ने स्वास्थ्य के स्ट्रक्चर के ऊपर प्रकाश डाला उन्होंने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र , कम्युनिटी हेल्थ सेंटर के बारे में बताया कि सामाजिक जागरूकता न होने के कारण सिर्फ 11.4 % लोग ही इन सेवाओं का उपयोग करते हैं । सरकार के योजनाओं पर चर्चा करते हुए उन्होंने 2015 के उपरांत हुए बदलाव और योजनाओं के बारे में विद्यार्थियों को जागरूक किया, जैसे आयुष्मान भारत योजना, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना आदि । उन्होंने बताया कि कैसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सामाजिक कल्याण की ओर अपना कदम बढ़ा रहे हैं.I धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर धनंजय कुमार ने कियाI