गोरखपुर विश्वविद्यालय ने आईसीएआर-आईआईवीआर, के साथ एक समझौता ज्ञापन पर किया हस्ताक्षर
एनआईआई ब्यूरो
गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो पूनम टंडन ने कहा कि आवश्यकता है कि शोध को प्रयोगशाला से बाहर निकल कर जमीन (खेत) पर ले जाया जाए। हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी तथा माननीय कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल भी चाहते है कि शोध का लाभ समाज को मिले। कुलपति ने कहा कि आवश्यकता है की विश्वविद्यालय में शोध के लिए एक जीवंत वातावरण बनाने की। ऐसी गतिविधियाँ इसमें सहायक होती है। कुलपति ने कहा कि हम शोधकर्ताओं को एक बेहतर वातावरण प्रदान करें।
कुलपति आज संवाद भवन में आयोजित “प्लांट, माइक्रोब्स: प्रोग्रेस, पोटेंशियल एंड फ्यूचर” विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में अध्यक्षीय उद्बोधन के दौरान ये बात कही। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ टी के बेहरा, निदेशक, आईसीएआर-आईआईवीआर, वाराणसी रहे। डॉ. ए.एम. देशमुख, अध्यक्ष, एमबीएसआई, गेस्ट ऑफ ऑनर और डॉ. निशांत श्रीवास्तव, एसीआईएबी विशिष्ट अतिथि रहे। सम्मेलन का आयोजन गोरखपुर विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा माइक्रोबायोलॉजिस्ट सोसायटी, इंडिया (एमबीएसआई) और अविष्का काउंसिल ऑफ इंडस्ट्रियल एंड अलाइड बायोसाइंसेज (एसीआईएबी) के सहयोग से किया गया है।
समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
इस अवसर पर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने आईसीएआर-आईआईवीआर, वाराणसी के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया। एमओयू पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन और आईसीएआर-आईआईवीआर, वाराणसी के निदेशक ने हस्ताक्षर किए। समझौता ज्ञापन दोनों संस्थानों के शोधकर्ताओं को संयुक्त शोध करने में सहयोग करेगा।