जानिए दीपावली पूजन के मुहूर्त और पूजा के तरीके

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पंडित शरद चंद्र मिश्र

  • दीपावली के दिन ये करें

इस दिन प्रातः ब्राह्म मुहूर्त में उठकर दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर पितृगण एवं देवताओं का पूजन करना चाहिए।यदि सम्भव हो तो दूध, दही और घृत से पितरों का पार्वण श्राद्ध करना चाहिएयदि सम्भव हो दिन भर उपवास या फलाहार कर गोधूलि बेला में अथवा वृषभ, सिंह, वृश्चिक लग्न में श्रीगणेश, कलश,षोडश मातृका एवं ग्रहपूजन पूर्वक भगवती लक्ष्मी का षोडशोपचार पूजन करना चाहिए। इसके अनन्तर महाकाली का दावात के रुप में, महासरस्वती का क्रम,सही आदि के रुप में तथा कुबेर का तुला के रुप में सविधि पूजन करना चाहिए। इसी समय दीपदान कर यमराज और पितृगणों के निमित्त ससंकल्प दीपदान करना चाहिए। तदुपरान्त तथा उपलब्ध निशीथादि शुभ मुहूर्तों में जप, मन्त्र,यन्त्र सिद्धि आदि अनुष्ठान सम्पादित करना चाहिए।

महालक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त

दीपावली पूजन एवं दीपावली का महापर्व कार्तिक अमावस में प्रदोष काल एवं अर्द्धरात्रि व्यापिनी हो तो विशेष रुप से शुभ होती है। ज्योतिर्विद में कहा गया है  ” कार्तिक स्यासिते पक्षे लक्ष्मीर्निदां विमुंचति।स च दीपावली प्रोक्ता: सर्वकल्याणरुपिणी।।”- लक्ष्मी पूजन, दीपदानादि के लिए प्रदोष काल ही प्रशस्त माना गया है। क्योंकि भविष्य पुराण में कहा गया है “कार्तिक प्रदोषे तु विशेषेण अमावस्या निशावर्धके। तस्यां सम्पूज्येत् देवीं भोग मोक्ष प्रदायिनी।।” इस वर्ष कार्तिक अमावस्या हृषीकेश पंचांग के अनुसार 24 अक्टूबर, सोमवार 2022 को सायं 5 बजकर 4 मिनट के बाद प्रदोष, निशिथ तथा महानिशिथ व्यापिनी है। अतः दीपावली पर्व 24 अक्टूबर, सोमवार 2022 ई-के दिन ही होगा। सांय दीपावली पर्व चित्रा नक्षत्र, विष्कुम्भ योग, कन्या राशिस्थ तथा अर्धरात्रि व्यापिनी अमावस्या युक्त होने से विशेषतः प्रशस्त एवं श्लाघ्य है।

दीपावली वस्तुत: पांच पर्वों का महोत्सव माना जाता है, जिसकी व्याप्ति कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी (धनतेरस) से कार्तिक शुक्ल द्वितीया ( भाई दूज) तक रहती है। दीपावली के पर्व पर धन की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मी का समारोह पूर्वक आवाहन, षोडशोपचार सहित पूजा की जाती है। पूजन सामग्री में विभिन्न प्रकार की मिठाई, फल, पुष्पाक्षत,धूप- दीपादि सुगन्धित वस्तुएं सम्मिलित करनी चाहिए। दीपावली पूजन में प्रदोष, निश्चित एवं महानिशिथ काल के अतिरिक्त चौघड़िया मुहूर्त भी पूजन सही- खाता पूजन, कुबेर पूजा, लक्ष्मी पूजन, जपादि अनुष्ठान की दृष्टि से विशेष प्रशस्त और शुभ माने जाते हैं।

24 अक्टूबर सोमवार के चौघड़िया मुहूर्त – ( गोरखपुर के आसपास के नगरों और क्षेत्रो के लिए –

प्रातः 6 बजकर 22 मिनट से- 7 बजकर 46 मिनट तक=अमृत बेला( पूर्ण प्रशस्त)।। प्रातः 7 बजकर 47 मिनट से -9 बजकर 11 मिनट तक=काल बेला( निषिद्ध समय- अप्रशस्त)।। दिन में 9 बजकर 12 मिनट से -10 बजकर 35 मिनट तक= शुभ बेला=उत्तम समय ।। दिन में 11 बजकर 36 मिनट से -12 बजे तक रोग बेला= बहुत उत्तम नहीं ।‌।12 बजकर 1 मिनट से 1 बजकर 24 मिनट तक=उद्वेग बेला=सामान्य समय।।=दिन में 1 बजकर 25 मिनट से 2 बजकर 49 मिनट तक-चर बेला= उत्तम समय।। 2 बजकर 50 मिनट से 4 बजकर 13 मिनट तक लाभ बेला=अत्यंत उत्तम।। सायंकाल 4 बजकर 14 मिनट से- 5 बजकर 38 मिनट तक ( सूर्यास्त तक) — अमृत बेला= बहुत उत्तम समय ।।

प्रदोष काल=24 अक्टूबर 2022 ई- को गोरखपुर और निकटवर्ती नगरों/क्षेत्रों में सूर्यास्त 5 बजकर 38 मिनट से ( 2 घंटा 36 मिनट पर्यन्त) 8 बजकर 14 मिनट तक प्रदोष काल व्याप्त रहेगा। प्रदोष काल में चल की चौघड़िया शुभ है। इसमें मेष और वृषभ लग्न भी रहेगा।इन दोनों लग्नों एवं प्रदोष समय में श्रीगणेश पूजन, लक्ष्मी पूजन इत्यादि सम्पन्न करना तथा दीपदान, कुबेर पूजन, सही खाता पूजन,घर, धर्म स्थलों पर दीप प्रज्ज्वलित करना , ब्राह्मणों तथा अपने आश्रितों को भेंट, मिष्ठान बांटना शुभ रहेगा। निशीथ काल= यह गोरखपुर और आसपास के नगरों और क्षेत्रों के लिए 8 बजकर 15 मिनट से 10 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। इसमें वृषभ लग्न, मिथुन लग्न और लाभ की चौघड़िया रहेगी। इसमें यदि पहले लक्ष्मी पूजन न हुआ हो तो श्रीगणेश और महालक्ष्मी पूजन इत्यादि समस्त कार्य सम्पादित करें। इस अवधि में श्रीसूक्त , कनकधारा स्त्रोत्र तथा लक्ष्मी मन्त्र का जप , पाठ उत्तम रहेगा।

महानिशीथ काल= यह 10 बजकर 51 मिनट से अर्द्धरात्रि के बाद 1 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। इस अवधि में लाभ की चौघड़िया तथा कर्क लग्न एवं सिंह लग्न भी अत्यंत शुभ है। इस अवधि में महालक्ष्मी पूजन के अतिरिक्त काली उपासना, तन्त्रादि क्रियाएं, विशेष काम्य प्रयोग, तन्त्र अनुष्ठान एवं हवन आदि उत्तम रहेगा।

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