बात तो चुभेगी

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नरेश मिश्र

 

उड़ना तो बनता है, जब तक पँख न कतरे जायँ।

कुछ साल पहले एक फिल्म का निर्माण हुआ था। शीर्षक था उड़ता पंजाब। इस फिल्म में पंजाब के युवाओं का वर्णन था जो नशे के आदी बनते जा रहे थे। इस फिल्म के प्रदर्शन से आम आदमी पार्टी को कई गुना मुनाफा हुआ।इतना कि इस पार्टी के हाथ आज पंजाब की हुकूमत की बागडोर है। पंजाब में जो न हो जाय सो थोड़ा। याद कीजिये पंजाब में जब बीएसएफ के ऑपरेशन का दायरा 15 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर कर दिया गया था तो कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल एक सुर में अलापने लगे थे कि केंद्र सरकार संघीय ढांचे पर प्रहार कर रही है। आज उलटबांसी देखिए बीएसएफ के ऑपरेशन का दायरा 50 किलोमीटर होने से विपक्षी दलों को चिंता सता रही है कि बीएसएफ के बहाने पंजाब में पाकिस्तानी फौज दाखिल हो जाएगी।

इधर यूपी में अखिलेश यादव अभी तक चुनावी-परिणाम झटके में डूब-उतरा रहे हैं। याद कीजिये चुनाव के पहले अखिलेश ने महानवमी के बहाने रामनवमी मनाते हुए गोस्वामी तुलसीदास का रामचरितमानस में वर्णित राम जन्म का चरित सुना दिया था। कोई पूछे उनसे कि महानवमी के दिन रामजन्म कैसे हुआ ? अरे भई अखिलेश यदुवंशी हैं, वे हुक्म दें और राम जन्म न लें ऐसा कैसे हो सकता है ! उन्हें जन्म लेना ही पड़ेगा। अखिलेश का वश चलता तो वो नवमी तिथि मधुमास पुनीता के स्थान पर नवमी तिथि शरद पुनीता का संशोधन कर देते।कभी कभी बहुत निष्ठुर हो जाते हैं भगवान भी, मधुमास के बजाय शरद ऋतु में अवतरित करा देने पर भी प्रभु राम को अखिलेश पर तरस नहीं आया और अखिलेश को ‘मुँह की खानी’ पड़ी। अनुज-वधू अपर्णा तो चुनाव के पहले ही राम की शरणागत हो गईं थी, अब चाचा शिवपाल के भी चोला बदलने का मन बना रहे हैं। क्या करें बेचारे अखिलेश, सब राम की माया है।

उधर कांग्रेस पार्टी का गर्भ काल नौ महीने पूरा होने के बावजूद प्रसव को प्राप्त होने का नाम नहीं ले रहा। सीडब्ल्यूसी की मीटिंग संपन्न होने के बाद भी संतान के जन्म लेने का इंतजार है। जन्म लेने वाला पुलिंग होगा या स्त्रीलिंग ये भी नहीं पता। राजस्थान के करौली में शनिवार की शाम एक नवसंवत्सर के उपलक्ष्य में निकल रही ‘शोभा यात्रा’ के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पथराव किया। आगजनी की घटनाएं भी अंजाम दीं। लगभग 35 लोग घायल हुए जिनमे कुछ की हालत गम्भीर है। अशोक गहलोत को लखीमपुर खीरी की घटना की याद तो जब-तब बहुत आती है। अब अपने राज्य में वही घटना हो गई तो उनकी प्रतिक्रिया गौरतलब है। ‘किसी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस वालों पर भी सख्त कार्रवाई होगी। यह घटना दुखदऔर निंदनीय है।’ आमतौर पर सारे नेता किसी घटना पर यही वाक्य दुहराते हैं। इसमें कुछ नया नहीं है।

शिवसेना नेता संजय राउत पर आजकल शनि की महादशा और राहु-केतु की वक्र दृष्टि जान पड़ती है। उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पत्रा चाल भूमि घोटाला मामले में उनकी करोड़ों की संपत्ति अटैच कर दी है। ईडी ने पी.एम.एल.ए जांच में राउत से जुड़े अलीबाग के आठ प्लॉट और मुंबई के फ्लैट कुर्क किए हैं। बताया जा रहा है ये घोटाला 1034 करोड़ रुपये का है। प्रवर्तन निदेशालय की इस कार्रवाई के बाद संजय राउत के ज्ञानचक्षु नए सिरे से खुल गए हैं। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘असत्यमेव जयते!!’
बाला साहब की आत्मा ने तो ये उद्घोष तभी कर चुकी होगी जब सत्ता प्राप्ति के लिए शिवसेना ने कॉंग्रेस के साथ सेज सजा ली थी। बहरहाल बावजूद ताजा घटनाक्रम के शिवसेना उड़ान भरने से बाज नहीं आ रही। सियासत में उड़ान अहम है। जिस नेता के जितने बड़े पंख उसकी उतनी बड़ी उड़ान। हम सिर्फ इतना ही कह सकते हैं सियासत में उड़ने का दस्तूर है, मौसम भी है , सो उड़ते रहो जब तक पँख कतरे न जायँ।

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