बेहतर स्वास्थ्य के प्रति सजग सभी सम्मानित साथियों को मेरा सप्रेम नमस्कार, मित्रों ! आशा करता हूं आप सभी स्वस्थ होंगे एवं सुबह-सुबह नित्य कर्म से निवृत्त होकर योग व्यायाम कसरत इत्यादि कर रहे होंगे। मेरे बहुत सारे साथी टहलने भी गए होंगे और बहुत सारे टहल के आ भी आए होंगे। यूं तो कभी-कभी थकान सभी को महसूस होती है, लेकिन कुछ लोगों में यह लगातार बनी रहती है। हमेशा थकान बने रहने की यह स्थिति ” क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम” कहलाती है। यह थकान की एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को लगातार छह महीने या उससे अधिक समय से थकान रहती है और कई बार यह इतना गंभीर रूप ले लेती है कि सामान्य कामकाज में भी दिक्कत आती है। भरपूर आराम और नींद भी राहत महसूस नहीं होने देती।
यह समस्या यूं तो किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन अधेड़ स्त्रियों को अधिक परेशान करती है। एक अनुमान के मुताबिक भारत में करीब एक तिहाई स्त्रियां लगातार थकान बने रहने की शिकायत करती हैं। इनमें से आधी महिलाओं को यह समस्या छह महीने से अधिक समय से है। हालांकि इसके सशक्त कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन कुछ शोध बताते हैं कि मानसिक तनाव, वायरल संक्रमण के अलावा कई अन्य कारण इसके लिए जिम्मेदार होते हैं। आइए मित्रों आज इसी थकावट के बारे में थोड़ी चर्चा करते हैं कि इस प्रकार से बहुत ज्यादा थकावट होने के क्या कारण हो सकते हैं….
- कमज़ोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को यह समस्या ज़्यादा प्रभावित करती है। ज़रा सी बात या काम का दबाव बढ़ते ही इन्हें थकान महसूस होने लगती है।
- कुछ जीवाणु संक्रमण यानि बैक्टीरियल इन्फेक्शंस भी क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम के लिए जि़म्मेदार होते हैं।
- ब्लड प्रेशर: लो बीपी की समस्या से परेशान लोगों को भी क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम की समस्या हो सकती है।
- तनाव: लगातार तनाव में रहने की वजह से भी सीएफएस की समस्या हो सकती है।
- हॉर्मोन्स का असंतुलन: कई बार शरीर की ग्रंथियों द्वारा हॉर्मोन्स न बनाने या हॉर्मोन्स असंतुलन की वजह से भी क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम गिरफ्त में ले सकता है।
- यदि काफी दिनों से थकावट बनी रहती है तो अपने चिकित्सक से सलाह परामर्श लेकर खून पेशाब जांच अवश्य करवा लें।
थकावट को दूर करने के लिए क्या करना चाहिए?
अपने लाइफस्टाइल में थोड़ा बदलाव करें
इस प्रकार के थकावट को जीवनशैली में बदलाव के ज़रिये नियंत्रित किया जा सकता है। थकावट से परेशान लोगों को कैफीन जैसे चाय कॉफी इत्यादि बेहद कम मात्रा में लेना चाहिए। एल्कोहॉल यानि शराब और निकोटिन यानि धूम्रपान से भी दूरी बरतनी चाहिए। अत्यधिक तैलीय खाद्य पदार्थ, जंक फूड, पैक्ड और प्रोसैस्ड फूड को ज्यादा से ज्यादा अवाइड करना चाहिए।
थकान और सुस्ती महसूस होने पर भी दिन में नहीं सोना चाहिए क्योंकि इससे रात की नींद प्रभावित होती है। योग, व्यायाम के ज़रिये दर्द से राहत पा सकते हैं। सुबह कम से कम 15 से 20 मिनट अवश्य टहलने की आदत डालें। लेकिन यदि आप किसी भी प्रकार की कोई भी बीमारी से ग्रसित हैं तो पहले चिकित्सक से सलाह ज़रूर लें। अब आइए! इस बीमारी के लक्षणों के बारे में थोड़ी चर्चा करते हैं-
इस बीमारी के आम लक्षण
- पेट में दर्द, आंतों में समस्या, मितली, डायरिया और पेट फूलने जैसा एहसास।
- एलर्जी अथवा खाने की चीज़ों के प्रति अति संवेदनशीलता, एल्कोहॉल, खुशबू, केमिकल दवाओं और शोर के प्रति
संवेदनशीलता बढऩा। - ठंड लगना और रात में पसीना आना।
- छाती में दर्द, सांस लेने में कठिनाई, और लंबे समय तक खांसी रहना।
- डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन, मूड स्विंग, अवसाद आदि।
काम करने की क्षमता बुरी तरह प्रभावित होना। कभी-कभी बिलकुल काम न कर पाना या जाम करने की इच्छा ही ना होना। - स्लीप डिसॉॅर्डर यानि पर्याप्त नींद की कमी।
- याददाश्त कमज़ोर पडऩा।
- धुंधला दिखाई देना, रोशनी के प्रति संवेदनशीलता, आंखों में दर्द या रूखापन।
उपचार
इस प्रकार की बीमारी में अपने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना बहुत आवश्यक है जिसके लिए योग, व्यायाम, संगीत, नृत्य, फालतू ना बैठना, हंसना, हंसाना यानि समुचित आराम और समुचित कार्यशीलता अति आवश्यक है। साथ ही साथ पर्याप्त मात्रा में हरी सब्जियां ताजे फल फूल का अवश्य सेवन करना चाहिए। लगातार हो रही थकावट को ठीक करने में होम्योपैथी अपनी सक्रिय भूमिका निभाती है। किसी सुयोग्य फोन पर भी चिकित्सक से मिलकर इसके विषय में चर्चा की जा सकती है।