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पेंशनरों के आंख का ऑपरेशन कराने की भी की पहल
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सरैया शुगर मिल के कर्मियों को पीपीओ लेटर सौंपा
एनआईआई ब्यूरो
गोरखपुर। गोरखपुर क्षोत्रीय भविष्य निधि कार्यालय ने सोमवार को उन पेंशनरों को आभार के साथ उनके पीपीओ लेटर सौंपे जो लंबे अरसे से अपनी पेंशन के लिए मारे-मारे फिर रहे थे। ये सभी लाभार्थी वर्षों पहले बंद हो चुकी सरैया शुगर मिल के कर्मचारी थे। यह पत्र इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित अपर केंन्द्रीय भविष्यनिधि आयुक्त एसबी सिन्हा की ओर से प्रदान किए गए।
गोरखपुर के क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त अभयानंद तिवारी ने संस्थान की ओर से पेंशनरों की आंखों के मुफ्त ऑपरेशन की योजना बताई। कहा ये ऑपरेशन शहर के बहुत अच्छे आंख के अस्पताल में कराने के साथ यह प्रकल्प निरंतर चलाते रहने की योजना बनाई जा रही है। क्षेत्रीय भविष्यनिधि कार्यालय ने इस आयोजन में उन बच्चों को भी बहुत सम्मान के साथ सहभागी बनाया जिन्हें नियति ने पैदा होने के साथ ही संघर्षों के ऐसे समुद्र में फेंक दिया जिसका कोई ओर छोर नहीं। इन बच्चों ने पौधरोपण करके समूचे पर्यावरण को प्रदूषण के जहर के बचाने का संदेश दिया।
कहते हैं नेक नीयत से कोई कदम बढ़ाया जाय तो वह एक अभियान का रूप ले लेता है। उसमें समिधा डालने के लिए लोग स्वत:स्फूर्त ढंग से हाथ बढ़ाने के लिए तत्पर होते हैं। गोरखपुर क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त अभयानंद तिवारी की पहल पर यहां से जुड़े पेशनरों के दावों के निपटान में तेजी आने के साथ उनको चिकित्सा सुविधा दिलाने का भी उपक्रम किया जा रहा है। इसके लिए संस्थान ने ऐसे उद्यमियों और व्यवसायियों को प्रेरित करना शुरू किया है जो जनसेवा की भावना के साथ जरूरतमंद लोगों की मदद की इच्छा रखते हैं।
दरअसल आंखों की समस्या के चलते विभाग और पेंशनर दोनों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उम्र बढ़ने के साथ साथ उनके थंब इंप्रेशन और आंख में मोतियाबिंद हो जाने के कारण आंख की आइरिश की कंप्यूटर से आईडेंटिफिकेशन करने में दिक्कतें आने लगी हैं। इसके चलते बहुतेरे पेंशनरों को डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट मिलने में समस्या आती है और उनकी पेंशन अक्सर रुक जाया करती है।
इस समस्या को देखते हुए आयुक्त ने शहर के कुछ दानीश्वर लोगों से संपर्क कर इस समस्या के समाधान की दिशा में एक सराहनीय पहल की है। इसके चलते ऐसे बहुत से पेंशनरों की मदद का रास्ता खुलने की उम्मीद जग गई है जो आर्थिक तंगी के चलते आंखों का ऑपरेशन करा पाने में असमर्थ हैं। बकौल आयुक्त वह ऐसी व्यवस्था बनाने की कोशिश में हैं जिससे यह क्रम निर्बाध रूप से चलता रहे। आज के पेंशनर्स सम्मान समारोह के दौरान गोरखपुर क्षेत्रीय भविष्यनिधि आयुक्त ने अपर केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त श्री सिन्हा के समक्ष इस योजना को रखा तो उन्होंने इसकी मुक्त कंठ से सराहना की। कहा अधिकांश कार्यालयों में यह बड़ी समस्या है।
सरैया शुगर मिल के कर्मियों को मिले पेंशन के कागजात :
गोरखपुर की सरैया शुगर मिल एकअरसा पहले बंद हो गई। उसके मालिकों ने कर्मचारी हित से जुड़े किसी भी कागजात पर हस्ताक्षर करना बंद कर दिया। बहुतेरे कर्मचारी उम्मीद छोड़ घर बैठ गए और दूसरे धंधे में लग गए। काफी लोग मुफलिसी की आग में झुलसकर चल बसे। इनमें से कुछ ऐसे थे जो अपना हक पाने के लिए क्षेत्रीय भविष्यनिधि कार्यालय का बरसों से चक्कर लगा रहे थे मगर मिल मालिकों की बेरुखी के चलते उनके दावों की प्रक्रियात्मक जटिलताए बढ़ गई थीं। ऐसे में उन्हें निराशा ही हाथ लगती थी।
मगर क्षेत्रीयआयुक्त अभयानंद तिवारी ने खुद की पहल से इस समस्या का समाधान कराया और आज उन कर्मियों को समारोह आयोजित करके सम्मानपूर्वक पीपीओ लेटर सौंपे गए। पीपीओ लेटर पाने वालों में ब्रजभूषण, मुरारी यादव, रामअधार, प्रभुनाथ चौरसिया, शैलेश कुमार सिंह, अयोध्या सिंह और कृष्ण कुमार त्रिपाठी प्रमुख थे। पीपीपओ लेटर मिलने के साथ इनको नियमित पेंशन मिलने का रास्ता साफ हो गया है। अभयानंद तिवारी की इस पहल पर समारोह के मुख्य अतिथि और अपर केंद्रीय भविष्यनिधि आयुक्त और उत्तर प्रदेश के प्रभारी एसबी सिन्हा ने कहा कि गोरखपुर कार्यालय ने एकमुश्त समाधान योजना के तहत जो कार्य किया है वह सराहनीय है।
अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे बच्चों ने दिया पर्यावरण जागरूकता का संदेश :
गोरखपुर क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त की ओर से एकऔर सराहनीय पहल की गई। उन्होंने उन बच्चों को आमंत्रित कर पर्यावरण बचाने का संदेश प्रेषित किया जिन्हें नियति ने उनके जन्म के साथ ही संघर्ष के महासागर में ढकेल रखा है। पर जीवन के तूफानों के बीच उम्मीद का दिया जलाने का हौसला भी इन्होंने ही अपने भीतर संजो रखा है। इनकी आंखों की चमक इस बात की तस्दीक कर रही थी कि ये संघर्षों की आग में तपकर एक दिन कुंदन सरीखा निखरेंगे औरअपनी चमक से सारे परिवेश को चकाचौंध कर देंगे।
शायद ऐसे ही बच्चों पर प्रख्यात कवि और शायर दुष्यंत की ये पंक्तियां चरितार्थ होती दिखती हैं – न हो कमीज तो पावों से पेट ढक लेंगे। ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफर के लिए। इन बच्चों ने पौधे रोपकर उन लोगों को सार्थक और सकारात्मक संदेश दिया जो पर्यावरण के प्रति या तो उदासीन हैं या अपने क्षणिक स्वार्थ और ऐशो आराम के लिए प्रकृति का अंधाधुंध दोहन कर आने वाली पीढ़ियों के जीवन को खतरे में डाल रहे हैं।