- महायोगी गुरू श्री गोरक्षनाथ शोधपीठ के अंतर्गत होगा संचालन, दो दो क्रेडिट का तैयार होगा कोर्स
एनआईआई ब्यूरो
गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजेश सिंह ने कहा है कि नई शिक्षा नीति में विद्यार्थियों को नैतिक शिक्षा और सांस्कृतिक मूल्यों के विकास को बढ़ावा देने की बात कही गई है। इसे ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ, महंत अवेद्यनाथ और शिक्षा में नैतिक मूल्यों को बढ़ाने में नाथ योगियों का दर्शन पर कोर्स तैयार करेगा।
ये बातें डीडीयूजीयू के कुलपति प्रो राजेश सिंह ने बुधवार को दिग्विजयनाथ एलटी कॉलेज में आयोजित ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ स्मृति व्याख्यान माला के उद्घाटन समारोह में कही। कुलपति ने कहा कि कोर्स के अंतर्गत गोरखनाथ मंदिर, महंतों का गोरखपुर में मूल्यों, शिक्षा, व्यक्तित्व विकास, समाज के विकास में क्या अवदान था। उसे पढ़ाया जाएगा। दो-दो क्रेडिट के इन कोर्स को महायोगी गुरू श्रीगोरक्षनाथ शोध के द्वारा तैयार किया जाएगा।
माइनर इलेक्टिव के रूप में ये कोर्स विद्यार्थियों को ऑफर किए जाएंगे। इसे लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से तैयारियां प्रांरभ कर दी गई हैं। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के कॉलेजों में भी इन कोर्स को पढ़ाया जाएगा। विश्वविद्यालय प्रशासन ने पूर्व में ही नैतिक मूल्यों और समाजोपयोगी कार्यो को बढ़ावा देने के नजरिए से गत वर्ष ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय और नाथ पंथ पर दो-दो क्रेडिट का कोर्स तैयार किया है। इस अवसर पर गोरखपुर विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय की संकायाध्यक्ष प्रो शोभा गौड़ ने शिक्षा के विकास के महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के साथ साथ दोनों महंतद्वय के जीवन दर्शन पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। प्राचार्य डॉ अजय कुमार पांडेय नें अतिथियों का स्वागत किया। संचालन डॉ. मुधुसूदन सिंह ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के शिक्षकों के साथ गोरखपुर विश्वविद्यालय के शिक्षकगण भी मौजूद रहे।