प्रधानमंत्री मोदी दीनदयाल के विचार अंत्योदय की दिशा में कार्य कर रहे हैं: कुलाधिपति

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  • महिलाएं, शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वरोजगार पंडित दीनदयाल के विचारों के थे केंद्र- कुलाधिपति
  • पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म जयंती पर आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन

एनआईआई ब्यूरो

गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की ओर से पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म जयंती पर आयोजित तीन दिवसीय “राष्ट्रीय चेतना उत्सव”(24-26 सितंबर) विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का सोमवार को समापन हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में मा. कुलाधिपति, उत्तर प्रदेश आनंदीबेन पटेल ने कहा कि महिलाएं, छात्र, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वरोजगार, स्वच्छता ही दीनदयाल जी के विचारों के केन्द्र में रहे हैं। केवल समारोह में सम्मिलित होना ही आवश्यक नहीं, समारोह के उद्देश्यों को आत्मसात करने की प्रवृत्ति भी होनी चाहिए।
महामहिम ने कहा की दीनदयाल जी अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति तक पहुंचना चाहते थे। जिससे उसे रोटी स्वास्थ्य, मकान, शिक्षा सब पहुँचाया जा सके। प्रधानमंत्री मोदी उन्हीं के विचार, अंत्योदय की दिशा में कार्य कर रहे हैं। जरूरतमंदों को मकान दे रहे हैं जीवन दे रहे हैं। पंडित जी के अंत्योदय के विचार को भारत सरकार की अंत्योदय योजना का मूल उद्देश्य बताया था। उन्होंने सरकार के कार्यो की सराहना करते हुए बताया कि अब लोगों में आत्मनिर्भरता बढ़ने लगी है तथा गांव और शहर के मध्य का भेद समाप्त हो रहा है।

 

कुलाधिपति ने कहा कि इसे और सशक्त बनाने के लिए विश्वविद्यालय को गाँव तक जाना चाहिए। वहां, चर्चा करनी चाहिए और वहां लोगों को ट्रेनिंग देनी चाहिए, हुनर सिखाने चाहिए जिससे लोग सिर्फ सरकार पर आधारित ना रहें। 2047 तक भारत एक विकसित देश बने इसमें सबसे बड़ी जिम्मेदारी युवा की है, छात्रों की है। उन्होंने युवाओ का संबोधित करते हुए कहा कि वर्ष 2047 में जब भारत स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ माना रहा होगा तब भारत आज के युवाओं के हाथ में होगा। इसलिए युवा को आज से ही भारत को विश्वगुरु बनाने का प्रयत्न करना चाहिए। आपको तैयार होना चाहिए।

बेटियों का बढ़ाया हौसला

महामहिम ने ‘विभिन्नता में एकता’ प्रदर्शनी में विश्वविद्यालय की छात्राओं की पारंपरिक वेशभूषा की सराहना की। उन्होंने क्षेत्रीय आहार प्रदर्शनी में पौष्टिक आहार के महत्त्व को रेखांकित करते हुए बताया कि प्रधानमंत्री जी ने वर्ष 2023 को मिलेट (बाजरा) उत्सव के रूप में मनाने का प्रस्ताव किया है। उन्होंने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय जी ने भी भारत में कृषि के महत्त्व को रेखांकित किया था। स्वस्थ और सशक्त भारत हेतु खान-पान में सकारात्मक बदलाव आवश्यक है। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि के साथ विशिष्ट अतिथि समाजसेवी एवं अदम्य चेतना की अध्यक्ष तेजस्विनी अनंत कुमार तथा सारस्वत अतिथि इतिहास संकलन समिति के संगठन सचिव डॉ बाल मुकुंद पांडेय और कुलपति प्रो राजेश सिंह ने दीप जलाकर किया। ललित कला एवं संगीत विभाग के छात्र-छात्राओं द्वारा राष्ट्रगीत और कुलगीत की प्रस्तुति की गयी।

दीनदयाल जी के विचारों से सिर्फ भारत ही नहीं अपितु विश्व की समस्याओं का समाधान सम्भव

विशिष्ट अतिथि श्रीमती तेजस्विनी अनन्त कुमार जी ने दीनदयाल जी को स्वतंत्र भारत का सबसे महान संत बताया। उन्होंने कहा कि वो राष्ट्र को राष्ट्रपुरुष मानते थे। उन्होंने कहा कि दीनदयाल जी के विचारों से सिर्फ भारत ही नहीं अपितु विश्व के सभी देशों के समस्याओं का समाधान सम्भव है। सभी को समान शिक्षा, समान स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की बात कही। जिसमें दीनदयाल उपाध्याय जी की अंत्योदय की विचारधारा निहित है। उन्होंने मोदी जी के 75वे स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उद्घोषित ‘पंच प्रण’ पर प्रकाश डालते हुए दृष्टि -2047 के लिए प्रासंगिक बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के सुशासन की तारीफ करते हुए कहा कि हम अब विकसित भारत की संकल्पना को साकार कर सकते है। उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय के ग्रीन इनिशिएटिव की ब्रांड एम्बेसडर होने के नाते कर्नाटक के ‘जीरो गार्बेज किचन’ पर चर्चा की। उन्होंने मोदीजी के आह्वान पर जीवाश्म ईंधन को 2030 तक 30 प्रतिशत घटाने और 2070 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन करने के लक्ष्य का भी जिक्र किया।

साथ ही’ रिड्यूस, री -यूज, री – साइकिल’ सभी को अपनाने पर बल दिया। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा चलाए गए ‘नो व्हीकल डे’ की मुखर रूप से प्रशंसा की और इस प्रकार के अन्य नवाचारों के लिए भी प्रेरित किया। सारस्वत अतिथि डॉ बाल मुकुंद पांडेय ने कहा कि पंडित जी 1937 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक सेवक संघ में सम्मिलित हुए। 1944 में ही वे संघ के प्रचारक बन गए। 1940 में ही उन्होंने प्रेस की स्थापना भी की, जिसकी दो पत्रिकाएं ‘राष्ट्रधर्म’ और ‘स्वदेश’ थीं। पंडित जी का रोम- रोम मातृभूमि के लिए समर्पित था। उन्होंने अपने विचारों से विश्व-बंधुत्व की भावना को मूर्त रूप देने का प्रयास किया। उन्होंने बताया कि साँस्कृतिक राष्ट्रवाद की बात करने वाले एकात्म मानववाद के प्रणेता विख्यात लेखक पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी बालकों के प्रति भी सहज प्रेम रखते थे। कार्यक्रम का संचालन प्रो दीपक त्यागी ने किया।

छात्र-छात्राओं को पारम्परिक परिवेश में देख कर बहुत अच्छा लगा

महामहिम आनंदीबेन पटेल ने विवि के गृह विज्ञान विभाग द्वारा ” विविधता में एकता” विषय पर कार्यक्रम का अवलोकन किया और खूब तारीफ की। इस अनूठे कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों जैसे- पूर्वांचल, अवध, बुंदेलखंड, एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश की भाषाओं, परिधानों, संस्कृति तथा खान-पान पर प्रदर्शनी एवं प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। महामहिम ने कहा हमारी छात्र-छात्राओं को पारम्परिक परिवेश में देख कर बहुत अच्छा लगा। यही हमारी विरासत है। पकवानों का डिसप्ले इतना अच्छा था कि देख कर मुँह में पानी आ गया। हमारी संस्कृति परंपरा खानपान बोली विस्मृत नहीं होनी चाहिए यही हमारी विरासत है दीनदयाल जी भी यही चाहते थे।
विभागाध्यक्ष प्रो दिव्या रानी सिंह तथा संयोजिका डॉ नीता सिंह, डॉ अनुपमा कौशिक, डॉ कुसुम रावत एवं डॉ अर्चना भदौरिया ने कार्यक्रम का संयोजन किया था।

गोल्ड मेडल हासिल करने में महिलाएं आगे हैं और आज प्रदर्शनी में भी महिलाओं ने बाजी मारी

महामहिम ने दीनदयाल उपाध्याय जी के व्यक्तिगत पर दीक्षा भवन में आयोजित छायाचित्र प्रदर्शनी एवं सेमिनार में प्रस्तुत किए गए एस्पेक्ट के पोस्टर प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया तथा इसे सराहा। उन्होंने कहा कि पढ़ाई में गोल्ड मेडल जीतने भी महिलाएं आगे हैं और आज प्रदर्शनी में पुरस्कार पाने में महिलाएं ही अग्रणी हैं।

सेमिनार में दीनदयाल उपाध्याय जी पर संपादित पुस्तक का विमोचन

मा. राज्यपाल तथा मंचासीन अतिथियों ने पिछले वर्ष दीनदयाल उपाध्याय जी पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रस्तुत पेपर्स पर आधारित संकलन पुस्तक का विमोचन किया।

देश के शिक्षाविदों ने की तीन दिवसीय सेमिनार में सहभागिता

समारोह में कई कुलपति तथा पूर्व कुलपति एवं शिक्षाविदों ने प्रतिभाग किया। प्रो ईश्वर शरण विश्वकर्मा, प्रो आईएस दुबे, प्रो एसएस सारंगदेवोत, प्रो कैलाश सुदानी, प्रो आरसी श्रीवास्तव, प्रो एके सिंह, प्रो हरिशंकर सिंह, पूर्व कुलपति पूर्व कुलपति प्रो योगेंद्र सिंह, कुलपति प्रो एस एस सारंगदेवोत, कुलपति प्रो सीमा सिंह, जेएनयू से प्रो सुधीर कुमार, प्रो हीरामन तिवारी तथा प्रो संतोष कुमार शुक्ला।

अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, साउथ कोरिया, नाइजीरिया समेत कई देशों के प्रसिद्ध विद्वानों ने लिया हिस्सा

रेड फोर्ट यूनिवर्सिटी वर्जीनिया अमेरिका के प्रो ग्लेन टी मार्टिन, जर्मनी के प्रो भक्ति शाह, यूनिवर्सिटी ऑफ पुरतो रीको अमेरिका के डॉक्टर मोहन भट्टाराई, कै%

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