आचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र
अध्यक्ष – रीलीजीयस स्कॉलर्स वेलफेयर सोसायटी
भारत में स्थानीय चन्द्रोदय से ही इस ग्रहण का प्रारंभ माना जायेगा क्योंकि भारत में मुख्यत: चन्द्रोदय के बाद इस ग्रहण की समाप्ति ही समाप्ति ही देखी जा सकेगी। भारतवर्ष के अतिरिक्त यह ग्रहण कहां दिखाई देगा? यह चन्द्रग्रहण दक्षिण अमेरिका, उत्तरी अमेरिका, आस्ट्रेलिया, एशिया तथा प्रशान्त महासागर में दिखाई देंगी। इस ग्रहण का आरम्भ अर्जन्टीना के पश्चिमी क्षेत्रों,चीली,बोल्विया, ब्राजील के पश्चिमी क्षेत्रों तथा उत्तरी अटलांटिक महासागर में दिखाई देगा।
ग्रहण का पर्वकाल
चन्द्रग्रहण में स्नान, दान, जपादि का विशेष माहात्म्य है। ग्रस्तोदय ग्रहण में चन्द्रोदय से ग्रहण के समाप्ति तक के काल को ” पर्वकाल ” माना जाता है। धर्मपरायण लोगों को चन्द्रोदय को ही ग्रहण आरंभ मानकर सभी धार्मिक क्रियाओं का सम्पादन वह अनुष्ठान करना चाहिए।विशेष बात यह ग्रहण कार्तिक पूर्णिमा को घटित हो रहा है, इसलिए इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के स्नान का महत्व और भी अधिक हो जाएगा।जबकि भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, उज़्बेकिस्तान तथा पूर्वी रूस में चन्द्रोदय के समय इस ग्रहण की समाप्ति दृश्य होगी।
यह खग्रास चंद्रग्रहण 8 नवम्बर 2022 ई के सम्पूर्ण भारत में ग्रस्तोदय रुप में दिखाई देगा। अर्थात भारत के किसी भी नगर में जब 8 नवम्बर को सायंकाल चन्द्रोदय होगा,इससे काफी पहले ही चन्द्रग्रहण प्रारंभ हो चुका होगा।इस चन्द्रग्रहण का प्रारंभ तथा खग्रास प्रारंभ भारत के किसी नगर/राज्य में दिखाई नहीं देगा, केवल उत्तर – पूर्वी भारत में खग्रास समाप्ति सांय 5 बजकर 12 मिनट से पूर्व जहां चन्द्रोदय होगा, वहां इस ग्रहण की खग्रास समाप्ति एवं कुछ सूदूर क्षेत्रों में सायंकाल 4 बजकर 29 मिनट से पहले ग्रहण मध्य भी कुछ मिनट के लिए दृश्य होगा। शेष भारत में तो जब चन्द्रोदय होगा, तब तक खग्रास समाप्त हो चुका होगा तथा केवल ग्रहण समाप्ति ही दृष्टिगोचर होगी। अतएव भारत में इस ग्रहण का खण्डग्रास रुप ही दिखाई देगा। भूगोल पर इस ग्रहण का स्पर्शादि काल भारतीय स्टैंडर्ड टाइम में इस प्रकार है। ग्रहण स्पर्श दिन में 2 बजकर 39 मिनट। खग्रास प्रारंभ दिन में 3 बजकर 46 मिनट। ग्रहण मध्य सायंकाल 4 बजकर 29 मिनट। ग्रहण समाप्त सांयकाल 5 बजकर 12 मिनट। ग्रहण मोक्ष सायंकाल 6 बजकर 19 मिनट।
ग्रहण का राशिफल
यह ग्रहण भरणी नक्षत्र ( मेष राशि) कालीन घटित हो रहा है, इसलिए इस नक्षत्र एवं मेष राशि वालों के लिए ग्रहण का फल अशुभ एवं कष्टकारी रहेगा। जिस राशि के लिए ग्रहण का फल अशुभ लिखा है, उसे यथा शक्ति जप- तप एवं दानादि द्वारा अशुभ प्रभाव को क्षीण किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त ग्रहण के उपरांत औषधि स्नान से भी अनिष्ट की शान्ति होती है। सभी राशियों के लिए ग्रहण का फ़ल इस प्रकार होगा।
- मेष राशि – शरीर कष्ट,चोट भय,धनक्षय।
- वृष राशि – धन हानि, परेशानी।
- मिथुन राशि – धन वृद्धि एवं सुख लाभ।
- कर्क राशि – रोग, कष्ट, चिन्ता, भय, संघर्ष।
- सिंह राशि – संतान सम्बन्धी चिन्ता।
- कन्या राशि – शत्रु एवं दुर्घटना भय, खर्च अधिक
- तुला राशि- स्त्री/ पति सम्बन्धी कष्ट।
- वृश्चिक राशि – रोग, गुप्त चिन्ता, कार्य विलम्ब।
- धनु राशि – व्यय अधिक, भागदौड़ अधिक।
- मकर राशि – कार्य सिद्धि, धन लाभ।
- कुंभ राशि – प्रगति, उत्साह एवं पुरुषार्थ वृद्धि।
- मीन राशि – धन हानि, व्यय अधिक, यात्रा कष्ट।
ग्रहण का सूतक
इस ग्रहण का सूतक 8 नवम्बर को प्रातः सूर्योदय के साथ ही प्रारंभ हो जाएगा। सामान्यत चन्द्रग्रहण का सूतक 9 घंटा पूर्व माना जाता है, परन्तु ग्रस्तोदय चन्द्रग्रहण होने से पूर्ववर्ती पूरे दिन में ग्रहण का सूतक माना जाएगा। ग्रहण मोक्ष के बाद,चन्द्र-बिम्ब के दर्शन तथा तर्पण करने के बाद ही सभी धार्मिक कार्य करने चाहिए।
ग्रहण तथा ग्रहण पश्चात क्या करें?
ग्रहण के सूतक एवं ग्रहण काल में स्नान, दान, जप- पाठ, मन्त्र -जप, मन्त्र सिद्धि, तीर्थ स्नान, हवनादि शुभ कृत्यों का सम्पादन करना कल्याणकारी रहता है। ग्रहण के बाद स्नान करना चाहिए।सूतक एवं ग्रहण काल में मूर्ति स्पर्श, अनावश्यक खाना पीना, निद्रा, नाखून काटना, तेल लगाना वर्जित है। सूतक काल में बाल, वृद्ध, रोगी एवं गर्भवती स्त्रियों को यथानुकूल भोजन और औषधि ग्रहण करने में दोष नहीं है। सूतक के पहले दूध, दही, अचार, चटनी, मुरब्बा में कुशतृण रख देना श्रेयस्कर रहता है। इससे वे दूषित नहीं होते हैं। सूखे खाद्य पदार्थों में कुश डालने की आवश्यकता नहीं है।
ग्रहण का मासफल
चन्द्रग्रहण कार्तिक में होने से समुद्र में उपद्रव होता है।
वार फल
मंगलवार को यह ग्रहण होने से दुर्भिक्ष ( अकाल) का भय, चोरों और अग्निकांड से अनेक स्थानों पर हानि होने की सम्भावना।
ग्रस्तोदय ग्रहण
यह ग्रहण ग्रस्तोदय होगा, अतः सर्दी में होने वाली फसलों को हानि की आशंका बनी रहेगी। प्रधान नेताओं को भी कष्ट का सामना करना पड़ेगा।
नक्षत्रफल
भरणी नक्षत्र में घटित होने से चोरी, डकैती, अपहरण करने वालों, मांसभक्षी, अनैतिक कार्यों में प्रवृत्त लोगों को पीड़ा होगी तना चने और धान्यादि के मूल्यों में वृद्धि होगी।
योग फल
व्यतीपात योग में ग्रहण घटित होने से चित्रकार , रंगकार, प्राचीन इतिहासवेत्ता, लेखकों को कष्ट होगा।
गोरखपुर में चन्द्रोदय स्पर्श का समय
सायंकाल 5 बजकर 6 मिनट और ग्रहण मोक्ष सायं 6 बजकर 19 मिनट पर।कुल ग्रहण अवधि=एक घंटा 13 मिनट। जबकि वाराणसी में इसका स्पर्श सांय 5 बजकर 9 मिनट पर और मोक्ष 6 बजकर 19 मिनट होने से ग्रहण की कुछ अवधि= एक घंटा 10 मिनट ही रहेगा।