एनआईआई ब्यूरो
गोरखपुर। विटामिन डी के कमी से हो सकता है अल्जाइमर रोग दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग में कार्यरत एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अभय कुमार जोकि सेंटर ऑफ जिनोमिक्स एवं bio- इनफॉर्मेटिक्स के समन्वयक हैं, उनके द्वारा किए गए शोध में पाया गया है कि जैसे-जैसे व्यक्ति वृद्ध होते हैं तथा उनकी उम्र 50 साल से ऊपर होती है, उनके शरीर में विटामिन डी की कमी पाई जाती है, प्राया देखा गया है कि, अधिकतर लोग विटामिन डी की जांच नहीं कराते, विटामिन डी शरीर में त्वचा द्वारा सूरज की रोशनी की सहायता से सृजन होता है, या बाहर के भोजन में कम मात्रा में पाई जाती है, आजकल की दिनचर्या में देखा गया है कि लोग सूरज की रोशनी में कब निकलते हैं, जिससे कि उनके शरीर में धीरे-धीरे विटामिन डी की मात्रा कम होने लगती है, डॉ. अभय कुमार के शोध में अब पाया गया है कि विटामिन डी की कमी से मस्तिष्क की कोशिकाओं में विभिन्न प्रकार के रसायन उत्सर्जित होने लगते हैं, जिससे कि समय अंतराल पर कोशिकाओं में Amyloid- बीटा प्रोटीन बनने लगती हैं, जो कि कोशिकाओं को धीरे-धीरे मारने लगती हैं, तथा आदमी की याददाश्त कम होने लगती है, जिसे की वैज्ञानिक भाषा में “माइल्ड कॉग्निटिव इंपेयरमेंट” कहते हैं , वसुधा देखा गया है कि जिन लोगों को बुढ़ापे में भूलने की समस्या आने लगती है उसका कारण भी विटामिन डी की कमी तथा Amyloid बीटा प्रोटीन का मस्तिष्क की कोशिकाओं में जमा होना हो सकता है, अधिकतर वृद्ध व्यक्ति भूलने की बीमारी को गंभीरता से नहीं लेते तथा ग्रामीण अंचलों में ऐसे व्यक्तियों का उपहास उड़ाया जाता है और कहा जाता है कि वह सठिया गए हैं, परंतु या कोई साधारण बात नहीं है ऐसे समय पर जब मरीज प्राया चीजों को भूल जाए तो उसको तुरंत चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए जिससे कि उसके मस्तिष्क की जांच हो सके, अल्जाइमर रोग एक बड़ा रोग है।
जिसमें कि मरीज अपने दैनिक कार्यों को करने में असमर्थ हो जाते हैं, तथा उनका भूलने का औषध अपने उम्र के बराबर लोगों से ज्यादा बढ़ जाता है, धीरे-धीरे मरीज कोई भी कार्य करने में असमर्थ रहता है तथा परिवार के तीमारदारों पर आश्रित हो जाता है इस बीमारी की कोई दवा नहीं है , डॉ. अभय कुमार के शोध में बताया गया है, कि धूप में बैठने से तथा अपने भोजन में दूध, अंडा, हरी सब्जी का प्रयोग करने से जिसमें कि विटामिन डी की मात्रा पाई जाती है लोग इस बीमारी से दूर रह सकते हैं, तथा एक स्वस्थ वृद्ध जीवन जी सकते हैं , डॉ अभय कुमार का शोध हमारे दैनिक दिनचर्या हमारा खान-पान एवं बीमारियों पर केंद्रित है, उन्होंने अपने शोध को बहुराष्ट्रीय जनरल न्यूरोसाइंस लेटर्स में प्रकाशित किया तथा उनके द्वारा अल्जाइमर रोग एवं एवं शुद्ध खानपान तथा मनुष्य के जिनोमिक्स पर वृहद अनुसंधान एवं शोध किया जा रहा है, जिससे कि आने वाले समय में पूर्वांचल की जनता को इसका बृहद लाभ मिल सके, डॉ अभय कुमार ने अपने किए गए शोध के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति माननीय प्रोफेसर राजेश सिंह को धन्यवाद किया है, कि उनकी प्रेरणा से ही बहुत कम समय में उन्होंने अपना यह शोध क गोरखपुर विश्वविद्यालय से करके प्रख्यात शोध पत्रिका में प्रकाशित किया।