जीवन के लिए जरुरी है अच्छी नींद 

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आचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र

खराब नींद के लिए दुनिया भर में 46 प्रतिशत वयस्क थकान और चिड़चिड़े व्यवहार को जिम्मेदार बताते हैं और 41 प्रतिशत इसके लिए प्रेरणा की कमी और कुछ एकाग्रता की कमी को इसका मुख्य कारण मानते हैं।निद्रा और श्वसन देखभाल विशेषज्ञों के अनुसार, स्लिप डिस आर्डर लोगों की समझ से अधिक गंभीर समस्या है।इसका सीधा सम्बन्ध अन्य गंभीर बिमारियों जैसे हृदय से सम्बन्धित रोग, मधुमेह और हृदयाघात आदि से है। ऐसे देश में जहां जहां खर्राटे को पारंपरिक रुप से नींद से जोड़ कर देखा जाता है, वहां के लोगों को इस बात के लिए जागरूक करना आवश्यक है कि यह एक गंभीर स्लीप डिस आर्डर है, यह एक चुनौती पूर्ण समस्या है। विशेषज्ञो की बात की जाए तो वे कहते हैं कि नींद जीवन का एक अनिवार्य और सक्रिय संचरण है।लोग इसके प्रति ज्यादा जागरुक नहीं हैं और स्लीप डिस आर्डर एक भयंकर समस्या बनती जा रही है। हमारे देश सहित एक बड़ी जनसंख्या आज भी इस समस्या से अनजान और लापरवाह है। अच्छी नींद न आने से अनेक रोगों का जन्म होता है और इसका हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। आमतौर पर अच्छी नींद न आने से यह हृदयाघात से लेकर अनेक रोगों का कारण बनती है ‌। अच्छी नींद न आने से मधुमेह जैसी बिमारियों कामी खतरा बना रहता है।जीवन की गुणवत्ता की कमी से अनिद्रा का गहरा सम्बन्ध है।आज अनिद्रा एक गहरी समस्या बनती जा रही है।

21 फीसदी लेते हैं नीद की गोली

एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि हमारे देश में लगभग 21 प्रतिशत रोगी डाक्टर से नींद की गोली की सिफारिश करते हैं।रोगी कहते हैं कि उन्हें नींद नहीं आती है।इस बात से मालूम होता है कि दुनिया में धीरे धीरे लोगों में नींद की कमी आती जा रही है।यह भी कहा जाता है कि बेहतर स्वास्थ्य के लिए नींद जरुरी है। लेकिन एक रिपोर्ट से पता चलता है कि हमारे देश में ही नहीं सम्पूर्ण संसार में की करोड़ लोग नीद न आने की समस्या से ग्रसित हैं। लगभग 80 प्रतिशत लोग तो समस्या होते हुए भी इससे अनजान बने रहते हैं। कुछ लोग नींद लेते परन्तु उसे नियमित नहीं रख पाते हैं। स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी कम्पनी ने सर्वेक्षण के तहत जब तेरह देंशों-अमेरिका , ब्रिटेन, जर्मनी, पोलैंड, फ्रांस, भारत, चीन, आस्ट्रेलिया, कोलम्बिया, अर्जेंटीना, मैक्सिको, ब्राजील और जापान – में 15 हजार से अधिक व्यवस्कों से नींद के् बारे में प्रश्न किया, तो कुछ रोचक तथ्य आए।

महिलाएं ज्यादा होती हैं अनिद्रा से प्रभावित

महिलाओं मे अनिद्रा की समस्याएं ज्यादा दिखाई देती है।अनिद्रा की समस्या तो सम्पूर्ण जनसंख्या में लगभग एक तिहाई लोगों में है, लेकिन महिलाओं में इस बिमारी का ज्यादा असर है।हर दूसरी या तीसरी महिला को रात रात भर नींद न आने की शिकायत बनी रहती है।हानि नींद न आने का कई कारण होते हैं, लेकिन वर्तमान समय में खासतौर पर शहरी महिलाओं पर ,घर दफ्तर की दोहरी जिम्मेदारी आने के कारण उत्पन्न तनाव और मानसिक परेशानी से, ज्यादातर महिलाओं की आंखों से नींद गायब हो गई है।वहीं नौकरीपेशा एवं महत्वाकांक्षी महिलाओं में सिगरेट और शराब के फैशन से भी अनिद्रा की समस्या में वृद्धि हुई है। मनोचिकित्सकों के अनुसार महिलाओं में कुदरती तौर पर अनिद्रा और कम नींद आने की समस्या ज्यादा होती है। इसमें बहुत सारी वजहें हैं। जैसे खास हार्मोन का बनना, ज्यादा जिम्मेदारियों का होना, डिप्रेशन और एंजाइटी जैसी मानसिक समस्याओं का ज्यादा होना है। चिकित्सों के अनुसार, अक्सर कई महिलाओं में यह देखा जाता है कि उन्हें नींद आने में दिक्कत होती है।उनकी नींद मध्य रात्रि या बहुत सवेरे खुल जाती है।इसका इलाज न होने से उन्हें दिनभर थकान रहता है और उनमें डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन, कार्य क्षमता में कमी, दुर्घटना और चोट लगने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

61 फीसदी की नींद बीमारी से होती है प्रभावित

61 प्रतिशत लोगों का मानना है कि किसी बीमारी के इलाज के दौरान उनकी नींद प्रभावित होती है। इसलिए 26 प्रतिशत अनिद्रा से और 21 प्रतिशत खर्राटों के वजह से पीड़ित हैं।58 प्रतिशत लोग मानते हैं कि चिंता उनके लिए अनिद्रा का कारण है और कुछ यह भी मानते कि टेक्नोलॉजी के प्रति आकर्षण भी अच्छी नींद में प्रबल बाधक है। भारत में बहुत से लोगों का यह कथन है कि नींद के समय काम के घंटे का अधिक बढ़ जाना भी अनिद्रा का कारण बनता है‌। कुछ लोगों का यह भी कथन है कि आधुनिक प्रौद्योगिकी की वृद्धि भी इसका एक कारण है।

अनिद्रा के शिकार सभी

अनिद्रा के सम्बन्ध में कुछ उल्लेखनीय तथ्य इस प्रकार है -93 प्रतिशत लोगों का कथन है कि वे पूरी नींद नहीं ले पाते हैं। अधिकांश लोगों का कथन है कि वे रात में आठ घंटे से कम ही हो पाते हैं।72 प्रतिशत लोग नींद के बीच में एक या दो बार अथवा तीन बार जागते हैं।एक सर्वे के अनुसार 62 प्रतिशत लोग प्रतिरोधात्मक श्वासरोधी बीमारी से ग्रसित हैं। इसमें सोते समय 10 सेकंड या उससे थोड़े अधिक समय के लिए सांस रुक जाती है।57 प्रतिशत लोगों का कथन है कि नींद कम आने से उनका काम प्रभावित होता है।28 प्रतिशत लोगों ने काम के दौरान अपने सहयोगियों को सोते देखा है।19 प्रतिशत लोगों का कथन है कि अनिद्रा के कारण लोग परिवार से तालमेल नहीं बैठा पाते हैं। लगभग 11 प्रतिशत लोग नींद की कमी से दफ्तर से अवकाश ले लेते हैं। केवल दो प्रतिशत लोग ही हैं जो नींद की कमी को लेकर चिकित्सक से बात करते हैं।

अच्छी नींद को रात 8 बजे तक कर लें भोजन

अच्छी नींद के लिए आवश्यक है कि हम भोजन रात को आठ बजे के आसपास ग्रहण करें। कुछ समय टहलें और मनकों अन्तर्मुखी करें।अपने काम का अवलोकन करें और बुरे काम न करने का संकल्प लें।इस तरह की सोच हमको अच्छी नींद में ले जाएगी। वैसे रात को एक सोने से कुछ पहले एक गिलास हल्का गरम दूध का सेवन करना भी अच्छी नींद में सहायक बनता है।रात्रि कै हल्का भोजन दें, गरिष्ठ और देर से पचने वाला भोजन न करें।यह नींद को दूर करता है।कई बार अलार्म की तेज आवाज भी नींद को दूर करता है। इसके अतिरिक्त अच्छी नींद के शारीरिक व्यायाम भी आवश्यक है। शोधकर्ताओं का कथन है कि जो लोग प्रतिदिन एक्सरसाइज करते हैं, उन्हें रात में अच्छी नींद आती है।यदि सम्भव हो सायंकाल भी व्यायाम करें ताकि रात में चैन की नींद आ जाए।

चैन की नीद वरदान की तरह

चैन की नींद मानव के लिए एक नियामत से कम नहीं है।यह सबको नसीब नहीं होता है। आजकल भागदौड़ के जीवन में तनाव इतना बढ़ गया है कि रात की नींद आंखों हूं बहुत दूर होती जा रही है। इसके अगले दिन आलस्य बना रहता है। अधिकतर लोग विशेषकर जवान और टीचर वर्ग सोने से पहले कम्प्यूटर पर बैठकर चैटिंग करने, कम्प्यूटर गेम खेलने, मोबाइल पर खेलने की आदत बना लेते हैं।वे इस बात में इतना मग्न रहते हैं कि उन्हें पता ही नहीं चलता है कि कब सोने का समय निकल गया। इस कारण वे जल्दी उठ जाएं , यह उनके लिए सम्भव नहीं होता है।यदि हम बेड पर चले जाएं तो तो हमारे मस्तिष्क में नींद आने वाले केमिकल्स सक्रिय हो जाते हैं फिर कुछ ही समय में हम चैन की नींद के आगोश में चले जाते हैं।यदि हम सोने के समय अपने को अन्य कामों में लगाए रखते हैं तो दिमाग कै यह संकेत जाता है कि अभी हम काम कर रहे हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि समय से अंधकार कर अपने बिस्तर पर चले जाएं ताकि चैन की नींद आ जाए।

विश्व निद्रा दिवस

प्रत्येक वर्ष 21 मार्च को ( विषुव दिवस) से पहले पड़ने वाले शुक्रवार को नींद दिवस मनाया जाता है।विषुव ऐसा समय बिन्दु है जिसमें दिन और रात बराबर होते हैं। नींद के समय को रेखांकित करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है।इसे मनाए जाने का उद्देश्य लोगों को नींद के महत्व को समझाना और नींद से समझौता न करने की सलाह देना है ‌इस वर्ष यह 17 मार्च दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा।

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