शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का उन्नीसवाँ स्थापना दिवस
एन आई आई ब्यूरो
गोरखपुर। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का उन्नीसवाँ स्थापना दिवस देवी शंकर सभागार, महात्मा गांधी इण्टर कॉलेज, गोरखपुर में आयोजित किया गया। इस अवसर पर समारोह के मुख्य अतिथि प्रोफेसर गोविन्द पाण्डेय अधिष्ठाता छात्र कल्याण व विभागाध्यक्ष सिविल विभाग , पंडित मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्विद्यालय , गोरखपुर ने कहा कि हम सर्वप्रथम राष्ट्रधर्म के उद्देश्य को आत्मसात करते हुए शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास से जुड़कर आत्मनिर्भर भारत जैसे लक्ष्यों को पूर्ण कर पाने में समर्थ हो सकेंगे। आत्मनिर्भर भारत के माध्यम से ही हम अपने प्राचीन गौरव व विरासत को प्राप्त कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षा व संस्कृति को अलग नहीं कर सकते। शिक्षा व संस्कृति को आपस में जोड़कर ही हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
मुख्य वक्ता के रूप में न्यास के प्रान्तीय अध्यक्ष व प्राणि विज्ञान विभाग, गोरखपुर विश्वविद्यालय के आचार्य डॉ० विनय कुमार सिंह ने कहा कि भारतीय परम्परा के अनुसार हमारे चिंतन की कई धाराएं हैं, लेकिन पश्चिम ने केवल एक ही धारा को समझा और फैलाया है। आज शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के माध्यम से हमें अपनी भारत की प्राचीन ज्ञान परम्परा और सामाजिक व्यवस्था को समझने और अपने तरीके से परिभाषित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अपनी ज्ञान परम्परा, सामाजिक व्यवस्था और जीवनशैली को बाजारवाद से बचाने की जरूरत है। हमें पश्चिमी सभ्यताओं और विदेशी ज्ञान-विज्ञान को दरकिनार कर अपनी परम्पराओं, जीवन मूल्य व मान्यताओं का पुनरुत्थान करते हुए भारतीयता में ओत प्रोत होना होगा।
कार्यक्रम के अध्यक्ष व महात्मा गांधी पी जी कालेज एवं महात्मा गांधी इण्टर कॉलेज के मंत्री एवं न्यास के प्रान्तीय संरक्षक डाॅ० मयंकेश्वर पाण्डेय ने कहा कि दो दशक पहले आज के ही दिन शिक्षा बचाओ आन्दोलन के माध्यम से न्यास का आविर्भाव हुआ था। शिक्षा समाज के आश्रित होती है। नालन्दा व तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय समाज के आश्रित थे। इसीलिए विश्वविद्यालयों के स्वरूप को समझने से उस समय के उच्च आदर्श से युक्त समाज को समझा जा सकता है।
विशिष्ट अतिथि रामजी सहाय पी जी कालेज , देवरिया के प्राचार्य डॉ बृजेश पांडे ने कहा कि हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा प्रवर्तित ज्ञान विज्ञान को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से हम हमारे पारियों को बताने में समर्थ होंगे यह हमारे गौरव का विषय है। महात्मा गांधी पी जी कॉलेज गोरखपुर के पूर्व प्राचार्य डॉ० शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि अपनी चाहे जीव विज्ञान वनस्पति विज्ञान रसायन विज्ञान प्राणी विज्ञान पर्यावरण विज्ञान इन सारे विषयों पर हमारे भारतीय ऋषि यों ने प्राचीन काल में ज्ञान परंपरा की खोज कर ली थी हमारा दुर्भाग्य है कि मैं काले शिक्षा नीति के कारण उन प्राचीन ज्ञान विज्ञान को हम नहीं जान सके वैदिक गणित जैसी विषय पर अथाह ज्ञान भंडार हमारी ऋषि यों ने बहुत प्राचीन काल में ही तुम प्रवर्तित कर दिया था।
विशिष्ट अतिथि डॉ श्रीमती मंजू मिश्रा प्राचार्य, बापू पी जी कालेज पी पीगंज ने कहा कि हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने समाज को मूल्यपरक शिक्षा दें शिक्षा ही वह माध्यम है जिसके द्वारा हम सांस्कृतिक परिवर्तन कर सकते हैं। हम अपनी भाषा में लिखने का प्रयास करें यह सरकार की जिम्मेदारी नहीं अपितु हम सभी की जिम्मेदारी है धीरे-धीरे ही सही हम समाज को प्राचीन ज्ञान परंपरा के अनुरूप ढालने का प्रयत्न करें। *कार्यक्रम में प्रस्ताविकी प्रान्त के संयोजक डॉ० विनय कुमार मिश्र ने कहा कि स्वतन्त्रता के सात दशक बाद भी देश की प्रशासन व्यवस्था अंग्रेजों द्वारा रचित ICS पद्धति पर ही आधारित है।
चयन परीक्षा भी ब्रिटिश काल के अनुरूप ही चली आ रही थी। न्यास का मानना है की इस प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन जरूरी है। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए राज्यों में भी परीक्षा प्रणाली में सुधार हेतु न्यास का प्रकल्प कार्यरत है प्रकल्प के ध्येय वाक्य- ‘संवाद-सुझाव-सुधार’ को कृति में लाते हुए छात्रों से संवाद कर, विद्वानों से चर्चा कर सुझाव एकत्रित कर उनको उचित पटल तक ले जाने का कार्य कर इन परीक्षाओं में अनुपलब्ध शिकायत निवारण व्यवस्था की दिशा में कार्यरत है। स्थापना दिवस समारोह का शुभारंभ न्यास की महिला कार्य विभाग प्रान्तीय प्रमुख कवयित्री डॉ० चारुशीला सिंह जी के माँ सरस्वती आराधना से हुआ । इस अवसर पर सभी मंचस्थ अतिथि गण को श्रीमद्भगवत गीता प्रदान कर सम्मान किया गया। आगत अतिथियों का आभार ज्ञापन चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व विकास प्रकल्प के प्रान्त संयोजक डॉ बृजेश मणि मिश्र ने किया।
इस अवसर पर गोरक्ष प्रान्त के सहसंयोजक डॉ० अशोक कुमार शाही, गिरीश राज त्रिपाठी जी, प्रकल्प संयोजक डॉ० अंकित सिंह, डॉ० अभिषेक पाण्डेय, डॉ सुषमा शुक्ला,श्रीमती प्रीति मिश्र, कृष्ण कुमार मिश्र, मृतुंजय उपाध्याय, डॉ करुणेश मिश्र, डॉ अनिल सिंह, डॉ के एम पाठक, सहित महानगर के ख्यातिलब्ध शिक्षाविद प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।समारोह का संचालन डॉ के .एम. पाल , प्रान्तीय संयोजक , शोध प्रकल्प ने किया।