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केवल स्किल आधारित नए पाठ्यक्रमों के ही अतिरिक्त शुल्क लिए जायेंगे
एनआईआई ब्यूरो
गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय द्वारा नई शिक्षा नीति के अंतर्गत लागू किए गए सीबीसीएस सिस्टम में 75% मेजर कोर्सेज है जिनमें किसी भी प्रकार के शुल्क में वृद्धि नहीं की गई है। जैसे बीएससी में भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, गणित तथा बीए में राजनीति विज्ञान, प्राचीन इतिहास, भूगोल। नई शिक्षा नीति के अंतर्गत सीबीसीएस सिस्टम में तीन तरह के नए कोर्स छात्र को लेने होंगे। माइनर (इलेक्ट्रिव) कोर्स को छात्र पहले और दूसरे साल में तथा माइनर (वोकेशनल) कोर्स को छात्र दूसरे और तीसरे साल में तथा माइनर (को-करिकुलर) कोर्स को छात्र तीनों साल में लेना होगा। इसके अंतर्गत जो कोर्स पहले से पढ़ाए जा रहे थे जैसे कि एनसीसी, एनएसएस, रोवर्स रेंजर्स तथा स्पोर्ट्स इत्यादि में किसी भी प्रकार के नए शुल्क नहीं लिया जाएंगे। कुछ कोर्सेज जैसे जो स्किल पर आधारित है और नए हैं तथा इनके पठन पाठन के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर महाविद्यालयों में नहीं है। वहां इंफ्रास्ट्रक्चर को बनाने तथा इन कोर्सेज के संचालन के लिए 500 रुपये प्रति कोर्स अतिरिक्त शुल्क लिया जाएगा।
माइनर इलेक्ट्रिव में कुछ कोर्ट से जैसे बेसिक्स ऑफ इंग्लिश, बेसिक्स ऑफ हिंदी, बेसिक्स ऑफ संस्कृत भी ऑफर किया जा रहा है और विश्वविद्यालय का मानना है कि ऐसे कोर्सेज के संचालन की व्यवस्था पहले से मौजूद है तो अगर कोई छात्र इन कोर्सेज को चुनता है तो उससे कोई फीस नहीं ली जाएगी। परंतु माइनर (इलेक्टिव) में ही कुछ कोर्सेज जैसे कि फ्रेंच, जर्मन स्पेनिश, पाली, बुद्धिस्ट भाषाएं और नेपाली भाष की भी व्यवस्था है और अगर छात्र इन कोर्सेज को चुनता है तो कॉलेज को इन कोर्सज के संचालन की व्यवस्था करने में कुछ संसाधनों की जरूरत होगी और वह इसी अतिरिक्त शुल्क के माध्यम से की जाएगी। जैसे पहले सेमेस्टर में माइनर (इलेक्ट्रिव) के अंतर्गत एक कोर्स विद्यार्थी राष्ट्र गौरव तथा माइनर (को करिकुलर) में एनसीसी लेता है तो उसको कोई अतिरिक्त शुल्क देने की आवश्यकता नहीं है। यही सीबीसीएस सिस्टम का लचीलापन है। इस सिस्टम में बहुत सारी बातें पर निर्भर करती हैं की विश्वविद्यालय या महाविद्यालय छात्रों को कैसे कोर्सज ऑफर करते हैं।
यह बात स्पष्ट करनी है कि एक साल में जो अतिरिक्त शुल्क बढ़ाया गया है । वह केवल 1200 रुपये परीक्षा शुल्क तथा 150 रुपये पंजीकरण शुल्क है। इस तरह छात्र से एक साल में केवल 1350 रुपये अतिरिक्त लिया जा रहा है। और अगर छात्र स्पेशल स्किल्ड कोर्स जो विश्विद्यालय या महाविद्यालय में पहले से उपलब्ध नहीं था वह चुनता है तब 500 रुपये वाली व्यवस्था लागू होगी। सिलेबस में इतने विकल्प की व्यवस्था है कि शायद पूरे तीन साल के कोर्स में अगर छात्र योजना बनाकर कोर्स चुनता है तो उसे एक या दो बार ही 500 रुपये अतिरिक्त शुल्क देना पड़ेगा। इन मुद्दों पर चर्चा करने के लिए कई बार अखबारों द्वारा आधिकारिक वक्तव्य नहीं लेने के कारण भ्रम की स्थिति बन जाती है। कुलपति प्रो राजेश सिंह ने कहा कि सीबीसीएस सिस्टम विश्वविद्यालय के लिए नया है लेकिन छात्र के लिए फायदेमंद है। छात्र माइनर इलेक्ट्रिव, वोकेशनल, स्किल्स बेस्ड कोर्सेज जिस तरह से चुनेगा आने वाले दिनों में उसके प्लेसमेंट और नौकरी की सम्भावना बढ़ जाएगी। छात्र को देखना है कि आने वाले नए कोर्स लेता है या केवल हिंदी इंग्लिश इत्यादि को लेकर सिर्फ पास होकर अपने आप को सिकोड़ना चाहता है।