एनआईआई ब्यूरो
गोरखपुर। भारतीय संस्कृति और सनातन मुल्यों के प्रहरी गीता प्रेस ने धार्मिक पुस्तकों के प्रकाशन के क्षेत्र में एक और नया स्वर्णिम अध्याय जोड़ा है। अपने शताब्दी वर्ष के अवसर पर गीता प्रेस ने दुर्गा सफ्तशती का बेहद आकर्षक और रंगीन संस्करण निकाला है। इसके पहले बीते जून माह में प्रकाशन के 100 वें वर्ष में प्रवेश के अवसर पर गीताप्रेस ने रामचरित मानस के रंगीन संस्करण का प्रकाशन शुरू किया था, जिसका विमोचन तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था। अब अगले साल शताब्दी वर्ष के पूरे होने के अवसर पर प्रधानमंत्री को आमंत्रित करने का प्रबंधन विचार बना रहा है। यह आश्चर्य की बात है कि द्रुतगति से डिजिटल हो रही दुनिया में जहां अखबार से लेकर ढेर सारे नामी प्रकाशनों की प्रसार संख्या. सिकुड़ रही है, उसके अस्तित्व का संकट आ खड़ा हुआ है वहीं गीता प्रेस की प्रसार संख्या उत्तरोत्तर वृद्धि की ओर अग्रसर है। वर्तमान में गीता प्रेस के लगभग 1800 प्रकाशन हैं। गीता प्रेस की पुस्तकों की हिंदी भाषी क्षेत्रों के साथ साथ अहिंदी क्षेत्र में बड़ी मांग है। इसीलिए अहिंदी भाषी लोगों की मांग पर गीताप्रेस हिंदी, संस्कृत के अलावा अंग्रेजी, बंगला, गुजराती, मराठी, तमिल, तेलगू, कन्नड़, उड़िया, असमिया, मलयालम,पंजाबी नेपाली, उर्दू भाषों में धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशन कर रहा है। श्रीमदभागवद्गीता तो इन सभी भाषाओं में उपलब्ध है।
यहां की छपी पुस्तकों की मांग इतनी है कि गीता प्रेस अत्याधुनिक छपाई की मशीनें होते हुए भी मांग के अनुरूप पुस्तकें उपलब्ध नहीं करा पाता। मगर भारतीय संस्कृति और धार्मिक पुस्तकों की शुचिता के साथ प्रकाशन में नित नए प्रयोग कर गीता प्रेस अपने पाठक संख्या में अहर्निश वृद्धि कर रहा है। रामचरित मानस के सचित्र रंगीन संस्करण की अपार सफलता के बाद गीता प्रेस ने दुर्गा सप्तशती का रंगीन संस्करण प्रारंभ कर दिया है। गीता प्रेस के प्रबंधक लालमणि तिवारी बताते हैं कि दुर्गा सप्तशती के रंगीन संस्करण की 3000 प्रतियां छपी हैं। इस पुस्तक के सारे पृष्ठ रंगीन हैं।इनमें मां दुर्गा के 100 से अधिक रंगीन चित्र हैं। पूरी पुस्तक आर्ट पेपर पर मुद्रित की गई है। इस ग्रंथाकार पुस्तक में 304 पृष्ठ हैं और इसकी कीमत 450 रुपये रखी गई है। वैसे तो दुर्गा सप्तशती के कई संस्करण निकले हैं जिनकी बिक्री लाखों में है। पर इस रंगीन संस्करण को लोग हाथोंहाथ ले रहे हैं। पुस्तक की छपाई की गुणवत्ता देखते हुए इसकी कीमत नगण्य सी है। इसी तरह से रामचरित मानस के रंगीन संस्करण की अब तक 5000 से ज्यादा प्रतियां बिक चुकी हैं। श्री तिवारी बताते हैं कि इसकी जितनी मांग है हम उतनी उपलब्धनहीं करा पा रहे हैं।
शिवपुराण का रंगीन संस्करण लाने की तैयारी
अपने नवोन्मेष और कर्तव्य निष्ठा से सफलता के नए प्रतिमान गढने वाले इस प्रकाशन ने अब शिव पुराण का भी रंगीन संस्करण लाने की तैयारी शुरू कर दी है। अगर सब कुछ ठीक रहा और प्रधानमंत्री को आमंत्रित करने का मार्ग प्रशस्त हो गया तो उसी अवसर पर शिवपुराण का नया रंगीन संस्करण भी अगले वर्षतक उपलब्ध हो जाएगा।
फिलहाल गीताप्रेस अपने शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित हो रहे विभिन्न आयोजनों के क्रम में एक दिसंबर से रामकथा का आयोजन करने जा रहा है। सात दिसंबर चक चलने वाली इस कथा के व्यास नरहरिदास जी महाराज हैं। उन्होंने अपनी सहर्ष सहमति दे दी है। नरहरिदास जी बक्सर निवासी प्रसिद्ध कथावाचक नारायणदास भक्तिमाल ( मामाजी)के परम प्रि. शिष्य हैं। कथा गीता प्रेस के परिसर में लीलाचित्र मंदिर में होगी। इसी क्रम में गीता प्रेस परिसर में चार दिसंबर को गीता जयंती मनाई जाएगी। इसमें गीता की सार गर्भित व्याख्या करने वाले उद्भट विद्वान आमंत्रित होंगे।