- केवीके बेलीपार ने कृषक प्रशिक्षण एवं प्रक्षेत्र दिवस कार्यक्रम का किया आयोजन*
एनआईआई ब्यूरो
गोरखपुर। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, बेलीपार, गोरखपुर पर आज 15.11.2022 को अंतर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय शोध संस्थान वाराणसी के सहयोग से धान की कैफेटेरिया में प्रजातियों के मूल्यांकन एवं कृषक प्रशिक्षण तथा प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि उप कृषि निदेशक डॉ अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि किसानों को धान की नई उन्नतशील, रोग प्रतिरोधक प्रजातियों का चयन करना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय शोध संस्थानों के सहयोग से के.वी.के. बेलीपार, गोरखपुर किसानों के लिए धान की अच्छी प्रजातियों एवं लाइनों का परीक्षण कर रहा है। जिसमें देखा जा रहा है, कि जलवायु परिवर्तन की स्थिति में कौन सी प्रजाति पूर्वी उत्तर प्रदेश में कम लागत में अधिक उत्पादन दे सकती है। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ एस.के. तोमर ने केंद्र द्वारा किसानों के हित में चल रहे कार्यक्रमों के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि केंद्र पर धान की प्रजातियों का परीक्षण अंतिम चरण में है।
तथा आने वाले खरीफ सीजन में 3 से 4 उन्नत प्रजातियां हम पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों को देंगे। जो विभिन्न परिस्थितियों में अधिक उत्पादन देने में सक्षम होंगी। सीसा परियोजना के वैज्ञानिक डॉ अजय कुमार ने बताया कि किसानों को उन्नत प्रजातियों के साथ-साथ कृषि की उन्नत तकनीकों जैसे जीरो टिलेज, डीएसआर, सुपर सीडर आदि का प्रयोग करना चाहिए। जिससे हमें लागत में बचत के साथ-साथ उत्पादन भी अधिक प्राप्त होता है। कार्यक्रम में प्रतिभाग कर रहे 40 प्रगतिशील कृषकों द्वारा धान की 25 प्रजातियों की कैफिटेरिया का मूल्यांकन एवं उनके चयन की प्रक्रिया कराई गई। कृषकों द्वारा प्राप्त मूल्यांकन प्रतिवेदन के विश्लेषण के उपरांत प्रजातियों का चयन किया जाएगा। केंद्र के वैज्ञानिक डॉ एस. के. सिंह, डॉक्टर कंचन, शैलेंद्र सिंह, डॉक्टर मनोज कुमार ने मूल्यांकन प्रक्रिया एवं प्रजातियों के चयन से संबंधित विस्तार पूर्वक जानकारी दिया केंद्र के वैज्ञानिक डॉ एस.के. सिंह ने मुख्य अतिथि एवं प्रतिभाग कर रहे कृषकों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में श्री मनीष सिंह, श्री एन.पी. शाही, श्रीमती शालिनी देवी, श्री चंद्र प्रकाश यादव, श्री प्रदीप कुमार मौर्य एवं श्री प्रेम नारायण का सराहनीय योगदान रहा