क्या इस्लाम का चीनीकरण करना जायज है?

0 0
Read Time:12 Minute, 58 Second

आचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र

इस समय चीन की सरकार वहां रहने वाले मुस्लिमों पर अत्याचार कर रही है जबकि चीन का दावा है कि ऐसा नहीं कर रहा है। चीन वहां मुसलमानों में व्याप्त अरबी कुप्रथा पर बंदिश लगा रहा है। लोगों के अपने अपने विचार हो सकते हैं। पश्चिम की मीडिया में इस समय चीन की इस कारवाई की भर्त्सना हो रही है। ब्रिटेन सहित कई पश्चिमी देश चीन सरकार की इस कारवाई को नाजायज मान रहे हैं। जबकि मुस्लिम देशों में चुप्पी छाई हुई है। पाकिस्तान जो अपने को इस्लाम का अगुवा मानता है और जिस देश का निर्माण ही नफरत और मजहबी आधार पर हुआ है वह भी मौन है। जब मीडिया ने पाकिस्तान के हुक्मरानों से प्रश्न किया तो उन्होंने कहा कि यह चीन को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है। वहां सब कुछ ठीक चल रहा है। कुछ तस्वीरों में चीन के पश्चिमी प्रांत शिंजियांग में मस्जिदों को नष्ट करते हुए दिखाया गया है।सबके बावजूद किसी मुस्लिम देश से इसके विरुद्ध कोई बड़ी प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिल रही है। सबसे ज्यादा दु:खी अमेरिका और ब्रिटेन हैं। वे मानवाधिकार की दुहाई दे रहे हैं। ब्रिटिश मीडिया का कथन है कि शिंनजीयांग प्रांत में लगभग दस लाख मुस्लिम कैद में है और वे चीन सरकार से प्रताड़ित हो रहे हैं। उन पर अत्याचार किया जा रहा है। अब हम मामले के तह में जाएं कि मामला क्या है।

शिंजियांग प्रांत का सच :

चीन में सबसे ज्यादा मुस्लिम शिंनजीयांग में ही रहते हैं। पहले यहां बौद्ध धर्म का बोलबाला था कालांतर में इस्लाम के फैलाव से यहां के लोगों ने इस्लाम स्वीकार कर लिया। अब यहां बौद्ध धर्म के लोग कम ही है। तथ्य भी है जहां इस्लाम व्यापक हो जाता है वहां अन्य समुदाय के लोगों के रहने में परेशानी आ ही जाती है क्योंकि वे अन्य दूसरे विचारों को महत्व नहीं देते हैं। केवल अल्लाह और उनके रसूल के अतिरिक्त संसार के समस्त विचार गैर कानूनी हो जाते हैं।यही इतिहास रहा है और मैं जहां तक जानता हूं कि इसमें वे परिवर्तन नहीं करना चाहते हैं। जहां इनकी जनसंख्या में वृद्धि हुई, अन्य धर्मो के लोग या तो भाग जाते हैं या धर्म परिवर्तन कर लेते हैं। यहीं शिंनजीयांग में भी हुआ है। यह प्रदेश बहुत समय तक रुस और मंगोलिया और चीन के अन्तर्गत रहा है। बीच बीच में यह स्वतंत्र भी रहा।चीन में साम्यवादी सरकार के गठन के बाद इसे स्वायत्तशासी प्रांत के अन्तर्गत मान्यता दे दी गई। परन्तु नियन्त्रण तो चीन का ही है।

शिंनजीयांग में यही हुआ। वहां के उडगर मुसलमानों के बीच कुछ अराजक और पृथकतावादी मानसिकता के उग्रवादियों का प्रवेश हुआ और वे शरिया कानून की मांग करने लगे। भला यह चीन की सरकार को कहां स्वीकार हो सकता है। फलत: इन उग्रवादियों को समर्थन देने वालों पर चीन सरकार का कहर प्रारंभ हो गया।उसने इन जेहादियों और उसे समर्थन करने वालों का सफाया करना शुरू कर दिया। शिंनजीयांग और उसके आसपास के मुस्लिमों में दो पंथ है – एक उइगर मुसलमान और दूसरे हुई मुसलमान। जब चीनी मीडिया से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यहां मुसलमान चीनी नागरिक बन जाएं।अरबी मुस्लिम बन कर न रहें। यही चीन सरकार का उद्देश्य है। हम उनके धर्म में दखलंदाजी नहीं कर रहे हैं।बल्कि उन्हें सुशिक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है। वे मजहबी तालीम को छोड़कर ज्ञान विज्ञान की ओर ध्यान दें। मुसलमानों से कहा जा रहा है कि वे मस्जिदों को चीनी स्टाइल में बनवाएं‌,अरबी देशों के मुसलमानो की तरह न बनवाएं।

मुसलमानो को यदि चीन में रहना है तो चीनी बनकर ही रहना होगा।भाषा भी अरबी नहीं चीनी बोलनी होगी। कपड़े भी ऐसा पहने जिससे वे बाहरी न लगें, न कपड़े पर इस्लाम का सिंबल हो। चीन में चीनीकरण सीनिसाइजेशन की शुरुआत शी जिनपिंग के सत्ता में आने के बाद हुई। सन् 2018 में शी जिनपिंग ने बतौर राष्ट्रपति एक वक्तव्य दिया, जिसमें उन्होंने कहा-हम चाहते हैं कि चीन में रहने वाले हर मजहब के लोग चीन की संस्कृति से जुड़ाव रखें। इसके लिए उनको चीनी प्रतीकों और तरीकों को अपनाना होगा।इसी के बाद इस्लाम का चीनीकरण सीनिसाइजेशन शुरू हो गया। पहले वे अरबी तरीके अपनाते थे। चीनी संस्कृति से अधिक अरबी संस्कृति को महत्व देते थे। जब वे इसके लिए तैयार नहीं हुए तो चीनी फोर्स ने उनकी प्रताड़ना शुरू कर दिया। अब अरबी स्टाइल की मस्जिदें हटाई जा रही है। कुछ शहरों में तो मस्जिदों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया है। कुछ मस्जिदों के उपर से गुंबदों को हटाया जा रहा है। कुछ मस्जिदों की बनावट में परिवर्तन किया जा रहा है। सोलह हजार मस्जिदों के ढांचे में बदलाव हुआ है।शी जिनपिंग का कथन है कि चीन में हर चीज पर चीनी छाप होनी चाहिए। इसी को अंग्रेजी में सीनिसाइजेशन कहते हैं।

क्या वहां रहने वाले उइगर मुस्लिमों से चीन को कोई खतरा है जिसमें उनके मस्जिदों को छोड़कर नए सिरे से तोड़कर बनाया जा रहा है। आंकड़ों के अनुसार चीन में लगभग दो करोड़ से तीन करोड़ के बीच मुस्लिम रहते हैं।वे सब देश के पश्चिमी भाग में ही है। कुछ समय पहले तक पिछले सरकारों के काल में ऐसा नहीं हुआ कि उनके मस्जिदों को तोड़ा जाए। फिर इस सरकार को क्यों यह समझ में आया कि यहां के मुस्लिम और उनके आचरण राष्ट्र के हित के प्रतिकूल हैं। कुछ तो कारण है ही।चीन सरकार किसी धर्म को पूर्णतया मान्यता नहीं देती है। परन्तु यह बात उड़गरो को स्वीकार नहीं है।उनके लिए किसी राष्ट्र से अधिक उनका धर्म है। प्रायः यह देखा जाता है कि वे किसी राष्ट्रीय धर्म से अधिक अपने इस्लाम और पैगम्बर को महत्व देते हैं। इस्लाम के कायदे कानून अरबी संस्कृति पर निर्भर है।जबकि किसी भी राष्ट्र में रहकर हर नागरिक को उसी देश की संस्कृति का अनुसरण करना चाहिए। यहीं राष्ट्र धर्म है।किसी देश का राष्ट्र धर्म वहां का संविधान होता है।हर नागरिक को उसी देश के संविधान के अनुसार चलना होता है जिस देश में वे रहते हैं।

किसी भी राष्ट्र धर्म से बड़ा उसका मजहब और धर्म या पंथ नहीं होता है।इसका पालन भारत में रहने वाले या विश्व के किसी कोने में रहने वाले पारसियों ने किया है।चीन सरकार को इसी बात का एतराज है कि वे चीन में रहकर चौदह सौ वर्ष पुराना अरबी कानून लागू करना चाहते हैं। अतः चीन की सरकार ने इस्लाम का चीनीकरण (सीनिसाइजेशन) करना शुरू कर दिया है। आपके अपने विचार हैं सकते हैं कि यह ठीक नहीं है लेकिन यदि गौर से समझा जाए तो चीन सरकार का कथन भी एक दृष्टि से राष्ट्र हित के लिए उचित है।एक देश में दो कानून नहीं लागू किया जा सकता है,एक राष्ट्रीय कानून और दूसरा मजहबी , सनातनी या पंथिय कानून। जब विश्व के अखबारनवीसों ने चीन सरकार से प्रश्न किया कि वे क्यों वीगरों के उपर जुल्म कर रहे हैं तो चीनी हुक्मरानों ने कहा कि वे जुल्म नहीं कर रहे हैं।वे उनको संकीर्ण मानसिकता से दूर कर रहे हैं और उन्हें देश की मुख्यधारा में लाने का प्रयास कर रहे हैं।

प्रोफेसर बलराज मधोक की एक पुस्तक मैंने पढ़ी थी। उईउसका नाम इंडियानाइजेशन (भारतीकरण) था।उस पुस्तक में विद्वान लेखक ने यह लिखा है कि भारत में ईसाइयत पहली सदी में ही सेंट थामस के साथ आई थी। मालाबार प्रदेश के बहुत से लोग ईसा को प्रभु की तरह स्वीकार कर लिए। लेकिन उनके रीति रिवाजों में कोई अंतर नही था। पुर्तगालियों और यूरोप से ईसाइयों के आगमन के बाद वे पश्चिम के रीति रिवाजों को अपना और अपने को भारतीय संस्कृति से दूर मानने लगे थे।किसी विदेशी धर्म को स्वीकार करने का अर्थ हो जाता है कि जिस देश से वह धर्म आया, हम उसी देश के रीति-रिवाज को श्रेष्ठ मानने लगते हैं। यह देश और वहां की संस्कृति को कमजोर करता है।

चीन को मुसलमानों को शिक्षित करना चाहिए, लेकिन उनके उपर जुल्म करने को कोई भी सभ्य समाप्त जायज नही ठहराएगा। मुसलमानो को भी चीनी संस्कृति से लगाव रखना होगा। मस्जिद देश की स्टाइल में बने। उसे भी स्वीकार करना होगा।भारत में भारतीय स्टाइल और चीन में चीनी स्टाइल की मस्जिदों में नमाज अदा किया जा सकता है।जब वे मूर्ति पूजा के खिलाफ हैं तो प्रार्थना घर के लिए इतना शोरगुल क्यों करें।चीन सरकार का यह भी कथन है कि मस्जिदों में खुराफाती शिक्षक आकर देश और उनकी संस्कृति के विपरीत शिक्षा देते हैं इसलिए ये शिक्षक उन्हें स्वीकार नहीं हैं।वे मदरसों में शिक्षा के स्थान पर आधुनिक शिक्षा पर ज़ोर दे रहे हैं।

भारत में भी मुस्लिमों को भारतीय बनकर ही रहना चाहिए। उन्हें अपने पूर्वजों का सम्मान करना चाहिए।इस देश में जितने महापुरुष हुए हैं जैसे राम ,कृष्ण, बुद्ध, महावीर, नानक- वे भी भारत में रहने वाले हर मुसलमान के पूर्वज है।भारत में रहने वाले प्रत्येक नागरिक को चाहे वह हिन्दू हो या ईसाई, जैन, सिख अथवा मुस्लिम, उन्हें भारतीय संस्कृति से लगाव रखना चाहिए।तभी राष्ट्र मजबूत होगा।अरब इजराइल फिलीस्तीन और ईरान में रहने वाले केवल उनके श्रद्धेय महापुरुष ही नहीं है वरन् इस देश के सभी महामानवों की भी कद्र करनी चाहिए।

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Uncategorized

पर्यावरण संरक्षण के संदेश को लेकर डीडीयू ने मनाया ‘नॉन मोटराइज्ड व्हिकल डे’

कुलपति पैदल गयी अपने कार्यालय, ई-व्हीकल से पहुची संवाद भवन एनआईआई ब्यूरो गोरखपुर। समाज को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन आज ‘नॉन मोटराइज्ड व्हीकल डे’ पर अपने प्रशासनिक भवन स्थित कार्यालय पैदल गईं। कुलपति के साथ कुलसचिव प्रो. शांतनु रस्तोगी, वित्त अधिकारी संत प्रकाश […]

Read More
Uncategorized

“कवि की सौन्दर्यानुभूति का प्रकटन ही कविता”- प्रोफेसर एमएम पाठक

एनआईआई ब्यूरो गोरखपुर। संस्कृत एवं प्राकृत भाषा विभाग तथा मानव संसाधन विकास केंद्र दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर द्वारा आयोजित 13 वें पुनश्श्चर्या पाठ्यक्रम का समापन सत्र ऑनलाइन माध्यम से संपन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्यातिथि माननीय कुलपति श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली प्रोफेसर मुरली मनोहर पाठक ने पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के विषय […]

Read More
Uncategorized

गुड मॉर्निंग न्यूज़ : सुबह के प्रमुख समाचार एक नजर में 

न्यूज इन्फोमैक्स इंडिया का अपने पाठकों को प्यार भरा नमस्कार । इसके साथ आपका दिन मंगलमय हो । पेश हैं आज के प्रमुख समाचार एक नजर में सुर्खियां ; रूस का लूना- 25 स्पेसक्राफ़्ट क्रैश, चांद पर सॉफ़्ट लैंडिंग से ठीक एक दिन पहले हुना क्रैश। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी का […]

Read More
error: Content is protected !!