एनआईआई ब्यूरो
ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ अभियान चलाने वाली राष्ट्रीय संस्था ‘सत्या फाउण्डेशन’ ने आज सोमवार, 30 अक्टूबर 2023 को उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा (IAS) से लखनऊ स्थित लोक भवन कार्यालय में मुलाक़ात करके, ध्वनि प्रदूषण के कारण आये दिन होने वाले हिंसा-बवाल और आम जनता के साथ ही जीव-जंतुओं को होने वाले भयंकर कष्ट और बीमारियों से बचाने हेतु कार्य योजना का ब्लू प्रिंट सौंपा, जिसका एक-एक शब्द पढ़ने लायक है और इस प्रेस विज्ञप्ति के साथ संलग्न है. जानलेवा डी.जे., लाउडस्पीकर, पटाखा, प्रेशर हार्न और मल्टीटोन हार्न, बिना कैनोपी वाले जेनरेटर, आवासीय इलाके में चल रही पावरलूम और मशीनों के शोर, साइलेंस ज़ोन में शोर पर फोकस किये गए, ‘सत्या फाउण्डेशन’ द्वारा सुझाये गए इस ब्लू प्रिंट को मुख्य सचिव ने बहुत ही ध्यानपूर्वक पढ़ा और महत्वपूर्ण लाइनों को अपनी कलम से रेखांकित किया और उचित कार्यवाही का भरोसा दिलाया।
मुख्य सचिव से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में मुफ्ती-ए-बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी जी को भी उपस्थित रहना था परंतु अंतिम समय में अपरिहार्य कारणों से वे लखनऊ नहीं पहुँच पाये। मगर ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ कठोर कार्रवाई हेतु मुफ्ती-ए-बनारस का पत्र, मुख्य सचिव के सामने प्रस्तुत किया गया जिसमें आपने सरकार से गुजारिश की है कि सभी धर्मों और संप्रदायों के धार्मिक स्थलों पर ध्वनि प्रदूषण कानून को कड़ाई से लागू किया जाए और उत्तर प्रदेश के सभी थानों और पुलिस चौकियों को चालान और मुकदमे का टारगेट (Target) दिया जाए ताकि लोगों को शान्ति, सुकून और अच्छी नींद मयस्सर हो सके। मुख्य सचिव ने मुफ्ती के पत्र की सभी बातों को ध्यान से पढ़ा और महत्वपूर्ण लाइनों को रेखांकित किया।
मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा ने ‘सत्या फाउण्डेशन’ के साथ आज की अत्यंत महत्वपूर्ण मुलाक़ात में अपनी बॉडी लैंगुएज से यह एहसास करा दिया कि ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ अब उत्तर प्रदेश सरकार आर या पार के मूड में है। सोमवार को लखनऊ स्थित लोकभवन कार्यालय में मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा (आई.ए.एस.) से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में ‘सत्या फाउण्डेशन’ के संस्थापक सचिव चेतन उपाध्याय, गैलेक्सी हॉस्पिटल के डा. वी.डी. तिवारी और प्रसिद्ध उद्यमी हरविंदर सिंह आनंद उपस्थित थे।
ध्वनि प्रदूषण का चेतावनी बोर्ड लगाना आवश्यक
दिन हो या रात, ऐसे स्थानों के पास हॉर्न बजाने पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 के तहत 1 लाख रूपये तक जुर्माना या 5 साल तक की जेल या एक साथ दोनों सजा हो सकती है। साथ ही जनता को यह जागरूक करना आवश्यक है कि रिहायशी इलाकों में रात्रि 10 से सुबह 6 के बीच किसी भी दोपहिया या चार-पहिया वाहन का हार्न बजाना एक जुर्म है और दोषी को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 के अंतर्गत 1 लाख रूपये तक जुर्माना या 5 साल तक की जेल या एक साथ दोनों सजा हो सकती है।
रिहायशी इलाके में शोर करने वाले पावर लूम और अन्य मशीनें
उच्च न्यायालय के स्टैंडिंग आर्डर के अनुसार आवासीय इलाके में कोई भी कल कारखाना, पावरलूम आदि मशीनें लगाना और चलाना एक अपराध है। भारत सरकार के ध्वनि प्रदूषण (विनियमन व नियंत्रण) नियम- 2000 (यथा संशोधित) में दिये गये प्रावधानों के मुताबिक ऐसे किसी भी शोर करने वाली ईकाई को बंद कराने का अधिकार, पुलिस विभाग के डी.एस.पी. / सी.ओ. या इससे ऊपर के रैंक के अधिकारी को भी है। आम जनता और पुलिस-प्रशासन के बीच इस संशोधित कानून का प्रचार प्रसार करने से रिहायशी इलाकों में लोगों को ध्वनि प्रदूषण से मुक्ति मिल सकती है।
जेनरेटर
कानून के मुताबिक किसी भी जेनरेटर को बिना साऊंड प्रूफ कैनोपी के चलाना एक अपराध है और यह नियम 5 किलो वाट के जेनरेटर पर भी लागू होता है। भारत सरकार के ध्वनि प्रदूषण (विनियमन व नियंत्रण) नियम- 2000 (यथा संशोधित) में दिये गये प्रावधानों के मुताबिक ऐसे किसी भी शोर करने वाले जेनरेटर को स्वत: संगयाम लेकर, कैनोपी लगवाने का अधिकार, पुलिस विभाग के डी.एस.पी. / सी.ओ. या इससे ऊपर के रैंक के अधिकारी को भी है। अकेले वाराणसी में पुलिस ने ऐसे हजारों जेनरेटर बंद करवाये हैं।
साथ ही यह भी आवश्यक है कि जेनरेटर बनाने वाली सभी कंपनियों का बीच-बीच में औचक निरीक्षण करके उनको इस बात के लिए बाध्य किया जाये कि बिना कैनोपी वाला जेनरेटर बाजार में आये ही नहीं। आपको बता दें कि मुख्य सचिव उपरोक्त सभी बिंदुओं पर ध्यान देकर प्रदेश की 22 करोड़ जनता को ध्वनि प्रदूषण से निजात दिलाने के लिए यथोचित निर्देश देंगे।